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Joshimath Sinking को लेकर NDMA की रिपोर्ट, ज्योतिर्मठ से लेकर शहर के भविष्य की साफ हुई 'तस्वीर', जानें खास बातें

Joshimath Landslide NDMA report जोशीमठ भू धंसाव को लेकर NDMA ने रिपोर्ट तैयार कर दी है. इस रिपोर्ट के बाद जोशीमठ शहर को लेकर स्थिति कुछ साफ होती नजर आ रही है. रिपोर्ट में मुताबिक जोशीमठ शहर को तीन जोन में बांटा गया है. इसके साथ ही यहां मौजूद मकानों को भी अलग-अलग 4 कैटेगरी में बांटा गया है. अब इन्हीं को लेकर आगे की कार्रवाई होगी. जोशीमठ भू धंसाव को लेकर NDMA की रिपोर्ट, ज्योतिर्मठ से लेकर शहर के भविष्य की साफ हुई 'तस्वीर', जानें खास बातें

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Joshimath Sinking को लेकर NDMA की रिपोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 25, 2023, 3:53 PM IST

Updated : Sep 27, 2023, 11:43 AM IST

देहरादून (उत्तराखंड): जोशीमठ में हुए भू धंसाव को लेकर NDMA (National Disaster Management Authority) ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट सामने आने के बाद अब जोशीमठ शहर में पुनर्निर्माण और रिहैबिलिटेशन को लेकर काम किया जा रहा है. जोशीमठ पुनर्निर्माण और रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया को किस तरह अंजाम दिया जाएगा, इसके बारे में आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने जानकारी दी. जोशीमठ के प्रमुख ज्योतिर्लिंग और आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित गद्दी स्थल को लेकर भी आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति स्पष्ट की है. रंजीत सिन्हा ने बताया कि गद्दी स्थल को पूरी तरह से रेट्रो फिटिंग कर सुरक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा इसे बचाने के लिए जो भी हो सकेगा, सब प्रयास किये जाएंगे.

joshimath sinking
भू धंसाव के बाद जोशीमठ पर सरकार का फोकस

जोशीमठ में अब रेनोवेशन में भी दिक्कत, 4 जोन में बांटे गए सभी मकान: तकरीबन आठ महीने बाद नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अलग-अलग तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञ ने जोशीमठ के हालातों पर रिसर्च की. जिसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में कई तरह की अहम बातें कही गई हैं. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया जोशीमठ घटनाक्रम पर विस्तार में तैयार की गई रिपोर्ट में पूरे शहर को तीन अलग अलग हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क जोन जोन में बांटा गया है. इसके अलावा सीबीआई इंस्टीट्यूट रुड़की द्वारा की गई जांच के बाद जोशीमठ शहर में मौजूद मकानों को भी कर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. इन मकानों की कैटेगरी इस तरह है.

joshimath sinking
जोशीमठ भू धंसाव के बाद रिस्क में रह रहे लोग

पढ़ें-दरार की खबरों से फिर सुर्खियों में बदरीनाथ धाम, मंदिर के खतरे को लेकर सामने आई ये रिपोर्ट

  • ब्लैक कैटेगिरी: यह वो मकान हैं जो हाई रिस्क जोन में मौजूद हैं. इन्हें हटाया जाना बेहद जरूरी है. इन मकानों को पूरी तरह से हटाया जाएगा. यहां पर दोबारा किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जाएगा. ये फैसला लिया जा चुका है.
  • रेड कैटेगिरी: रेट कैटेगरी के मकान भले ही हाई रिस्क जोन में ना हों, लेकिन इन्वेस्टिगेशन के बाद इन्हें भी क्षतिग्रस्त किया जाना है. इन पर दोबारा किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता है.
  • येलो कैटेगिरी: येलो कैटेगरी में उन मकानों को रखा गया है जो कि क्षतिग्रस्त तो हैं, लेकिन इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के बाद डीपीआर में इनके निर्माण को लेकर के विचार किया जा सकता है.
    ग्रीन कैटेगिरी: ग्रीन कैटेगरी में वे मकान हैं, जो किसी भी तरह के रिस्क जोन में मौजूद नहीं हैं. यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

