देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में लगातार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं को लेकर अब केंद्र सरकार लगातार गंभीर नजर आ रही है. बीते तीन दिनों से PMO के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा उत्तराखंड के दौरे पर रहे. इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड के सभी अहम मुद्दों पर बारीकी से मॉनिटरिंग की और एक बेहद अहम रिपोर्ट दिल्ली ले गए हैं. पीएमओ के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा ने अपने उत्तराखंड दौरे के दौरान केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यो का स्थलीय निरीक्षण किया. इससे पहले उन्होंने देहरादून में जोशीमठ आपदा पर अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक ली. इस बैठक में जोशीमठ के भविष्य को लेकर कई महत्वपूर्ण विचार विमर्श हुए.
पीएमओ से तलब की गई जोशीमठ की ताजा रिपोर्ट: जोशीमठ को लेकर हुई इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि पीएमओ के अधिकारी द्वारा जोशीमठ को लेकर पूरी लेटेस्ट रिपोर्ट बैठक में डिस्कस की गई. उन्हें बताया गया कि अब तक जोशीमठ को लेकर क्या कुछ काम किए गए हैं. आगे के लिए क्या कुछ रणनीति बनाई जा रही है. सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि पीएमओ सचिव को बताया गया कि क्या कुछ जोशीमठ में इन्वेस्टिगेशंस किए गए हैं. क्या कुछ डीपीआर तैयार की जा रही हैं. किस तरह से जोशीमठ में फाइनेंशियल सपोर्ट की जरूरत है. इन सभी विषयों पर पीएमओ से आए अधिकारी को ब्रीफ किया गया. इस पर पीएमओ के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा ने बेहद बारीकी से इन रिपोर्ट का अध्ययन किया और केंद्र की तरफ से सभी संभव मदद का आश्वासन दिया.
तय की गई जोशीमठ की बेयरिंग कैपेसिटी: बैठक में तमाम इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट को लेकर भी चर्चा की गई. सचिव आपदा प्रबंधन रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में हुए तमाम इन्वेस्टिगेशन में एक इन्वेस्टिगेशन बेयरिंग कैपेसिटी यानी कि भार क्षमता को लेकर भी की गयी. इसमें सामने आया है कि जोशीमठ की भार क्षमता केवल 10 टन है. यानी कि जोशीमठ शहर की बेयरिंग कैपेसिटी मात्र 1 मंजिला इमारत तक की है. उसमें भी लाइट स्ट्रक्चर ना कि हैवी कंक्रीट स्ट्रक्चर.
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आपदा के मुहाने पर खड़े दूसरे शहरों की बेयरिंग कैपेसिटी की भी हो रही जांच: उन्होंने बताया कि जोशीमठ में केवल ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर तक के निर्माण किए जा सकते हैं. किए गए तमाम इन्वेस्टिगेशन में यह तय हुआ है कि जोशीमठ की बेयरिंग कैपेसिटी केवल 10 टन यानी 1 मंजिला इमारत की है. जोशीमठ के हालातों को लेकर बेहद गहनता से चर्चा की गई और आने वाले समय में किसी भी तरह की परिस्थिति से निपटने के लिए रोड मैप तैयार किए गए हैं. आपदा प्रबंधन सचिव ने बताया कि केवल जोशीमठ ही नहीं बल्कि और भी कई शहर आपदा प्रबंधन विभाग की प्राथमिकता में हैं. इन शहरों के लिए भी बेयरिंग कैपेसिटी पर काम किया जा रहा है. रंजीत सिन्हा ने कहा कि आपदा प्रबंधन तंत्र लगातार अपने आप को मजबूत कर रहा है.