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उत्तरकाशी टनल हादसा: अगले 30 घंटे में वर्करों को बाहर निकालने की संभावना, ऑगर मशीन से ड्रिल शुरू, खड़ी हुई एक और मुसीबत

Uttarkashi Tunnel Accident उत्तराखंड के उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बुधवार दोपहर तक निकालने की संभावना है. आपदा सचिव का कहना है कि ऑगर मशीन से ड्रिल किया जा रहा है. इसके बाद लोहे के पाइप डाले जाएंगे जिससे मजदूरों का रेस्क्यू किया जाएगा. लेकिन ड्रिल के दौरान एक और समस्या खड़ी हो गई है.

Uttarkashi Tunnel Accident
उत्तरकाशी टनल हादसा
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 14, 2023, 4:01 PM IST

Updated : Nov 21, 2023, 7:00 PM IST

उत्तरकाशी टनल हादसा

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा के समीप बन रही निर्माणाधीन सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की जद्दोजहद जारी है. अब प्रशासन ड्रिल मशीन के जरिए मलबे में ड्रिल कर करीब साढ़े 3 फीट चौड़ा पाइप डालने की कोशिश कर रहा है, जिसके जरिए मजदूरों को निकाल सके. संभावना जताई जा रही है कि बुधवार दोपहर तक सभी मजदूरों को टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा. इसके लिए ऑगर मशीन सोमवार की रात को घटना स्थल पर पहुंचाई गई और काम शुरू किया गया. हालांकि, अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि मलबा हटाने पर फ्रैश मलबा भी गिर रहा है.

ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड आपदा विभाग सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जो मजदूर अंदर फंसे हुए हैं, उनसे बातचीत करके काफी मदद भी मिल रही है. फंसे हुए मजदूरों ने बातचीत में काफी शांत होकर बताया कि अंदर की तरफ करीब 50 मीटर तक भू धंसाव की घटना हुई है. टनल के अंदर फंसे हुए लोगों को जब जानकारी मिली कि शासन प्रशासन उनको निकालने की कोशिश कर रहा है तो लोग आराम से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं.

फ्रेश मलबा बन रहा मुसीबत: आपदा सचिव ने बताया कि जब सीएम धामी और वे खुद स्थलीय निरीक्षण करने गए तो उस दौरान देखा कि जैसे ही मलबा हटाया जा रहा है तो फ्रेश मलबा भी गिर रहा है, जो राहत बचाव कार्यों में समस्या बन रहा है. हालांकि, उसका ट्रीटमेंट भी किया जा रहा है. वर्तमान समय में एक पतले लोहे की पाइप से ऑक्सीजन और दूसरे पाइप के जरिए भोजन-पानी की सामाग्री भेजी जा रही है. साथ ही वॉकी टॉकी से बातचीत की जा रही है. बहरहाल टनल के अंदर फंसे सभी 40 लोग सुरक्षित हैं.
ये भी पढ़ेंः Silkyara Tunnel accident: उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे की जांच करेगी 6 सदस्यीय कमेटी, सीएम ने की रेस्क्यू की समीक्षा

रेस्क्यू के दूसरे दिन क्या-क्या हुआ: रेस्क्यू के दूसरे दिन ऑगर मशीन घटना स्थल पर पहुंची और मलबे को ड्रिल करके हटाने का का काम शुरू किया गया. इसके बाद करीब 900 एमएम का पाइप डाला जाएगा. ये काम सोमवार की देर रात से शुरू हो गया है. इस काम में करीब 24 से 30 घंटे लगने की संभावना है. फिलहाल एक दिक्कत आ रही कि सॉफ्ट मेटेरियल को रोकने के लिए जो टनल में रिब डाला गया था, वो भी मलवे में दब गया है. ऐसे में ड्रिल के दौरान वो भी बीच में आ सकता है. लिहाजा, उसको भी निकालने की कार्रवाई चल रही है ऐसे में ड्रिल के दौरान जब वहां तक पहुचेंगे तो उसको भी निकाल लेंगे. लिहाजा जब पाइप मलबे के अंदर डाला जाएगा तो सभी लोगों को आसानी से निकाल लिया जाएगा. इस पर कार्य चल रहा है.

रेस्क्यू में जुटे कई महकमे: राहत बचाव कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल निगम की तमाम मशीनों के साथ ही अन्य संस्थाओं की मशीनें लगाई गई है. इसके साथ ही वहां की टेक्निकल जानकारी के लिए कि आखिर ये भू-धंसाव क्यों हुआ? इसके लिए टेक्निकल टीम गठित कर भेजी गई है, जो वहां के मलबे का सैंपल लेगा. इन टेक्निकल टीमों में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, आईआईटी रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग, भूगर्भ एवं खनिकर्म इकाई, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वैज्ञानिक शामिल हैं. इसके साथ ही इस पर भी जोर दिया जा रहा है कि किस तरह से अलर्ट सिस्टम को और मजबूत किया जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः Uttarkashi Tunnel Collapsed: रेस्क्यू के लिए पहुंचे ह्यूम पाइप और ड्रिल मशीन, टनल के पास बनाया गया अस्थायी अस्पताल, यहां देखें फंसे लोगों की सूची

रंजीत सिन्हा ने बताया कि कार्यदायी संस्था की ओर से अलर्ट सिस्टम लगाया था. लेकिन वह इफेक्टिव नहीं हो पाया. ऐसे में उसे बेहतर किया जाएगा. हालांकि, हमारे पास जितने भी रिसोर्स हैं उसका इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि सकुशल उन सभी को निकाला जा सके.