पढ़ें- Joshimath Landslide: इस मॉडल को अपनाकर भू-धंसाव से बच सकेंगे जोशीमठ जैसे संवेदनशील शहर, जानें पूरा प्लॉन

रेड जोन एरिया में बनाया जायेगा भव्य गार्डन: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में हाई रिस्क जोन का डिमार्केशन हो चुका है. भारत सरकार की मंजूरी के बाद इस हाई रिस्क जोन में सभी निर्माण कार्यों को ध्वस्त किया जाएगा. इसके बाद यहां पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं होगा. साथ ही इस हाई रिस्क जोन में सभी मकान और अन्य निर्माणों को हटाकर एक भव्य गार्डन बनाया जाएगा. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि हाई रिस्क जोन के डिमार्केशन और उसके निर्धारण को लेकर मैप तैयार किया गया है. इस मैप को जिला प्रशासन को भी उपलब्ध कराया गया है.

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जोशीमठ में खतरे की वजह

हाई रिस्क जोन में कुछ बड़े इलाके हैं. कुछ छोटे-छोटे इलाके भी इसमें शामिल किए गए हैं. इनमें ज्यादातर उन इलाकों को लिया गया है, जहां पर घरों में और जमीन पर बड़ी दरारें हैं. PDNA की रिपोर्ट में हाई रिस्क जोन में जोशीमठ के सिंह धार, मारवाड़ी, सुनील गांव इत्यादि इलाकों को शामिल किया गया है.

पढ़ें- अनियोजित विकास से बिगड़ रहा पहाड़ का जियोग्रॉफिकल स्ट्रक्चर, अस्तित्व पर मंडरा रहा 'खतरा'

विस्थापन की प्रक्रिया में हो रही देरी: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया PDNA यानी पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट की आखिरी रिपोर्ट में विस्थापन और पुनर्निर्माण के लिए 1800 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था. इसमें 1400 करोड़ केंद्र द्वारा दिया जाना है. बाकी राज्य अपने संसाधनों से व्यवस्था करेगा.

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आज भी पुनर्वास का इंतजार

जोशीमठ पर विस्थापन की मौजूदा स्थिति की बात की जाए तो आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार अब तक 150 लोगों को मुआवजा वितरित किया जा चुका है. यह राज्य सरकार ने अपने बजट से दिया है. यह प्रक्रिया लगातार जारी है. वहीं इसके अलावा भारत सरकार द्वारा भी सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है. केंद्र द्वारा बजट रिलीज होते ही बाकी मुआवजे की कार्रवाई को भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा.

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जोशीमठ में दरारें

पढ़ें- उत्तराखंड में कछुआ गति से चल रहा है रिस्क असेसमेंट का काम, जोशीमठ आपदा के बाद भी लापरवाही!

गद्दीस्थल ज्योतिर्मठ को बचाया जाएगा: जोशीमठ उच्च हिमालय क्षेत्र में बसा उत्तराखंड का पौराणिक और ऐतिहासिक शहर है. यह अब सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हो चुका है. इसे बचाने के लिए पिछले कई महीनों से उत्तराखंड सरकार, आपदा प्रबंधन विभाग, केंद्र की नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन अथॉरिटी मिलकर कई तकनीकी संस्थानों के साथ काम रही हैं.

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जोशीमठ शह

अब सभी संस्थाओं ने साथ मिलकर एनडीएमए को अपनी फाइनल रिपोर्ट दे दी है. जिसमें जोशीमठ शहर के पुनर्निर्माण को लेकर के विस्तार में बातें कही गई हैं. वहीं, जोशीमठ के प्रमुख ज्योतिर्लिंग और आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित गद्दी स्थल को लेकर भी आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति को स्पष्ट की है. रंजीत सिन्हा ने बताया कि गद्दी स्थल को पूरी तरह से रेट्रो फिटिंग कर सुरक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा इसे बचाने के लिए जो भी हो सकेगा सब प्रयास किये जाएंगे.

