नई दिल्ली : प्रधानमंत्री ने मन की बात की 80वीं कड़ी में कहा कि हम सबको पता है आज मेजर ध्यानचंद जी की जन्म जयंती है और हमारा देश उनकी स्मृति में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाता भी है. क्योंकि दुनिया में भारत की हॉकी का डंका बजाने का काम ध्यानचंद जी की हॉकी ने किया था. उन्होंने कहा कि कितने ही पदक क्यों न मिल जाएं, लेकिन जब तक हॉकी में पदक नहीं मिलता भारत का कोई भी नागरिक विजय का आनंद नहीं ले सकता है और इस बार चार दशक के बाद ओलंपिक में हॉकी का पदक मिला.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब खेल-कूद की बात होती है तो स्वाभाविक है हमारे सामने पूरी युवा पीढ़ी नजर आती है, और जब युवा पीढ़ी की तरफ गौर से देखते हैं कितना बड़ा बदलाव नजर आ रहा है. युवा का मन बदल चुका है. उन्होंने कहा कि आज का युवा मन बने बनाए रास्तों पर चलना नहीं चाहता है. वो नए रास्ते बनाना चाहता है. नई जगह पर कदम रखना चाहता है. मंजिल भी नयी, लक्ष्य भी नए, राह भी नयी और चाह भी नयी, अरे एक बार मन में ठान लेता है युवा तो जी-जान से जुट जाता है. इसके लिए वही दिन-रात मेहनत कर रहा है.
पीएम मोदी ने कहा कि हम देखते हैं, अभी कुछ समय पहले ही, भारत ने, अपने स्पेस क्षेत्र को ओपन किया और देखते ही देखते युवा पीढ़ी ने उस मौके को पकड़ लिया और इसका लाभ उठाने के लिए कॉलेजों के स्टूडेंट, यूनिवर्सिटी, प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले नौजवान बढ़-चढ़ कर आगे आए हैं. उन्होंने कहा कि हमारे आज के युवा का मन बदल चुका है. आज छोटे-छोटे शहरों में भी स्टार्ट-अप कल्चर का विस्तार हो रहा है और मैं उसमें उज्जवल भविष्य के संकेत देख रहा हूं.
मन की बात में पीएम ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही हमारे देश में खिलौनों की चर्चा हो रही थी. देखते ही देखते जब हमारे युवाओं के ध्यान में ये विषय आया उन्होंने भी मन में ठान लिया कि दुनिया में भारत के खिलौनों की पहचान कैसे बने. उन्होंने कहा कि खिलौने कैसे बनाना, खिलौने की विविधता क्या हो, खिलौनों में टेक्नालॉजी क्या हो,
बाल मनोविज्ञान के अनुरूप खिलौने कैसे हों, आज हमारे देश का युवा उसकी ओर ध्यान केन्द्रित कर रहा है, कुछ कंट्रीब्यूट करना चाहता है. उन्होंने कहा कि मेरे देश का युवा मन अब सर्वश्रेष्ठ की तरफ अपने आपको केन्द्रित कर रहा है. सर्वोत्तम करना चाहता है, सर्वोत्तम तरीके से करना चाहता है. ये भी राष्ट्र की बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा.
उन्होंने कहा कि इस बार ओलंपिक ने बहुत बड़ा प्रभाव पैदा किया है. ओलंपिक के खेल पूरे हुए अभी पैरालंपिक चल रहा है. देश को हमारे इस खेल जगत में जो कुछ भी हुआ, विश्व की तुलना में भले कम होगा, लेकिन विश्वास भरने के लिए तो बहुत कुछ हुआ. प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे प्यारे नौजवानों, हमें, इस अवसर का फायदा उठाते हुए अलग-अलग प्रकार के खेलों में महारत भी हासिल करनी चाहिए. गांव-गांव खेलों की स्पर्धाएं निरंतर चलती रहनी चाहिए.
पीएम ने कहा देशवासी यह सिलसिला जितना आगे बढ़ा सकते हैं, जितना योगदान हम दे सकते हैं, 'सबका प्रयास' इस मंत्र से साकार करके दिखाएं. पीएम मोदी ने कहा कि कल जन्माष्टमी का महापर्व भी है. जन्माष्टमी का ये पर्व यानी, भगवान श्री कृष्ण के जन्म का पर्व. हम भगवान के सब स्वरूपों से परिचित हैं, नटखट कन्हैया से ले करके विराट रूप धारण करने वाले कृष्ण तक, शास्त्र सामर्थ्य से ले करके शस्त्र सामर्थ्य वाले कृष्ण तक. उन्होंने कहा कि सोमनाथ मंदिर से 3-4 किलोमीटर दूरी पर ही भालका तीर्थ है, ये भालका तीर्थ वो है जहां भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अपने अंतिम पल बिताये थे. एक प्रकार से इस लोक की उनकी लीलाओं का वहां समापन हुआ था.
मन की बात में पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने पर्व मनाएं, उसकी वैज्ञानिकता को समझें, उसके पीछे के अर्थ को समझें. इतना ही नहीं हर पर्व में कोई न कोई सन्देश है, कोई-न-कोई संस्कार है. हमें इसे जानना भी है, जीना भी है और आने वाली पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में उसे आगे बढ़ाना भी है.
इसीक्रम में उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृत भाषा सरस भी है, सरल भी है. संस्कृत अपने विचारों, अपने साहित्य के माध्यम से ये ज्ञान विज्ञान और राष्ट्र की एकता का भी पोषण करती है, उसे मजबूत करती है. संस्कृत साहित्य में मानवता और ज्ञान का ऐसा ही दिव्य दर्शन है जो किसी को भी आकर्षित कर सकता है. पीएम ने कहा कि हाल के दिनों में जो प्रयास हुए हैं, उनसे संस्कृत को लेकर एक नई जागरूकता आई है. अब समय है कि इस दिशा में हम अपने प्रयास और बढ़ाएं.