देहरादून (उत्तराखंड): सेना से रिटायर होने के बाद पूर्व सेना नायक राजेश सेमवाल उत्तराखंड के पहाड़ी जनपदों में उन गरीब युवा और युवतियों को सेना के लिए तैयार कर रहे हैं, जो महंगे कोचिंग सेंटर में ना तो शिक्षा ले सकते हैं. ना ट्रेनिंग ले सकते हैं. राजेश सेमवाल का ट्रेनिंग सेंटर पहाड़ के ऐसे सभी छात्र छात्राओं के लिए खुला है.
रिटायरमेंट के बाद पहाड़ के युवाओं को कर रहे सेना के लिए तैयार: सेना में अपनी सेवाएं पूरी करने के बाद पहाड़ के बच्चों के लिए देवदूत बने सेना नायक राजेश सेमवाल. उत्तरकाशी में सेना में भर्ती के लिए निशुल्क ट्रेनिंग कैंप चलाने वाले पूर्व नायक राजेश सेमवाल का लोहा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और राज्यपाल सहित कई सैन्य अधिकारियों ने माना है. पूर्व सेना नायक राजेश सेमवाल का पहाड़ के युवाओं के प्रति समर्पण और लगाव इतना है कि उन्हें कई बड़े हाईटेक कोचिंग इंस्टिट्यूट से लाखों की सैलरी का ऑफर आया. लेकिन उन्होंने उस ऑफर को ठुकरा कर पहाड़ पर गरीब बच्चों को बिना किसी शुल्क के सेना के लिए तैयार करने का रास्ता चुना.
गरीब युवक युवतियों को फ्री में देते हैं ट्रेनिंग: नायक राजेश सेमवाल द्वारा ट्रेंड किए गए सैकड़ों युवा आज भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं जो कि आर्थिक रूप से बेहद कमजोर थे. इनके पास महंगे कोचिंग इंस्टिट्यूट और ट्रेनिंग कैंप में जाने के पैसे नहीं थे. लेकिन राजेश सेमवाल ने इन्हें तैयार किया और आज यह देश की सेवा कर रहे हैं. यही नहीं पूर्व सेना नायक राजेश सेमवाल के पास देहरादून जैसे बड़े शहरों से भी बच्चे ट्रेनिंग लेने के लिए पहुंचे. लेकिन राजेश सेमवाल ने यह कहकर उन बच्चों को ट्रेनिंग नहीं दी, कि वह अमीर बच्चे थे और किसी भी महंगे इंस्टिट्यूट ट्रेनिंग ले सकते थे. इस तरह से नायक राजेश सेमवाल की कहानी बेहद फिल्मी और रोचक है. उनका योगदान पहाड़ और भारतीय सेना के लिए बेहद खास है. खास तौर से पहाड़ के गरीब युवाओं और उन लड़कियों के लिए जो संसाधनों के अभाव में अपने जीवन के सारे सपनों का दम घोंट देती हैं.
ट्रेनिंग के लिए बनाया वंदे मातरम ट्रेनिंग एजुकेशन सेंटर: पूर्व सेना नायक राजेश सेमवाल ने बताया कि सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद वर्ष 2020 से लेकर अब तक वह 1740 छात्र छात्राओं को ट्रेनिंग दे चुके हैं. इसमें से डेढ़ सौ से ज्यादा छात्र-छात्राएं आर्मी, पुलिस और अन्य तमाम तरह सरकारी नौकरियों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यही नहीं इनमें से कई छात्र शुरुआती दौर में ऐसे भी थे जिन्होंने फिजिकल निकाला, लेकिन वह अन्य किसी वजह से सेलेक्ट नहीं हो पाए.
सेना और सरकार ने किया प्रोत्साहित: राजेश सेमवाल ने बताया कि वह सीमित संसाधनों के साथ अपना ट्रेनिंग सेंटर चला रहे हैं. शुरुआती दौर में उन्होंने अपने रिटायरमेंट के पैसों से ट्रेनिंग सेंटर को संचालित किया. स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों की मदद से उन्होंने छात्र छात्राओं को आर्मी के लिए ट्रेनिंग दी. वह पूरी तरह से निशुल्क आर्मी भर्ती ट्रेनिंग सेंटर चलाते हैं. लिहाजा उनके पास बाहर से आने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि संख्या बढ़ने से उनके पास संसाधनों की बेहद कमी थी. लिहाजा उत्तराखंड सरकार की तरफ से और सेना की तरफ से भी उन्हें कई बार प्रोत्साहित किया गया है. उन्हें लगातार उनके द्वारा किए जा रहे नेशन बिल्डिंग के कार्य के लिए सपोर्ट किया जा रहा है.
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युवाओं को अनुशासित बनाना चाहते हैं राजेश सेमवाल: निशुल्क आर्मी ट्रेनिंग सेंटर को संचालित कर रहे राजेश सेमवाल का कहना है कि वह लगातार छात्र-छात्राओं को सेना के लिए तैयार कर रहे हैं. वह जानते हैं कि जिस किसी को भी वह तैयार कर रहे हैं, जरूरी नहीं है कि वह सेना में सिलेक्ट हो जाए. इसके बावजूद भी उनका सभी युवाओं के लिए यह संदेश है कि वह अपने आप को अनुशासित करके, बेहतर बना कर एक बेहतर देश का निर्माण कर सकते हैं. राजेश सेमवाल से ट्रेनिंग लेने वाले छात्रों से भी बातचीत की गई.
