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7,500 शिकायतों वाले राष्ट्रीय ऑनलाइन ठगी के दो मामलों का खुलासा, डीजीपी ने बताई गिरोहों की कारस्तानी

साइबर क्राइम पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनाता जा रहा है. हालांकि उत्तराखंड पुलिस भी लगातार इस दिशा में काम कर रही है और साइबर ठगों की कमर भी तोड़ रही है. ऐसे ही राष्ट्रीय स्तर के दो मामलों का उत्तराखंड एसटीएफ ने खुलासा किया है, जिनके खिलाफ देशभर में पुलिस को कई हजार शिकायतें मिली हैं.

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Published : Jul 18, 2023, 5:02 PM IST

Updated : Jul 18, 2023, 8:14 PM IST

7,500 शिकायतों वाले राष्ट्रीय ऑनलाइन ठगी के दो मामलों का खुलासा

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने राष्ट्रीय (नेशनल) लेवल के ऑनलाइन ठगी के दो बड़े मामलों का पर्दाफाश किया है. उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने खुद प्रेस वार्ता कर इन दोनों मामलों का खुलासा किया. पहला मामला बीमा कंपनी और दूसरा हेलीकॉप्टर सेवा फर्जी वेबसाइट से जुड़ा है. दोनों मामलों का खुलासा करते हुए डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस डिजिटल अपराधों के लिए Zero Tolerance की नीति पर काम कर रही है.

बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगी: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि बीमा पॉलिसी और कंपनी के नाम पर पिछले छह-सात सालों से लोगों से ऑनलाइन ठगी की जा रही थी. ये गिरोह यूपी के गाजियाबाद और नोएडा से चल रहे थे. उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) ने पिछले महीने से ही दिल्ली में इस गिरोह के मास्टरमाइंड अजीत राठी को गिरफ्तार किया था.

Uttarakhand
साइबर ठगी का शिकार होने से बचे.
पढ़ें- साइबर ठगों का नया तरीका, व्हाट्सएप-टेलीग्राम पर लोगों से करा रहे यूट्यूब वीडियोज लाइक, फिर...

डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक आरोपी अजीत राठी दिल्ली एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) से ही पिछले 6-7 सालों से बीमा कंपनियों और इंश्योरेंस के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाता था और फिर उनसे ठगी किया करता था.

दून में बुजुर्ग से की थी 42 लाख की ठगी: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि 82 साल के व्यक्ति ने देहरादून में 42 लाख रुपए का ऑनलाइन ठगी का मुकदमा दर्ज कराया था. मामले की जांच शुरू की गई तो पुलिस के हाथ इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड अजीत राठी तक पहुंचे.

Uttarakhand
साइबर ठगी होने पर क्या करें.

देशभर में 1400 से ज्यादा शिकायतें: अजीत राठी के कब्जे से पुलिस को 6 मोबाइस, 6 सिम कार्ड, 4700 रुपए और दो अलग-अलग रजिस्टर मिले हैं, जिसमें ठगी के शिकार हुए लोगों से जुड़ी जानकारी लिखी हुई थी. पुलिस को मामले की जांच करने पता चला कि इस गिरोह के खिलाफ देशभर में जो 1400 शिकायतें और 72 मुकदमें दर्ज हैं. जिसमें तेलंगाना में 32, यूपी में 13, तमिलनाडु में सात, दिल्ली में पांच, हरियाणा में चार और अन्य राज्यों में 24 मामले प्रमुख हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में बनेगी साइबर साइंस फॉरेंसिक लैब, क्राइम के साथ क्रिमिनल्स पर कसेगा शिकंजा

ठगी का तरीका: यह गैंग पूरे भारत में बीमा पॉलिसी, प्रीमियम और मनी रिकवरी आदि के नाम पर लोगों को ठगते थे. उत्तराखंड एसटीएफ इस गिरोह के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है. साथ ही उत्तराखंड पुलिस की तरफ से अन्य राज्यों के पुलिस महिनिदेशकों को भी पत्र लिखा गया है.

