ETV Bharat / bharat

Maha Navami 2022: कन्या पूजन संग करें यह उपाय, मिलेगा माता का विशेष आशीर्वाद - महानवमी हवन मुहूर्त

नवरात्र में जगत जननी माँ जगदम्बा दुर्गाजी की पूजा-अर्चना की विशेष महिमा है. ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि नवरात्र के धार्मिक अनुष्ठान में पूजा-अर्चना के पश्चात कुमारी कन्या की पूजा (Maha Navami 2022) करना अत्यन्त आवश्यक है.

ईटीवी भारत
Maha Navami 2022
author img

By

Published : Oct 4, 2022, 7:19 AM IST

वाराणसी:कुमारी कन्याओं को त्रिशक्ति यानि महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती देवी का रूप माना गया है. नवरात्र में व्रतकर्ता को या देवीभक्त को व्रत के पारण के पूर्व कुमारी कन्या एवं बटुक की विधि-विधानपूर्वक पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. आदिशक्ति की अर्चना करके हवन आदि करने का विधान है.

महानवमी हवन मुहूर्त: ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 4 अक्टूबर मंगलवार को दिन में 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. तदुपरान्त दशमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि 5 अक्टूबर बुधवार को दिन में 12 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. महानवमी का व्रत 4 अक्टूबर मंगलवार को रखा जाएगा.

महानवमी पूजा विधि: महानवमी का व्रत (Maha Navami 2022) रखकर जगदम्बाजी की विधि विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कीजाएगी. महानवमी तिथि के दिन बटुक व कुमारी पूजन का विधान है. नवरात्र व्रत का पारण- आश्विन शुक्लपक्ष की दशमी तिथि 5 अक्टूबर बुधवार को किया जाएगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र 4 अक्टूबर, मंगलवार को रात्रि 10 बजकर 51 मिनट पर लगेगा जो कि 5 अक्टूबर बुधवार को रात्रि 9 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. विजया दशमी का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा. इसी दिन अपराजिता देवी तथा शमी वृक्ष की पूजा होती है साथ ही शस्त्रों के पूजन का भी विधान है.

विजया दशमी के दिन नीलकण्ठ पक्षी का दर्शन किया जाता है, उन्हें आजाद करवाया जाता है. ज्योतिष मान्यता है कि राशि रंग के अनुसार यदि पूजा-अर्चना की जाए तो विशेष लाभदायी रहती है.

कौन-सा रंग किस राशियों के लिए लाभदायक है-

  • मेष- लाल, गुलाबी एवं नारंगी
  • वृषभ-सफेद एवं क्रीम
  • मिथुन-हरा व फिरोजी
  • कर्क- सफेद व क्रीम
  • सिंह- केसरिया, लाल व गुलाबी
  • कन्या- हरा व फिरोजी
  • तुला- सफेद व हल्का नीला
  • वृश्चिक- नारंगी, लाल व गुलाबी
  • धनु- पीला व सुनहरा
  • मकर व कुम्भ-भूरा, स्लेटी व ग्रे
  • मीन- पीला व सुनहरा

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि देवीभागवत ग्रन्थ के अनुसार अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए अलग-अलग वर्ण या सभी वर्णों की कन्याओं का पूजन करना चाहिए. धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है कि

  • ब्राह्मण वर्ण की कन्या शिक्षा ज्ञानार्जन व प्रतियोगिता
  • क्षत्रिय वर्ण की कन्या- सुयश व राजकीय पक्ष से लाभ - वैश्य वर्ण की कन्या आर्थिक समृद्धि व धनवृद्धि के लिए
  • शुद्र वर्ण की कन्या- कार्यसिद्धि एवं शत्रुओं पर विजय के लिए विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

महानवमी पूजा का लाभ: दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्या को देवी स्वरूप माना गया है, जिनकी नवरात्र पर भक्तिभाव के साथ पूजा करने से भगवती जगदम्बा का आशीर्वाद मिलता है. शास्त्रों में दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पाँच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छः वर्ष की कन्या को काली, सात वर्ष की कन्या को चण्डिका, आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी एवं नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा के नाम से दर्शाया गया है.


कुमारी कन्या की आयु (उम्र) विशेष पूजा के अनुसार भी अलग-अलग फल मिलते हैं. दो वर्ष की कन्या- दुःख दारिद्र्य से मुक्ति, तीन वर्ष की कन्या- धन-धान्य का सुयोग, चार वर्ष की कन्या-परिवार में मंगल कल्याण, पाँच वर्ष की कन्या आरोग्य सुख तथा रोगमुक्ति, छः वर्ष की कन्या- विजय और राजयोग, सात वर्ष की कन्या ऐश्वर्य व वैभव में वृद्धि, आठ वर्ष की कन्या वाद-विवाद में सफलता तथा नौ वर्ष की कन्या - शत्रुओं का पराभव एवं कठिन कार्य में पूर्णता तथा दस वर्ष की कन्या समस्त मनोकामना की पूर्ति इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल मिलता है.

