नई दिल्ली : लोकसभा ने सोमवार को स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) संशोधन विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी. इसे अदालत के आदेश के मद्देनजर कुछ त्रुटियों को दूर करने के लिये लाया गया है. कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, बीजू जनता दल और आरएसपी जैसे दलों ने विधेयक के कुछ प्रावधानों और इस विषय पर अध्यादेश का मार्ग अपनाने का विरोध किया. इनका कहना था कि इस कानून में 2014 में हुए संशोधन की त्रुटियों को दूर करने में सात साल कैसे लग गए तथा इसे पूर्व प्रभाव से लागू करने से एक और खामी पैदा हो जायेगी जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी.
विपक्षी दलों ने लोकसभा में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ संशोधन विधेयक (NDPS Amendment Bill Lok Sabha) के प्रावधानों का विरोध करते हुए सवाल किया कि इस कानून में 2014 में हुए संशोधन की त्रुटियों को दूर करने में सात साल कैसे लग गए तथा इसे पूर्व प्रभाव से लागू करने से एक और खामी पैदा हो जायेगी जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी. चर्चा के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विस्तार से जवाब दिया.
सोमवार को निचले सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) (संशोधन) विधेयक, 2021 (Nirmala Sitharaman NDPS Act) को चर्चा एवं पारित होने के लिए रखा. बीजू जनता दल (बीजद) के भर्तृहरि महताब ने संशोधन को लेकर पहले अध्यादेश जारी किये जाने पर आपत्ति जताई और कहा कि अध्यादेश के जरिये कानून लागू करना ठीक नहीं है और इस प्रणाली को बदलना होगा.
इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अध्यादेश इसलिए जरूरी था क्योंकि अदालत का आदेश था और संशोधन विधेयक की विषयवस्तु अदालत के आदेश के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने 2014 में संबंधित कानून में हुए संशोधन में विसंगति की ओर इशारा किया था. सीतारमण ने कहा कि यही मामला त्रिपुरा उच्च न्यायालय में भी आया और उसने विसंगति को तत्काल सुधारने की बात कही. उन्होंने कहा कि इसलिए विसंगति को दूर करने के लिए अध्यादेश लाया गया. इस संशोधन में उस सुधार के अलावा और कुछ नहीं है.
हालांकि भर्तृहरि महताब ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार और राजग सरकार में प्रतिवर्ष जारी किये जाने वाले अध्यादेशों की औसत संख्या बढ़ती जा रही है जो कानून बनाने का सही तरीका नहीं है. उन्होंने कहा कि वह इस विषय को बार-बार उठाते हैं कि अध्यादेश के जरिये कानून लागू करने की प्रणाली को बदलना होगा.
महताब ने यह भी कहा कि हमें देखना होगा कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने आदेश कब दिया और अध्यादेश कब लागू किया गया तो वस्तुस्थिति स्वत: ही स्पष्ट हो जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि 2014 में कानून में संशोधन में त्रुटि कैसे रह गई और पकड़ी कैसे नहीं गयी तथा इसे सुधारने में सात साल क्यों लगे.
उन्होंने कहा कि इसे पूर्व प्रभाव से लागू करने का प्रावधान एक और खामी को पैदा कर देगा जिसे अदालत में चुनौती दी जा सकेगी. बीजद सांसद माहताब ने कहा कि हमें मजबूत कानून की जरूरत है जो लागू करने योग्य और स्पष्ट हो.
चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के सुभाष भामरे ने कहा कि त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने 1985 के कानून में 2014 में किये गये एक संशोधन में एक त्रुटि का पता लगाया और केंद्र सरकार को उचित कार्रवाई के निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप उचित व्याख्या के लिए संशोधन लाया गया.
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उन्होंने कहा कि संसद नहीं चल रही थी और तत्काल संशोधन की जरूरत थी इसलिए 30 सितंबर को अध्यादेश लाया गया. भाजपा सांसद भामरे ने कहा कि संशोधन में कोई नया अपराध शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने मादक पदार्थों के मामले में कई बॉलीवुड सितारों के नाम आने का भी उल्लेख किया.
चर्चा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि इसे पूर्व प्रभाव से लागू किये जाने के प्रावधान पर सवाल उठाया और कहा कि अगर यह इसी रूप में लागू हो गया तब संविधान के अनुच्छेद 20 कोई अर्थ नहीं रह जाएगा.
क्यों लाया गया है संशोधन विधेयक
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि हाल ही में एक निर्णय में त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने कहा था कि स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) की धारा 27क का संशोधन करके जब तक समुचित विधायी परिवर्तन नहीं होता है और उसके स्थान पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड 8ख के उपखंड 1 से उपखंड 5 रख नहीं दिये जाते हैं तब तक एनडीपीएस अधिनियम की धारा 2 के खंड 8ख के उपखंड 1 से उपखंड 5 लोप या निरस्तता के प्रभाव से प्रभावित होते रहेंगे.
इसमें कहा गया है कि एनडीपीएस की धारा 27क की विसंगति को ठीक करने के लिये धारा 27क के खंड 8क के स्थान पर 8ख प्रतिस्थापित करने का निर्णय किया गया है ताकि इसके विधायी आशय को पूरा किया जा सके.
(इनपुट- पीटीआई-भाषा)