नई दिल्ली : प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा जता चुके हैं. 16 अप्रैल को सोनिया गांधी और प्रशांत किशोर की मीटिंग (prashant kishor sonia gandhi meeting) के बाद एक बार फिर दोनों की मुलाकात की बात सामने आई है. मंगलवार, 19 अप्रैल को प्रशांत किशोर और सोनिया गांधी की बैठक अहम मानी जा रही है. पीके और सोनिया की मीटिंग को सियासी हलचल का संकेत माना जा रहा है. बता दें कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के सामने लोक सभा चुनाव 2024 के लिए रणनीति पेश कर चुके हैं. हालांकि, यह भी दिलचस्प है कि पीके इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट के रूप में काम न करने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस में उनकी भूमिका क्या होगी इस पर सस्पेंस बना हुआ है.
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ख्याति :(poll strategist prashant kishor) संयुक्त राष्ट्र के साथ भी काम कर चुके हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर पीके ने शनिवार, 16 अप्रैल को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व और वरिष्ठ नेताओं के समक्ष पार्टी में शामिल होने की इच्छा भी जताई. बैठक में सोनिया गांधी के अलावा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, के.सी. वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे और कुछ अन्य नेता शामिल हुए. पीके ने कांग्रेस के समक्ष लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति (Lok Sabha Election 2024 strategy) का खाका पेश किया. पार्टी उनकी ओर से पेश की गई योजना पर विचार करने के लिए नेताओं का एक समूह बनाएगी, जो एक सप्ताह के भीतर सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व किशोर की इस चुनावी रणनीति और उनके पार्टी से जुड़ने के बारे में जल्द फैसला करेगा.
कांग्रेस में पीके का रोल : 16 अप्रैल को सोनिया और प्रशांत किशोर की बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था, प्रशांत किशोर ने कांग्रेस अध्यक्ष को 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर विस्तृत प्रस्तुति दी. जो योजना उन्होंने सामने रखी है, उस पर पार्टी का एक समूह विचार करेगा और एक सप्ताह के भीतर कांग्रेस अध्यक्ष को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा. इसके बाद इस पर अंतिम फैसला होगा. यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर की भूमिका (Prashant Kishor role in Congress) क्या होगी, तो वेणुगोपाल ने कहा कि सारी जानकारी एक सप्ताह में सामने आ जाएगी.
कांग्रेस का संगठन मजबूत करना जरूरी : सोनिया गांधी और प्रशांत किशोर की मीटिंग के संबंध में कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के समक्ष प्रशांत किशोर ने कहा कि वह 'किसी अकांक्षा के बिना' कांग्रेस में शामिल होने के लिए तैयार हैं. वह कुछ नहीं चाहते हैं, लेकिन उनकी योजना पर अमल होना चाहिए, ताकि कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूत हो सके. सूत्रों का कहना है कि किशोर ने कांग्रेस नेतृत्व के समक्ष अगले लोकसभा चुनाव की रणनीति का जो खाका रखा है उसमें कांग्रेस की मीडिया रणनीति में बदलाव करने, संगठन को मजबूत करने और उन राज्यों में विशेष ध्यान देने पर जोर दिया गया है, जहां कांग्रेस भाजपा के सीधे मुकाबले में है.
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, प्रशांत किशोर ने जो योजना पेश की है, उस पर अंतिम निर्णय कांग्रेस आलाकमान करेगा. वह कांग्रेस के लिए किस भूमिका में काम करेंगे, इस पर बहुत जल्द फैसला होने की उम्मीद है. वैसे, पार्टी में यह राय जरूर है कि किशोर को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पिछले कई हफ्तों से पार्टी नेतृत्व और किशोर के बीच मुख्य रूप से गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत चल रही है. पार्टी गुजरात के एक जाने-माने पाटीदार चेहरा नरेश पटेल को भी साथ लेने का प्रयास कर रही है.
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सोनिया पीके की मीटिंग के बाद विधानसभा चुनावों पर कांग्रेस का मंथन : प्रशांत किशोर और कांग्रेस से जुड़े एक अन्य अहम घटनाक्रम में 16 अप्रैल को सोनिया गांधी और पीके की मीटिंग के बाद कांग्रेस नेताओं ने 18 अप्रैल को गुजरात और हिमाचल प्रदेश को लेकर चुनावी रणनीति पर चर्चा की. सूत्रों के अनुसार, पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के आवास पर चार घंटे से अधिक समय तक चली पार्टी के रणनीतिक समूह की बैठक में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अम्बिका सोनी, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, पी चिदंबरम और रणदीप सुरजेवाला मौजूद रहे. बैठक के दौरान कांग्रेस नेताओं ने पार्टी की चुनावी रणनीति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की. सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर गुजरात और हिमाचल में चुनाव पर कांग्रेस की रणनीति पर चर्चा वाली बैठक में मौजूद नहीं थे, हालांकि वह सोनिया गांधी से मिले थे.
राजनीति में प्रशांत किशोर : वह पिछले करीब एक दशक से चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम कर रहे हैं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के सफल चुनावी अभियान के बाद किशोर सुर्खियों में आए थे. उन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-जद(यू)-कांग्रेस के महागठबंधन की चुनावी जीत में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद उन्होंने 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी, तथा 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में द्रमुक के लिए काम किया. इन चुनाव अभियानों में भी वह सफल रहे. हालांकि, 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिये बतौर चुनावी रणनीतिकार उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी.
प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार नहीं ! बता दें कि प्रशांत किशोर पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस नेतृत्व के साथ लगातार संपर्क में हैं. हाल में उन्होंने कहा था कि वह 2021 में कांग्रेस में शामिल होने वाले थे, लेकिन कुछ बिंदुओं पर सहमति नहीं बन सकी. मूल रूप से बिहार से ताल्लुक रखने वाले किशोर अगर कांग्रेस में शामिल होते हैं तो वह दूसरी बार सक्रिय राजनीति में कदम रखेंगे. इससे पहले, वह कुछ समय के लिए जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़े थे, हालांकि बाद में इससे अलग हो गए. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को मिली सफलता के बाद प्रशांत किशोर ने इलेक्शन स्ट्रैटजिस्ट के रूप में काम न करने का ऐलान किया था.
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पीके चुनावी रणनीति नहीं बनवाएंगे, चुनाव आयोग भाजपा की सहयोगी : पश्चिम बंगाल चुनाव परिणाम के बाद प्रशांत किशोर ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग भाजपा के 'एक्सटेंशन' के रूप में काम कर रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक प्रशांत किशोर ने टीवी चैनल इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि वह 'इस जगह को छोड़ रहे हैं' और पार्टियों के लिए किसी भी पार्टी के लिए रणनीतिक सलाहकार के रूप में काम नहीं करेंगे. किशोर ने निर्वाचन आयोग पर भी हमला करते हुए उस पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया. पीके ने गंभीर आरोप लगाए और कहा कि उन्होंने कभी भी इस तरीके का पक्षपाती (partial) चुनाव आयोग नहीं देखा. उन्होंने कहा कि आयोग ने बीजेपी की मदद करने के लिए सब कुछ किया.
(एजेंसी इनपुट)