क्या कहते हैं राजेश सेमवाल के ट्रेनी? ऐसे ही एक ट्रेनी संदीप का कहना है कि वह सबसे पहले अपने देश के लिए एक अच्छा नागरिक बनना चाहते हैं. इसके अलावा वह एक आर्मी अधिकारी की भी ट्रेनिंग ले रहे हैं, जिसमें उन्हें राजेश सेमवाल के ट्रेनिंग कैंप से निशुल्क सहायता मिल रही है. ऐसी ही पहाड़ की एक युवा लड़की प्रीति जो कि राजेश सेमवाल के ट्रेनिंग कैंप से निशुल्क ट्रेनिंग ले रही हैं, ने बताया कि आर्मी की ट्रेनिंग ने उनके जीवन को बदला है. उनके जीवन में अनुशासन आया है. उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही आर्मी में भर्ती होकर देश सेवा करेंगी.
कौन हैं राजेश सेमवाल? राजेश सेमवाल का जन्म 20 जुलाई सन् 1984 को उत्तराखंड उत्तरकाशी पुरोला ग्रामसभा गोंदियाट गांव छानिका में एक किसान गरीब परिवार में हुआ. इनकी माता का नाम सुशीला देवी और पिता का नाम सुरेशानंद सेमवाल है. राजेश सेमवाल अपने परिवार में सबसे छोटे हैं. इनसे बड़े दो भाई सुमन सेमवाल जो वर्तमान समय में आईटीबीपी में अपनी सेवा दे रहे हैं. दूसरे भाई चंद्रमोहन सेमवाल खेती किसानी करते हैं.
ऐसा है राजेश सेमवाल का परिवार: राजेश सेमवाल के एक बेटा एक बेटी हैं. पत्नी का नाम मंजू देवी है. बेटा आदित्य सेमवाल और बेटी आरुषि सेमवाल हैं. राजेश सेमवाल 17 सितंबर 2003 में भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए थे. 9 महीने की ट्रेनिंग करके तृतीय गढ़वाल राइफल्स में 17 साल बड़े बहादुरी के साथ देश की सेवा की. 3 सितंबर 2020 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्ति ली.
रिटायरमेंट के बाद उत्तराखंड के गरीब, निराश्रित शहीद परिवार जनों के बच्चों के लिए निशुल्क वंदे मातरम ट्रेनिंग एजुकेशन फाउंडेशन की स्थापना की. निराश्रित शहीद परिवार जनों के बेटे-बेटियों के लिए अपने रिटायरमेंट के पैसों से ट्रेनिंग सेंटर चला रहे हैं. राजेश सेमवाल को 2020 से 2023 के बीच प्रदेश में अनेकों प्रकार के अवॉर्ड और प्रशंसा पत्र मिले.
राजेश सेमवाल को मिले ये सम्मान: राजेश सेमवाल विकास पर्वत सम्मान से सम्मानित हुए. तिलाड़ी शहीद सम्मान भी उन्हें मिला. राजेश सेमवाल मुख्यमंत्री द्वारा प्रशंसा पत्र के साथ ₹2 लाख की प्रोत्साहन राशि से सम्मानित हुए. सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी जी के द्वारा प्रशंसा पत्र के साथ ₹2 लाख देकर सम्मानित किया गया. भारतीय सेना से देहरादून सब एरिया मेजर जनरल संजीव खत्री ने प्रशंसा पत्र और डेढ़ लाख रुपए से सम्मानित किया. तृतीय गढ़वाल राइफल की बटालियन के कर्नल गौरव ने अपनी बटालियन के बहादुर सैनिक राजेश को प्रशंसा पत्र, ट्रॉफी और आर्थिक सहयोग दिया. राजेश सेमवाल अपने क्षेत्र ग्राम प्रधान प्रमुख, जिला पंचायत, शासन प्रशासन से तमाम प्रशंसा पत्र हासिल कर चुके हैं.
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नशा मुक्ति अभियान भी चला रहे राजेश: राजेश सेमवाल ट्रेनिंग के साथ-साथ गांव गांव में नशा मुक्ति अभियान भी चला रहे हैं. नशा मुक्ति अभियान में बड़ी सफलता मिल रही है. राजेश सेमवाल ने अभी तक 55 से ऊपर ग्राम सभाओं को नशा मुक्त ग्राम सभा बनाया है. इस नेक कार्य को देखते हुए दूरदर्शन ने इसे अपने समाचार में प्रमुख स्थान दिया. ऑल इंडिया रेडियो ने राजेश के इस कार्य पर सीधा प्रसारण भी चलाया है. राजेश सेमवाल का उद्देश्य अपने उत्तराखंड को नशा मुक्त उत्तराखंड, आत्मनिर्भर उत्तराखंड बनाना है. इसके साथ ही देश की सेना को कुशल और नेतृत्वकर्ता सैनिक देना उनका लक्ष्य है.
कितना खर्च आता है: वर्ष 2020 में सेना से वीआरएस लेने के बाद पूर्व सेनानायक राजेश सेमवाल की रिटायरमेंट की धनराशि 17 से 18 लाख रुपए हुई थी. उन्होंने तकरीबन 30 लाख की लोन राशि ली थी. सहायता की बात करें तो राजेश सेमवाल को अब तक तकरीबन 6 से 7 लाख की सहायता अलग-अलग माध्यमों से मिल चुकी है. अगर ट्रेनिंग में आने वाले खर्चे की बात करें तो जिस तरह से राजेश सेमवाल पहाड़ के तमाम निर्धन छात्र छात्राओं को निशुल्क ट्रेनिंग देते हैं, उसमें तकरीबन ₹3000 का खर्च हर एक छात्र पर आता है.
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