हेलीकॉप्टर टिकट के नाम पर ठगी: दूसरा मामला हेलीकॉप्टर टिकटों की बुकिंग के जुड़ा है. उत्तराखंड एसटीएफ ने हाल ही में बिहार के नवादा और नालंदा से तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. इनकी गिरफ्तार से पहले पुलिस के ने 30 अलग-अलग शिकायतों की जांच की थी, तब जाकर पुलिस इन आरोपियों तक पहुंची थी.

आरोपियों के कब्जे से बरामदगी: उत्तराखंड एसटीएफ को आरोपियों के पास 15 मोबाइल, 9 सिम कार्ड, 9 एटीएम, एक पीओएस एटीएम मशीन, छह आधार (गिरफ्तार किए गए नीरज के पास से चार आधार कार्ड), तीन पासबुक और एक टैबलेट मिला. वही, डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि इस बार आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की जाएगी और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा.
पढ़ें- Cyber crime in Uttarakhand : उत्तराखंड पर साइबर ठगों की नजर, हर महीने 1,199 लोग हो रहे फ्रॉड का शिकार

6100 से ज्यादा शिकायतें दर्ज: डीजीपी के मुताबिक नीरज कुमार का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है. नीरज 2021 में राजस्थान की जयपुर जेल में बंद था. उत्तराखंड एसटीएफ को इस गिरोह से संबंधित 6100 शिकायतें और 28 मुकदमें दर्ज मिले हैं, जिसमें उत्तराखंड में पांच, यूपी-56, तेलंगाना-112, दिल्ली-18, गुजरात-11, तमिलनाडु-15, हरियाणा-09, बिहार-08, कर्नाटक-08, महाराष्ट्र-07 और अन्य सभी भारत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में FIRs मिली थी.

कई तरह के साइबर अपराधों में शामिल हैं ये गिरोह: उत्तराखंड एसटीएफ ने जब मामले की जांच की तो सामने आया है कि ये गिरोह अलग-अलग तरह के साइबर अपराधों में शामिल है. जैसे फर्जी वेबसाइट, फर्जी लोन साइट, फर्जी फाइनेंस कंपनियां, सेक्सटॉर्शन आदि.
पढ़ें- Uttarakhand Cyber Crime: साइबर अपराधियों से निपटने की तैयारी, पुलिसकर्मियों को दी जा रही ट्रेनिंग

Cyber Tipline: साइबर टिपलाइन बाल यौन शोषण के मामलों के लिए एक रिपोर्टिंग तंत्र है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप में बच्चों को यौन कृत्य या आचरण में चित्रित करने वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना शामिल है. बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM पर साइबर टिपलाइन रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए अप्रैल 2019 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), भारत और नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC), USA के बीच एक समझौता (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए थे.

भारत से संबंधित जानकारी साझा करने के साथ-साथ ऐसे अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए, इससे प्राप्त करने के बाद NCRB राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचना भेजती है. एसटीएफ के तहत साइबर क्राइम थाना चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सभी शिकायतों को स्कैन करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. इस प्रक्रिया में उत्तराखंड पुलिस ने 113 एफआईआर दर्ज की हैं, जहां इस साल 49 से ज्यादा FIR दर्ज हुईं और 38 शिकायतों पर जल्द ही अलग-अलग जिलों में एफआईआर होगी.

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया है कि इन घोटालों का पर्दाफाश करने के साथ ही उत्तराखंड पुलिस महिला और बाल सुरक्षा को लेकर भी प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करते हुए (स्मार्ट पुलिसिंग- SMART Policing), उत्तराखंड पुलिस अपने एप के माध्यम से गौरा शक्ति सुविधा प्रदान कर रही है, जहां 1.2 लाख से अधिक महिलाओं ने अपना पंजीकरण कराया है.

चाइल्ड पोर्नोग्राफी कानून (IT act section- 67B): यह गैर-जमानती अपराध है. इसी तरह, प्रवर्तन के दृष्टिकोण से, उत्तराखंड पुलिस सक्रिय रूप से ऐसे मामले दर्ज कर रही है, जहां टिपलाइन के तहत दर्ज 113 प्राथमिकी पुलिस द्वारा ही की जाती है. साथ ही Victim Oriented Policing के लिए 906 जीरो एफआईआर और 472 eFIR साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं.

