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ज़रा सा दर्द होने पर अगर आप भी लेते हैं पेन किलर तो हो जाएं सावधान! - pain-killers-can-be cause-of death-says-doctor

अगर आप जरा सा दर्द होने पर दर्द निवारक गोलियां (pain killer medicine) खाते रहते हैं तो ये खबर आपके लिए है. डॉक्टर का कहना है कि दर्द निवारक गोलियों का ज्यादा सेवन जानलेवा हो सकता है. इस वजहा से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग (gastrointestinal bleeding) जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है.

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Published : Oct 1, 2021, 7:23 PM IST

चंडीगढ़: लोग घरों में आमतौर पर दर्द निवारक गोलियां (pain killer medicine side effects) खाते रहते हैं. इसके लिए लोग डॉक्टर की सलाह भी नहीं लेते, लेकिन लोगों की ये आदत उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. क्योंकि दर्द निवारक गोलियों का ज्यादा सेवन करना उन कारणों में से एक है जिस वजह से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग (gastrointestinal bleeding) की बीमारी हो सकती है. जिसमें पेट के अंदरूनी अंगों में अचानक रक्त स्राव शुरू हो सकता है.

ये बीमारी इतनी गंभीर है कि मरीज की जान भी जा सकती है. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उषा दत्ता से खास बातचीत की. प्रोफेसर उषा दत्ता ने बताया कि कई बार मरीज के मुंह से अचानक खून की उल्टियां होने लगती है या उसके मल का रंग काला या लाल हो जाता है जो इस बीमारी का संकेत है. ऐसे में मरीज का बहुत सा खून शरीर से बाहर निकल जाता है. जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर

हो जाती है खून की कमी

शरीर में 5 से 6 लीटर खून होता है और इस बीमारी की वजह से अचानक ही करीब 1 लीटर खून शरीर से बाहर निकल जाता है. जिससे मरीज की धड़कन कम हो जाती है. उसका ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और उसे चक्कर आने लगता है. ऐसे में बिना वक्त गंवाए मरीज को इमरजेंसी में लाना बेहद जरूरी होता है. अगर मरीज का इलाज शुरू होने में देरी हो जाए तो उसकी जान भी जा सकती है.

किन कारणों से होती है यह बीमारी?

प्रोफेसर उषा दत्ता ने बताया कि आमतौर पर दर्द निवारक गोलियों का ज्यादा सेवन करने से ये बीमारी हो जाती है. इसके अलावा एलपायलोसी वायरस की वजह से भी ये बीमारी हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति शराब का ज्यादा सेवन करता है तो उसे भी ये बीमारी हो सकती है. कई लोगों को हेपेटाइटिस बी और सी बीमारी होती है जिससे उनके लीवर में खून जम जाता है. ये खून बाद में खाने की नली में पहुंच जाता है जिसे खाने की नली फट जाती है और वहां से रक्त स्राव शुरू हो जाता है.

पढ़ें :- NLEM में संशोधन, सरकार ने 39 दवाओं की कीमतों में की कटौती

इस बीमारी को लेकर लोगों में जानकारी की कमी

प्रोफेसर दत्ता ने बताया कि इस बीमारी को लेकर लोगों के पास जानकारी बेहद कम है. वह समझ नहीं पाते कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. जो मरीज समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते उनके लिए ये बीमारी बेहद घातक सिद्ध होती है. उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को पेट में कोई समस्या है जो ठीक नहीं हो रही है तो उसे तुरंत डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए उसे यह बीमारी हो सकती है. इसके अलावा लोगों को शराब का सेवन भी कम करना चाहिए.

कैसे करें बचाव?

इस बीमारी से बचाव को लेकर प्रोफेसर उषा दत्ता ने कहा कि लोग बेवजह दर्द निवारक गोलियां ना लें, अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो रहा है तो वह डॉक्टर की सलाह के साथ ही ऐसी गोलियों का सेवन करें. इसके अलावा शराब का सेवन बिल्कुल ना करें. लीवर की समय-समय पर जांच करवाते रहें. हेपेटाइटिस बी और सी की भी जांच कराएं. अगर किसी मरीज को इस बीमारी का शक होता है तो वह अपने मल की टेस्टिंग करवा सकता है. अगर मल के अंदर खून के कण पाए जाते हैं तो मरीज इस बीमारी से पीड़ित हो सकता है. समय पर इलाज शुरू होने से मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है.