देहरादून (उत्तराखंड): जोशीमठ में हुए भू धंसाव को लेकर NDMA (National Disaster Management Authority) ने विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट सामने आने के बाद अब जोशीमठ शहर में पुनर्निर्माण और रिहैबिलिटेशन को लेकर काम किया जा रहा है. जोशीमठ पुनर्निर्माण और रिहैबिलिटेशन की प्रक्रिया को किस तरह अंजाम दिया जाएगा, इसके बारे में आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने जानकारी दी. जोशीमठ के प्रमुख ज्योतिर्लिंग और आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित गद्दी स्थल को लेकर भी आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति स्पष्ट की है. रंजीत सिन्हा ने बताया कि गद्दी स्थल को पूरी तरह से रेट्रो फिटिंग कर सुरक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा इसे बचाने के लिए जो भी हो सकेगा, सब प्रयास किये जाएंगे.

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भू धंसाव के बाद जोशीमठ पर सरकार का फोकस

जोशीमठ में अब रेनोवेशन में भी दिक्कत, 4 जोन में बांटे गए सभी मकान: तकरीबन आठ महीने बाद नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अलग-अलग तकनीकी संस्थानों के विशेषज्ञ ने जोशीमठ के हालातों पर रिसर्च की. जिसके बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में कई तरह की अहम बातें कही गई हैं. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया जोशीमठ घटनाक्रम पर विस्तार में तैयार की गई रिपोर्ट में पूरे शहर को तीन अलग अलग हाई रिस्क, मीडियम रिस्क और लो रिस्क जोन जोन में बांटा गया है. इसके अलावा सीबीआई इंस्टीट्यूट रुड़की द्वारा की गई जांच के बाद जोशीमठ शहर में मौजूद मकानों को भी कर अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया है. इन मकानों की कैटेगरी इस तरह है.

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जोशीमठ भू धंसाव के बाद रिस्क में रह रहे लोग

पढ़ें-दरार की खबरों से फिर सुर्खियों में बदरीनाथ धाम, मंदिर के खतरे को लेकर सामने आई ये रिपोर्ट

  • ब्लैक कैटेगिरी: यह वो मकान हैं जो हाई रिस्क जोन में मौजूद हैं. इन्हें हटाया जाना बेहद जरूरी है. इन मकानों को पूरी तरह से हटाया जाएगा. यहां पर दोबारा किसी भी तरह का निर्माण नहीं किया जाएगा. ये फैसला लिया जा चुका है.
  • रेड कैटेगिरी: रेट कैटेगरी के मकान भले ही हाई रिस्क जोन में ना हों, लेकिन इन्वेस्टिगेशन के बाद इन्हें भी क्षतिग्रस्त किया जाना है. इन पर दोबारा किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता है.
  • येलो कैटेगिरी: येलो कैटेगरी में उन मकानों को रखा गया है जो कि क्षतिग्रस्त तो हैं, लेकिन इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट के बाद डीपीआर में इनके निर्माण को लेकर के विचार किया जा सकता है.
    ग्रीन कैटेगिरी: ग्रीन कैटेगरी में वे मकान हैं, जो किसी भी तरह के रिस्क जोन में मौजूद नहीं हैं. यह पूरी तरह से सुरक्षित हैं.