7,500 शिकायतों वाले राष्ट्रीय ऑनलाइन ठगी के दो मामलों का खुलासा

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस ने राष्ट्रीय (नेशनल) लेवल के ऑनलाइन ठगी के दो बड़े मामलों का पर्दाफाश किया है. उत्तराखंड पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने खुद प्रेस वार्ता कर इन दोनों मामलों का खुलासा किया. पहला मामला बीमा कंपनी और दूसरा हेलीकॉप्टर सेवा फर्जी वेबसाइट से जुड़ा है. दोनों मामलों का खुलासा करते हुए डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस डिजिटल अपराधों के लिए Zero Tolerance की नीति पर काम कर रही है.

बीमा पॉलिसी के नाम पर ठगी: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि बीमा पॉलिसी और कंपनी के नाम पर पिछले छह-सात सालों से लोगों से ऑनलाइन ठगी की जा रही थी. ये गिरोह यूपी के गाजियाबाद और नोएडा से चल रहे थे. उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स) ने पिछले महीने से ही दिल्ली में इस गिरोह के मास्टरमाइंड अजीत राठी को गिरफ्तार किया था.

Uttarakhand
साइबर ठगी का शिकार होने से बचे.
पढ़ें- साइबर ठगों का नया तरीका, व्हाट्सएप-टेलीग्राम पर लोगों से करा रहे यूट्यूब वीडियोज लाइक, फिर...

डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक आरोपी अजीत राठी दिल्ली एनसीआर (नेशनल कैपिटल रीजन) से ही पिछले 6-7 सालों से बीमा कंपनियों और इंश्योरेंस के नाम पर लोगों को अपने जाल में फंसाता था और फिर उनसे ठगी किया करता था.

दून में बुजुर्ग से की थी 42 लाख की ठगी: डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि 82 साल के व्यक्ति ने देहरादून में 42 लाख रुपए का ऑनलाइन ठगी का मुकदमा दर्ज कराया था. मामले की जांच शुरू की गई तो पुलिस के हाथ इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड अजीत राठी तक पहुंचे.

Uttarakhand
साइबर ठगी होने पर क्या करें.

देशभर में 1400 से ज्यादा शिकायतें: अजीत राठी के कब्जे से पुलिस को 6 मोबाइस, 6 सिम कार्ड, 4700 रुपए और दो अलग-अलग रजिस्टर मिले हैं, जिसमें ठगी के शिकार हुए लोगों से जुड़ी जानकारी लिखी हुई थी. पुलिस को मामले की जांच करने पता चला कि इस गिरोह के खिलाफ देशभर में जो 1400 शिकायतें और 72 मुकदमें दर्ज हैं. जिसमें तेलंगाना में 32, यूपी में 13, तमिलनाडु में सात, दिल्ली में पांच, हरियाणा में चार और अन्य राज्यों में 24 मामले प्रमुख हैं.
पढ़ें- उत्तराखंड में बनेगी साइबर साइंस फॉरेंसिक लैब, क्राइम के साथ क्रिमिनल्स पर कसेगा शिकंजा

ठगी का तरीका: यह गैंग पूरे भारत में बीमा पॉलिसी, प्रीमियम और मनी रिकवरी आदि के नाम पर लोगों को ठगते थे. उत्तराखंड एसटीएफ इस गिरोह के अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही है. साथ ही उत्तराखंड पुलिस की तरफ से अन्य राज्यों के पुलिस महिनिदेशकों को भी पत्र लिखा गया है.

हेलीकॉप्टर टिकट के नाम पर ठगी: दूसरा मामला हेलीकॉप्टर टिकटों की बुकिंग के जुड़ा है. उत्तराखंड एसटीएफ ने हाल ही में बिहार के नवादा और नालंदा से तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. इनकी गिरफ्तार से पहले पुलिस के ने 30 अलग-अलग शिकायतों की जांच की थी, तब जाकर पुलिस इन आरोपियों तक पहुंची थी.

