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नरक चतुर्दशी : इस दिन पूजा करने से नहीं होता अकाल मृत्यु का भय, जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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Published : Nov 2, 2021, 3:42 PM IST

नरक चतुर्दशी (narak chaturdashi 2021) बुधवार को मनाई जाएगी तो दीपावली (Deepawali Puja 2021) गुरुवार को मनाई जाएगी. हर त्योहार का पूजा विधान अलग है. इन त्योहारों पर किस मंत्र से देवताओं को प्रसन्न करें, पढ़ें पूरी रिपोर्ट.

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रांची : देश उत्सवी माहौल में डूबा हुआ है. इस पूरे सप्ताह एक के बाद एक त्योहार मनाए जाने हैं. मंगलवार यानी 2 नवंबर को धनतेरस मनाया जा रहा है तो अगले दिन यानी तीन नवंबर को नरक चतुर्दशी (narak chaturdashi 2021) मनाई जाएगी, जिसे कई जगह छोटी दीपावली भी कहा जाता है. फिर अगले दिन 4 नवंबर को दीपावली (Deepawali Puja 2021) मनाई जाएगी. फिर भैया दूज मनाई जाएगी. इसी महीने छठ पर्व भी है. एक के बाद एक त्योहारों के कारण ही सनातन धर्म (हिंदू धर्म) को मानने वालों के लिए यह कार्तिक महीना खास है. हर त्योहार किसी ने किसी धार्मिक परंपरा, आस्था और पूजा से जुड़ा हुआ है, जिसमें पूजा-अर्चना कर भक्त सबके कल्याण की कामना करते हैं.

ये भी पढ़ें-जानिए, धनतेरस पर किस मुहूर्त में क्या खरीदें और पूजा का शुभ समय

रांची के प्रसिद्ध पंडित जितेंद्र महाराज का कहना है कि दीपावली से एक दिन पहले 3 नवंबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन सरसों और तिल का दिया जलाकर मृत्यु के देवता यम की पूजा करते हैं. वहीं भक्त शरीर में सरसों का तेल लगाकर स्नान करते हैं, ताकि यमराज प्रसन्न हों और अकाल मृत्यु न हो. पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि 3 नवंबर 2021 दिन बुधवार को 9 बजकर 02 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी. इसके बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी. इस दिन प्रदोष काल में दीप दान करना शुभ माना जाता है.

जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


क्यों कहते हैं रूप चतुर्दशी

पंडित जितेंद्र का कहना है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था उसी के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. पंडित बताते हैं कि इस दिन व्यक्ति को शरीर पर तेल की मालिश करनी चाहिए. यह भी पूजा का विधान है. इससे लोगों का रूप सुंदर होता है. इसलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है.

ऐसे करें यम पूजा

पंडित जितेंद्र का कहना है कि इस दिन यम की पूजा की जाती है. विधि विधान के अनुसार दीपावली से एक दिन पूर्व पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के सामने जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता के अनुसार यम की पूजा करने से लोगों की अकाल मृत्यु नहीं होती है.

इस दिन इनकी भी होती है पूजा

पुरोहितों के मुताबिक, इस दिन काली देवी की भी पूजा की जाती है. यह पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध भगवान श्री कृष्ण द्वारा किया गया था. भगवान भोलेनाथ और बजरंगबली की भी पूजा इस दिन की जाती है, ताकि जीवन में आने वाले सभी संकट टल सकें. मान्यता के अनुसार यदि नरक चतुर्दशी की पूजा विधि-विधान से की जाए तो व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे स्वर्ग प्राप्त होता है.

ये भी पढ़ें-धन त्रयोदशी पर्व-2021: धन-प्राप्ति अनुष्ठानों के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है दीपावली

दीपावली पर दिनभर शुभ मुहूर्त

पंडित जितेंद्र का कहना है कि नरक चतुर्दशी के बाद दीपावली मनाई जाती है.पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि गुरुवार को दीपावली का मुहूर्त बहुत शुभ है. दीपावली के दिन दिनभर लोग पूजा कर सकते हैं. इस दिन भगवती लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दीपावली के दिन यानी कार्तिक अमावस्या को माता लक्ष्मी की पूजा करने से पहले गणेश भगवान की पूजा आवश्यक है.