ये भी पढ़ें- Daily Horoscope 4 October : कैसा बीतेगा आज का दिन जानिए अपना आज का राशिफल

वाराणसी:कुमारी कन्याओं को त्रिशक्ति यानि महाकाली, महालक्ष्मी एवं महासरस्वती देवी का रूप माना गया है. नवरात्र में व्रतकर्ता को या देवीभक्त को व्रत के पारण के पूर्व कुमारी कन्या एवं बटुक की विधि-विधानपूर्वक पूजन करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. आदिशक्ति की अर्चना करके हवन आदि करने का विधान है.

महानवमी हवन मुहूर्त: ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस बार आश्विन शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 4 अक्टूबर मंगलवार को दिन में 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. तदुपरान्त दशमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि 5 अक्टूबर बुधवार को दिन में 12 बजकर 01 मिनट तक रहेगी. महानवमी का व्रत 4 अक्टूबर मंगलवार को रखा जाएगा.

महानवमी पूजा विधि: महानवमी का व्रत (Maha Navami 2022) रखकर जगदम्बाजी की विधि विधानपूर्वक पूजा-अर्चना कीजाएगी. महानवमी तिथि के दिन बटुक व कुमारी पूजन का विधान है. नवरात्र व्रत का पारण- आश्विन शुक्लपक्ष की दशमी तिथि 5 अक्टूबर बुधवार को किया जाएगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र 4 अक्टूबर, मंगलवार को रात्रि 10 बजकर 51 मिनट पर लगेगा जो कि 5 अक्टूबर बुधवार को रात्रि 9 बजकर 15 मिनट तक रहेगा. विजया दशमी का पर्व इसी दिन मनाया जाएगा. इसी दिन अपराजिता देवी तथा शमी वृक्ष की पूजा होती है साथ ही शस्त्रों के पूजन का भी विधान है.

विजया दशमी के दिन नीलकण्ठ पक्षी का दर्शन किया जाता है, उन्हें आजाद करवाया जाता है. ज्योतिष मान्यता है कि राशि रंग के अनुसार यदि पूजा-अर्चना की जाए तो विशेष लाभदायी रहती है.

कौन-सा रंग किस राशियों के लिए लाभदायक है-

  • मेष- लाल, गुलाबी एवं नारंगी
  • वृषभ-सफेद एवं क्रीम
  • मिथुन-हरा व फिरोजी
  • कर्क- सफेद व क्रीम
  • सिंह- केसरिया, लाल व गुलाबी
  • कन्या- हरा व फिरोजी
  • तुला- सफेद व हल्का नीला
  • वृश्चिक- नारंगी, लाल व गुलाबी
  • धनु- पीला व सुनहरा
  • मकर व कुम्भ-भूरा, स्लेटी व ग्रे
  • मीन- पीला व सुनहरा

पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि देवीभागवत ग्रन्थ के अनुसार अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए अलग-अलग वर्ण या सभी वर्णों की कन्याओं का पूजन करना चाहिए. धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है कि

  • ब्राह्मण वर्ण की कन्या शिक्षा ज्ञानार्जन व प्रतियोगिता
  • क्षत्रिय वर्ण की कन्या- सुयश व राजकीय पक्ष से लाभ - वैश्य वर्ण की कन्या आर्थिक समृद्धि व धनवृद्धि के लिए
  • शुद्र वर्ण की कन्या- कार्यसिद्धि एवं शत्रुओं पर विजय के लिए विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

महानवमी पूजा का लाभ: दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्या को देवी स्वरूप माना गया है, जिनकी नवरात्र पर भक्तिभाव के साथ पूजा करने से भगवती जगदम्बा का आशीर्वाद मिलता है. शास्त्रों में दो वर्ष की कन्या को कुमारी, तीन वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पाँच वर्ष की कन्या को रोहिणी, छः वर्ष की कन्या को काली, सात वर्ष की कन्या को चण्डिका, आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी एवं नौ वर्ष की कन्या को दुर्गा तथा दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा के नाम से दर्शाया गया है.


कुमारी कन्या की आयु (उम्र) विशेष पूजा के अनुसार भी अलग-अलग फल मिलते हैं. दो वर्ष की कन्या- दुःख दारिद्र्य से मुक्ति, तीन वर्ष की कन्या- धन-धान्य का सुयोग, चार वर्ष की कन्या-परिवार में मंगल कल्याण, पाँच वर्ष की कन्या आरोग्य सुख तथा रोगमुक्ति, छः वर्ष की कन्या- विजय और राजयोग, सात वर्ष की कन्या ऐश्वर्य व वैभव में वृद्धि, आठ वर्ष की कन्या वाद-विवाद में सफलता तथा नौ वर्ष की कन्या - शत्रुओं का पराभव एवं कठिन कार्य में पूर्णता तथा दस वर्ष की कन्या समस्त मनोकामना की पूर्ति इनकी पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल मिलता है.

ये भी पढ़ें- Daily Horoscope 4 October : कैसा बीतेगा आज का दिन जानिए अपना आज का राशिफल

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.