नई दिल्ली : देश की अधिकांश महिलाएं किसी न किसी रूप में अर्थव्यवस्था अपना योगदान देती हैं. हालांकि उनके अधिकांश कामों का आधिकारिक आंकड़ों में लेखा-जोखा नहीं होता है और उन्हें कम रिपोर्ट किया जाता है. लेकिन वे सरकार के ई श्रम पर पंजीकृत असंगठित श्रमिकों के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं. ई-श्रम पोर्टल पर पूछे गए सवाल के जवाब में सरकार ने गुरुवार को सदन को बताया. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा किए गए पीरियोडिक अर्थात आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के आंकड़ों का हवाला देते हुए सरकार ने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से कम थीं. वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान आयोजित वार्षिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के परिणामों के अनुसार सामान्य स्थिति पर 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए अनुमानित श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर) 22 प्रतिशत थी 2017-18 में, 23.3 प्रतिशत थी 2018-19 में और वहीं 2019-20 में यह बढ़कर 28.7 प्रतिशत थी. राज्य सभा में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में सरकार ने इस वास्तविकता को स्वीकार किया कि अर्थव्यवस्था में महिलाओं के योगदान को कम बताया गया है.
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की चुनौती: अपने जवाब में श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी और उनके रोजगार की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कई उपायों को बताया. यादव ने कहा कि महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में कई सुरक्षात्मक प्रावधान शामिल किए गए हैं. उदाहरण के लिए सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में सवैतनिक मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने, 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में अनिवार्य क्रेच सुविधा का प्रावधान, पर्याप्त सुरक्षा उपायों के साथ रात की पाली में महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति देने का प्रावधान है. इसके अलावा व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति (OSH), 2020 पर संहिता में उपरोक्त खदानों में महिलाओं के रोजगार के प्रावधान हैं जिसमें ओपनकास्ट कामकाज भी शामिल है. जिसकी अनुमति शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच दी गई है. जमीन के नीचे के स्थानों के मामले में तकनीकी, पर्यवेक्षी और प्रबंधकीय कार्यों में सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे के बीच काम करना, जहां निरंतर उपस्थिति की आवश्यकता नहीं हो सकती है.
कोई भेदभाव नहीं: वेतन पर संहिता-2019 किसी भी कर्मचारी द्वारा किए गए समान कार्य या समान प्रकृति के कार्य के संबंध में समान नियोक्ता द्वारा मजदूरी के भुगतान में लिंग के आधार पर कर्मचारियों के बीच किसी भी भेदभाव को रोकती है. इसके अलावा कोई भी नियोक्ता किसी भी कर्मचारी को समान काम या समान प्रकृति के काम के लिए रोजगार की शर्तों में भर्ती करते समय लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा, सिवाय इसके कि ऐसे काम में महिलाओं का रोजगार किसी भी कानून के तहत प्रतिबंधित है. यादव ने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है.
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