उत्तरकाशी टनल हादसा

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा के समीप बन रही निर्माणाधीन सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की जद्दोजहद जारी है. अब प्रशासन ड्रिल मशीन के जरिए मलबे में ड्रिल कर करीब साढ़े 3 फीट चौड़ा पाइप डालने की कोशिश कर रहा है, जिसके जरिए मजदूरों को निकाल सके. संभावना जताई जा रही है कि बुधवार दोपहर तक सभी मजदूरों को टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा. इसके लिए ऑगर मशीन सोमवार की रात को घटना स्थल पर पहुंचाई गई और काम शुरू किया गया. हालांकि, अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. क्योंकि मलबा हटाने पर फ्रैश मलबा भी गिर रहा है.

ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड आपदा विभाग सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि जो मजदूर अंदर फंसे हुए हैं, उनसे बातचीत करके काफी मदद भी मिल रही है. फंसे हुए मजदूरों ने बातचीत में काफी शांत होकर बताया कि अंदर की तरफ करीब 50 मीटर तक भू धंसाव की घटना हुई है. टनल के अंदर फंसे हुए लोगों को जब जानकारी मिली कि शासन प्रशासन उनको निकालने की कोशिश कर रहा है तो लोग आराम से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे हैं.

फ्रेश मलबा बन रहा मुसीबत: आपदा सचिव ने बताया कि जब सीएम धामी और वे खुद स्थलीय निरीक्षण करने गए तो उस दौरान देखा कि जैसे ही मलबा हटाया जा रहा है तो फ्रेश मलबा भी गिर रहा है, जो राहत बचाव कार्यों में समस्या बन रहा है. हालांकि, उसका ट्रीटमेंट भी किया जा रहा है. वर्तमान समय में एक पतले लोहे की पाइप से ऑक्सीजन और दूसरे पाइप के जरिए भोजन-पानी की सामाग्री भेजी जा रही है. साथ ही वॉकी टॉकी से बातचीत की जा रही है. बहरहाल टनल के अंदर फंसे सभी 40 लोग सुरक्षित हैं.
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रेस्क्यू के दूसरे दिन क्या-क्या हुआ: रेस्क्यू के दूसरे दिन ऑगर मशीन घटना स्थल पर पहुंची और मलबे को ड्रिल करके हटाने का का काम शुरू किया गया. इसके बाद करीब 900 एमएम का पाइप डाला जाएगा. ये काम सोमवार की देर रात से शुरू हो गया है. इस काम में करीब 24 से 30 घंटे लगने की संभावना है. फिलहाल एक दिक्कत आ रही कि सॉफ्ट मेटेरियल को रोकने के लिए जो टनल में रिब डाला गया था, वो भी मलवे में दब गया है. ऐसे में ड्रिल के दौरान वो भी बीच में आ सकता है. लिहाजा, उसको भी निकालने की कार्रवाई चल रही है ऐसे में ड्रिल के दौरान जब वहां तक पहुचेंगे तो उसको भी निकाल लेंगे. लिहाजा जब पाइप मलबे के अंदर डाला जाएगा तो सभी लोगों को आसानी से निकाल लिया जाएगा. इस पर कार्य चल रहा है.

रेस्क्यू में जुटे कई महकमे: राहत बचाव कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, जल निगम की तमाम मशीनों के साथ ही अन्य संस्थाओं की मशीनें लगाई गई है. इसके साथ ही वहां की टेक्निकल जानकारी के लिए कि आखिर ये भू-धंसाव क्यों हुआ? इसके लिए टेक्निकल टीम गठित कर भेजी गई है, जो वहां के मलबे का सैंपल लेगा. इन टेक्निकल टीमों में वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, आईआईटी रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग, भूगर्भ एवं खनिकर्म इकाई, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वैज्ञानिक शामिल हैं. इसके साथ ही इस पर भी जोर दिया जा रहा है कि किस तरह से अलर्ट सिस्टम को और मजबूत किया जा सकता है.
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रंजीत सिन्हा ने बताया कि कार्यदायी संस्था की ओर से अलर्ट सिस्टम लगाया था. लेकिन वह इफेक्टिव नहीं हो पाया. ऐसे में उसे बेहतर किया जाएगा. हालांकि, हमारे पास जितने भी रिसोर्स हैं उसका इस्तेमाल किया जा रहा है. ताकि सकुशल उन सभी को निकाला जा सके.

Last Updated : Nov 21, 2023, 7:00 PM IST
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