इस दिन गाय की पूजा

दीपावली के बाद सनातन धर्म के अनुसार गाय की पूजा की जाती है. इस दिन लोग गाय को अन्नदान कर शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं. माना जाता है कि गाय की पूजा के साथ यमद्वितीया की पूजा समाप्त होती है उसके बाद ही कोई शुभ कार्य किया जाता है.


मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का करें जाप

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

रांची : देश उत्सवी माहौल में डूबा हुआ है. इस पूरे सप्ताह एक के बाद एक त्योहार मनाए जाने हैं. मंगलवार यानी 2 नवंबर को धनतेरस मनाया जा रहा है तो अगले दिन यानी तीन नवंबर को नरक चतुर्दशी (narak chaturdashi 2021) मनाई जाएगी, जिसे कई जगह छोटी दीपावली भी कहा जाता है. फिर अगले दिन 4 नवंबर को दीपावली (Deepawali Puja 2021) मनाई जाएगी. फिर भैया दूज मनाई जाएगी. इसी महीने छठ पर्व भी है. एक के बाद एक त्योहारों के कारण ही सनातन धर्म (हिंदू धर्म) को मानने वालों के लिए यह कार्तिक महीना खास है. हर त्योहार किसी ने किसी धार्मिक परंपरा, आस्था और पूजा से जुड़ा हुआ है, जिसमें पूजा-अर्चना कर भक्त सबके कल्याण की कामना करते हैं.

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रांची के प्रसिद्ध पंडित जितेंद्र महाराज का कहना है कि दीपावली से एक दिन पहले 3 नवंबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इस दिन सरसों और तिल का दिया जलाकर मृत्यु के देवता यम की पूजा करते हैं. वहीं भक्त शरीर में सरसों का तेल लगाकर स्नान करते हैं, ताकि यमराज प्रसन्न हों और अकाल मृत्यु न हो. पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि 3 नवंबर 2021 दिन बुधवार को 9 बजकर 02 मिनट तक त्रयोदशी तिथि रहेगी. इसके बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी. इस दिन प्रदोष काल में दीप दान करना शुभ माना जाता है.

जानिए मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व


क्यों कहते हैं रूप चतुर्दशी

पंडित जितेंद्र का कहना है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था उसी के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. पंडित बताते हैं कि इस दिन व्यक्ति को शरीर पर तेल की मालिश करनी चाहिए. यह भी पूजा का विधान है. इससे लोगों का रूप सुंदर होता है. इसलिए इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है.

ऐसे करें यम पूजा

पंडित जितेंद्र का कहना है कि इस दिन यम की पूजा की जाती है. विधि विधान के अनुसार दीपावली से एक दिन पूर्व पुराने दीपक में सरसों का तेल और पांच अन्न के दाने डालकर इसे घर के सामने जलाकर रखा जाता है. इसे यम दीपक भी कहते हैं. मान्यता के अनुसार यम की पूजा करने से लोगों की अकाल मृत्यु नहीं होती है.

इस दिन इनकी भी होती है पूजा

पुरोहितों के मुताबिक, इस दिन काली देवी की भी पूजा की जाती है. यह पूजा नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में की जाती है. माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा से जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन नरकासुर राक्षस का वध भगवान श्री कृष्ण द्वारा किया गया था. भगवान भोलेनाथ और बजरंगबली की भी पूजा इस दिन की जाती है, ताकि जीवन में आने वाले सभी संकट टल सकें. मान्यता के अनुसार यदि नरक चतुर्दशी की पूजा विधि-विधान से की जाए तो व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे स्वर्ग प्राप्त होता है.

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दीपावली पर दिनभर शुभ मुहूर्त

पंडित जितेंद्र का कहना है कि नरक चतुर्दशी के बाद दीपावली मनाई जाती है.पंडित जितेंद्र महाराज ने बताया कि गुरुवार को दीपावली का मुहूर्त बहुत शुभ है. दीपावली के दिन दिनभर लोग पूजा कर सकते हैं. इस दिन भगवती लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दीपावली के दिन यानी कार्तिक अमावस्या को माता लक्ष्मी की पूजा करने से पहले गणेश भगवान की पूजा आवश्यक है.

इस दिन गाय की पूजा

दीपावली के बाद सनातन धर्म के अनुसार गाय की पूजा की जाती है. इस दिन लोग गाय को अन्नदान कर शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं. माना जाता है कि गाय की पूजा के साथ यमद्वितीया की पूजा समाप्त होती है उसके बाद ही कोई शुभ कार्य किया जाता है.


मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का करें जाप

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद प्रसीद

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

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