पढ़ें- Joshimath Landslide: इस मॉडल को अपनाकर भू-धंसाव से बच सकेंगे जोशीमठ जैसे संवेदनशील शहर, जानें पूरा प्लॉन

रेड जोन एरिया में बनाया जायेगा भव्य गार्डन: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में हाई रिस्क जोन का डिमार्केशन हो चुका है. भारत सरकार की मंजूरी के बाद इस हाई रिस्क जोन में सभी निर्माण कार्यों को ध्वस्त किया जाएगा. इसके बाद यहां पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं होगा. साथ ही इस हाई रिस्क जोन में सभी मकान और अन्य निर्माणों को हटाकर एक भव्य गार्डन बनाया जाएगा. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि हाई रिस्क जोन के डिमार्केशन और उसके निर्धारण को लेकर मैप तैयार किया गया है. इस मैप को जिला प्रशासन को भी उपलब्ध कराया गया है.

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जोशीमठ में खतरे की वजह

हाई रिस्क जोन में कुछ बड़े इलाके हैं. कुछ छोटे-छोटे इलाके भी इसमें शामिल किए गए हैं. इनमें ज्यादातर उन इलाकों को लिया गया है, जहां पर घरों में और जमीन पर बड़ी दरारें हैं. PDNA की रिपोर्ट में हाई रिस्क जोन में जोशीमठ के सिंह धार, मारवाड़ी, सुनील गांव इत्यादि इलाकों को शामिल किया गया है.

पढ़ें- अनियोजित विकास से बिगड़ रहा पहाड़ का जियोग्रॉफिकल स्ट्रक्चर, अस्तित्व पर मंडरा रहा 'खतरा'

विस्थापन की प्रक्रिया में हो रही देरी: आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया PDNA यानी पोस्ट डिजास्टर नीड एसेसमेंट की आखिरी रिपोर्ट में विस्थापन और पुनर्निर्माण के लिए 1800 करोड़ का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था. इसमें 1400 करोड़ केंद्र द्वारा दिया जाना है. बाकी राज्य अपने संसाधनों से व्यवस्था करेगा.

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आज भी पुनर्वास का इंतजार

जोशीमठ पर विस्थापन की मौजूदा स्थिति की बात की जाए तो आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार अब तक 150 लोगों को मुआवजा वितरित किया जा चुका है. यह राज्य सरकार ने अपने बजट से दिया है. यह प्रक्रिया लगातार जारी है. वहीं इसके अलावा भारत सरकार द्वारा भी सैद्धांतिक स्वीकृति मिल चुकी है. केंद्र द्वारा बजट रिलीज होते ही बाकी मुआवजे की कार्रवाई को भी जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा.

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जोशीमठ में दरारें

पढ़ें- उत्तराखंड में कछुआ गति से चल रहा है रिस्क असेसमेंट का काम, जोशीमठ आपदा के बाद भी लापरवाही!

गद्दीस्थल ज्योतिर्मठ को बचाया जाएगा: जोशीमठ उच्च हिमालय क्षेत्र में बसा उत्तराखंड का पौराणिक और ऐतिहासिक शहर है. यह अब सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण हो चुका है. इसे बचाने के लिए पिछले कई महीनों से उत्तराखंड सरकार, आपदा प्रबंधन विभाग, केंद्र की नेशनल डिजास्टर मिटिगेशन अथॉरिटी मिलकर कई तकनीकी संस्थानों के साथ काम रही हैं.

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जोशीमठ शह

अब सभी संस्थाओं ने साथ मिलकर एनडीएमए को अपनी फाइनल रिपोर्ट दे दी है. जिसमें जोशीमठ शहर के पुनर्निर्माण को लेकर के विस्तार में बातें कही गई हैं. वहीं, जोशीमठ के प्रमुख ज्योतिर्लिंग और आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित गद्दी स्थल को लेकर भी आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति को स्पष्ट की है. रंजीत सिन्हा ने बताया कि गद्दी स्थल को पूरी तरह से रेट्रो फिटिंग कर सुरक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा इसे बचाने के लिए जो भी हो सकेगा सब प्रयास किये जाएंगे.

Last Updated : Sep 27, 2023, 11:43 AM IST
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