चंडीगढ़: लोग घरों में आमतौर पर दर्द निवारक गोलियां (pain killer medicine side effects) खाते रहते हैं. इसके लिए लोग डॉक्टर की सलाह भी नहीं लेते, लेकिन लोगों की ये आदत उनके लिए जानलेवा साबित हो सकती है. क्योंकि दर्द निवारक गोलियों का ज्यादा सेवन करना उन कारणों में से एक है जिस वजह से आपको गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ब्लीडिंग (gastrointestinal bleeding) की बीमारी हो सकती है. जिसमें पेट के अंदरूनी अंगों में अचानक रक्त स्राव शुरू हो सकता है.

ये बीमारी इतनी गंभीर है कि मरीज की जान भी जा सकती है. इस बारे में हमने चंडीगढ़ पीजीआई के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर उषा दत्ता से खास बातचीत की. प्रोफेसर उषा दत्ता ने बताया कि कई बार मरीज के मुंह से अचानक खून की उल्टियां होने लगती है या उसके मल का रंग काला या लाल हो जाता है जो इस बीमारी का संकेत है. ऐसे में मरीज का बहुत सा खून शरीर से बाहर निकल जाता है. जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर

हो जाती है खून की कमी

शरीर में 5 से 6 लीटर खून होता है और इस बीमारी की वजह से अचानक ही करीब 1 लीटर खून शरीर से बाहर निकल जाता है. जिससे मरीज की धड़कन कम हो जाती है. उसका ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और उसे चक्कर आने लगता है. ऐसे में बिना वक्त गंवाए मरीज को इमरजेंसी में लाना बेहद जरूरी होता है. अगर मरीज का इलाज शुरू होने में देरी हो जाए तो उसकी जान भी जा सकती है.

किन कारणों से होती है यह बीमारी?

प्रोफेसर उषा दत्ता ने बताया कि आमतौर पर दर्द निवारक गोलियों का ज्यादा सेवन करने से ये बीमारी हो जाती है. इसके अलावा एलपायलोसी वायरस की वजह से भी ये बीमारी हो सकती है. अगर कोई व्यक्ति शराब का ज्यादा सेवन करता है तो उसे भी ये बीमारी हो सकती है. कई लोगों को हेपेटाइटिस बी और सी बीमारी होती है जिससे उनके लीवर में खून जम जाता है. ये खून बाद में खाने की नली में पहुंच जाता है जिसे खाने की नली फट जाती है और वहां से रक्त स्राव शुरू हो जाता है.

पढ़ें :- NLEM में संशोधन, सरकार ने 39 दवाओं की कीमतों में की कटौती

इस बीमारी को लेकर लोगों में जानकारी की कमी

प्रोफेसर दत्ता ने बताया कि इस बीमारी को लेकर लोगों के पास जानकारी बेहद कम है. वह समझ नहीं पाते कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. जो मरीज समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाते उनके लिए ये बीमारी बेहद घातक सिद्ध होती है. उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को पेट में कोई समस्या है जो ठीक नहीं हो रही है तो उसे तुरंत डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए उसे यह बीमारी हो सकती है. इसके अलावा लोगों को शराब का सेवन भी कम करना चाहिए.

कैसे करें बचाव?

इस बीमारी से बचाव को लेकर प्रोफेसर उषा दत्ता ने कहा कि लोग बेवजह दर्द निवारक गोलियां ना लें, अगर शरीर के किसी हिस्से में दर्द हो रहा है तो वह डॉक्टर की सलाह के साथ ही ऐसी गोलियों का सेवन करें. इसके अलावा शराब का सेवन बिल्कुल ना करें. लीवर की समय-समय पर जांच करवाते रहें. हेपेटाइटिस बी और सी की भी जांच कराएं. अगर किसी मरीज को इस बीमारी का शक होता है तो वह अपने मल की टेस्टिंग करवा सकता है. अगर मल के अंदर खून के कण पाए जाते हैं तो मरीज इस बीमारी से पीड़ित हो सकता है. समय पर इलाज शुरू होने से मरीज पूरी तरह से ठीक हो सकता है.

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