कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के साथ प्रचार किया. उन्होंने मंगलवार को लखनऊ में संयुक्त रैली में भाग लिया. अगले महीने वह वाराणसी में एक ऐसी ही रैली में भाग लेंगी, जिस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं.
हालांकि आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की कोई हिस्सेदारी नहीं है. पार्टी ने समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की एकजुटता में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है.
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी का ये कदम 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए जमीन तैयार करने का सतर्क कदम माना जा रहा है. तृणमूल कांग्रेस उत्तर प्रदेश से अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारना चाहती है.
वाराणसी में ममता बनर्जी का कार्यक्रम 3 मार्च 2022 को निर्धारित है. वह 2 मार्च को पहुंचेंगी और वहां के प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगी. उसी शाम गंगा आरती में भी भाग लेंगी. 3 मार्च 2022 को ममता बनर्जी अखिलेश यादव के साथ संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगी.
वर्तमान में सभी की निगाहें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों पर हैं और इसी तरह ममता बनर्जी का भी इस ओर ध्यान है. हालांकि, उनका ध्यान विधानसभा चुनाव पर केंद्रित नहीं है बल्कि यह 2024 के लोकसभा चुनाव के दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में है.
हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षकों को मुख्यमंत्री के इस दौरे से तृणमूल कांग्रेस को ज्यादा फायदा होने की उम्मीद नहीं है. राजनीतिक विश्लेषक और प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय के अनुसार, उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस की संभावनाओं पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.
उन्होंने कहा कि सामान्य दृष्टिकोण यह है कि तृणमूल कांग्रेस खुद उत्तर प्रदेश में कुछ शानदार हासिल करने की उम्मीद नहीं कर रही है. हालांकि, 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर खुद का विस्तार करने की कोशिश कर रही है और ऐसा करने के लिए उत्तर प्रदेश में कदम रखना जरूरी है.
उन्होंने कहा, इसलिए ममता बनर्जी उत्तर भारतीय राज्य पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, जो 2024 के लोकसभा चुनावों पर नजर गड़ाए हुए है. लेकिन यह देखना होगा कि वह अपने काम में कितनी सफल होंगी.
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इसी तरह, राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर, राजीव रे ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि राष्ट्रीय दल कई राज्यों में अपने 'पंख फैलाने' की कोशिश करते हैं लेकिन यह कहना मुश्किल है कि तृणमूल कांग्रेस जैसी क्षेत्रीय पार्टी उसमें कहां तक सफल होगी. अगर ऐसा हो सकता है, तो वह सफलता वास्तव में शानदार होगी.'
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