आरोपियों के कब्जे से बरामदगी: उत्तराखंड एसटीएफ को आरोपियों के पास 15 मोबाइल, 9 सिम कार्ड, 9 एटीएम, एक पीओएस एटीएम मशीन, छह आधार (गिरफ्तार किए गए नीरज के पास से चार आधार कार्ड), तीन पासबुक और एक टैबलेट मिला. वही, डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि इस बार आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की जाएगी और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जाएगा.
पढ़ें- Cyber crime in Uttarakhand : उत्तराखंड पर साइबर ठगों की नजर, हर महीने 1,199 लोग हो रहे फ्रॉड का शिकार

6100 से ज्यादा शिकायतें दर्ज: डीजीपी के मुताबिक नीरज कुमार का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है. नीरज 2021 में राजस्थान की जयपुर जेल में बंद था. उत्तराखंड एसटीएफ को इस गिरोह से संबंधित 6100 शिकायतें और 28 मुकदमें दर्ज मिले हैं, जिसमें उत्तराखंड में पांच, यूपी-56, तेलंगाना-112, दिल्ली-18, गुजरात-11, तमिलनाडु-15, हरियाणा-09, बिहार-08, कर्नाटक-08, महाराष्ट्र-07 और अन्य सभी भारत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में FIRs मिली थी.

कई तरह के साइबर अपराधों में शामिल हैं ये गिरोह: उत्तराखंड एसटीएफ ने जब मामले की जांच की तो सामने आया है कि ये गिरोह अलग-अलग तरह के साइबर अपराधों में शामिल है. जैसे फर्जी वेबसाइट, फर्जी लोन साइट, फर्जी फाइनेंस कंपनियां, सेक्सटॉर्शन आदि.
पढ़ें- Uttarakhand Cyber Crime: साइबर अपराधियों से निपटने की तैयारी, पुलिसकर्मियों को दी जा रही ट्रेनिंग

Cyber Tipline: साइबर टिपलाइन बाल यौन शोषण के मामलों के लिए एक रिपोर्टिंग तंत्र है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप में बच्चों को यौन कृत्य या आचरण में चित्रित करने वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना शामिल है. बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM पर साइबर टिपलाइन रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए अप्रैल 2019 में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB), भारत और नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (NCMEC), USA के बीच एक समझौता (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए थे.

भारत से संबंधित जानकारी साझा करने के साथ-साथ ऐसे अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए, इससे प्राप्त करने के बाद NCRB राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचना भेजती है. एसटीएफ के तहत साइबर क्राइम थाना चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सभी शिकायतों को स्कैन करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है. इस प्रक्रिया में उत्तराखंड पुलिस ने 113 एफआईआर दर्ज की हैं, जहां इस साल 49 से ज्यादा FIR दर्ज हुईं और 38 शिकायतों पर जल्द ही अलग-अलग जिलों में एफआईआर होगी.

डीजीपी अशोक कुमार ने बताया है कि इन घोटालों का पर्दाफाश करने के साथ ही उत्तराखंड पुलिस महिला और बाल सुरक्षा को लेकर भी प्रतिबद्ध है. प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करते हुए (स्मार्ट पुलिसिंग- SMART Policing), उत्तराखंड पुलिस अपने एप के माध्यम से गौरा शक्ति सुविधा प्रदान कर रही है, जहां 1.2 लाख से अधिक महिलाओं ने अपना पंजीकरण कराया है.

चाइल्ड पोर्नोग्राफी कानून (IT act section- 67B): यह गैर-जमानती अपराध है. इसी तरह, प्रवर्तन के दृष्टिकोण से, उत्तराखंड पुलिस सक्रिय रूप से ऐसे मामले दर्ज कर रही है, जहां टिपलाइन के तहत दर्ज 113 प्राथमिकी पुलिस द्वारा ही की जाती है. साथ ही Victim Oriented Policing के लिए 906 जीरो एफआईआर और 472 eFIR साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं.

Last Updated : Jul 18, 2023, 8:14 PM IST
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