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विश्व महिला दिवस 2022 : महिलाओं का सम्मान सर्वोपरि है, 'जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो' - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष मनाया था. इसके बावजूद समानता को लेकर संघर्ष आज भी जारी है. हम सब समानता का लेकर चाहे जितने भी दावे कर लें, हकीकत कुछ और है. विश्व स्तर पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम कमाती हैं. दुनिया भर में संसदीय सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. दुनियाभर की महिलाएं कलंक, रूढ़ियों और हिंसा से मुक्त 'समान भविष्य' के प्रति संघर्षरत हैं.

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विश्व महिला दिवस 2022
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Published : Mar 8, 2022, 7:10 AM IST

हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस दुनिया भर के कई देशों में मनाया जा रहा है. यह एक ऐसा दिन है जब महिलाओं को बिना भेदभाव के बिना उनके राष्ट्रीय, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, आर्थिक या राजनीति में उनकी उपलब्धियों को लेकर याद किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ने विकसित और विकासशील देशों में महिलाओं को एक वैश्विक आयाम दिया है. तो आइये हम सब एक साथ मिलकर महिलाओं के लिए एक समान भविष्य तैयार करने में हर संभव प्रयास करें. आज महिलाओं को सम्मान देकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को खास बनाएं.

दुनिया की महिलाएं कलंक, रूढ़ियों और हिंसा से मुक्त 'एक समान भविष्य' चाहती हैं. एक भविष्य जो सभी के लिए समान अधिकारों और अवसरों के साथ मजबूत और शांतिपूर्ण हो. हमें एक समान भविष्य तैयार करने के लिए दुनिया में महिलाओं को हर उस टेबल पर साथ लाना होगा जहां उनसे संबंधित फैसले किए जा रहे हैं.

महिला दिवस का इतिहास

पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 19 मार्च 1911 को मनाया गया था. दरअसल, 19 मार्च1848 में प्रशिया के राजा ने महिलाओं के लिए वोट देने प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया था. इस वादे ने महिलाओं के लिए समानता की उम्मीद जगाई, लेकिन यह एक वादा बनकर ही रह गया. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख 1913 में 8 मार्च को निर्धारित की गई. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1975 में एक अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें महिला से जुड़े मुद्दों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. इस दौरान इस दिन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का आह्वान किया गया. साथ ही महिलाओं को वैश्विक विकास में पूर्ण और समान भागीदारी हासिल करने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया.

महिला दिवस 2022 के लिए 'थीम'

संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस 2022 के लिए 'जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो' यानी स्थायी कल के लिए लैंगिक समानता जरूरी है, थीम रखा है. यह थीम जलवायु परिवर्तन और एक स्थायी भविष्य के लिए महिलाओं के नेतृत्व और योगदान का सम्मान करती हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 का महत्व

यह महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने का दिन है. आज का दिन महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए भी मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाता है. यह दिन याद दिलाता है कि महिलाओं को कोई भी बाधा उन्हें अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोक सकती.

2030 तक लिंग समानता कितना संभव

दुनिया ने अभूतपूर्व प्रगति की है, लेकिन किसी भी देश ने लैंगिक समानता हासिल नहीं की है. पचास साल पहले हम चांद पर उतरे थे ,पिछले दशक में हमने कई नई खोज की और पहली बार एक ब्लैक होल की तस्वीर ली, लेकिन इस बीच कानूनी प्रतिबंधों के कारण आज भी पुरूषों के मुकाबले 2.7 बिलियन महिलाओं को नौकरियां नहीं करतीं. 2019 तक 25 प्रतिशत से भी कम महिलाएं सांसद थीं. हर तीन महिलाओं में से एक लिंग आधारित हिंसा का अनुभव करती हैं.

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाएं गये कदम

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. इनमें महिला अधिकारियों के लिए स्थायी आयोग, वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन जो महिलाओं पर केंद्रित है, 26 सप्ताह तक की मैटरनिटी अवकाश , प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, स्टैंड अप स्कीम, उज्जवला योजना, मुद्रा ऋण, महिला शक्ति केंद्र योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं योजना, महिलाओं के लिए शौचालय, महिला-ए-हाट, कामकाजी महिला छात्रावास, महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम का समर्थन शामिल हैं.

जानिए भारत में महिलाओं के बारे में तथ्य

पिछले साल मार्च 2019 में हुए 'मॉनस्टर सैलरी इंडेक्स सर्वे' के अनुसार भारत में मौजूदा लिंग वेतन अंतर 19% है. 2006 के बाद से स्थिति और भी खराब हो गई है. 153 देशों में भारत एकमात्र देश है, जहां पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक असमानता उनके बीच की राजनीतिक असमानता से अधिक है. हालांकि मोदी सरकार में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है. आज 23 कैबिनेट मंत्रालयों में 6 महिलाएं हैं. केंद्रीय कैबिनेट मंत्रालय में महिलाओं का प्रतिशत 5 प्रतिशत था, जो 2014 में बढ़कर 26 प्रतिशत हो गया है. NCRB 2019 के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध में 2018 से 2019 तक 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज किए गए.

महिला सशक्तिकरण में बाधाएं

महिलाओं के लिए उपयुक्त रोजगार का अभाव एक बड़ी समस्या है, मातृत्व लाभ में कमी, काम की इच्छा रखने वाली महिलाओं को घर के ससुराल वालों से काम करने की अनुमति नहीं मिलती है जिसकी वजह से महिलाओं की स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिलता. असमान लिंग अनुपात, उच्च महिला मृत्यु दर, कुपोषण जैसे तमाम बाधाएं हैं, जो महिला सशक्तिकरण में एक बाधा है. जब तक इन समस्याओं पर विचार नहीं किया जाता तब तक महिलाओं को समान अधिकार का मौका नहीं मिल पायेगा.

वर्ष 2020 में महिलाएं, जिन्होंने सुर्खियां बटोरी

कमला हैरिस - अमेरिका में दूसरा सबसे शक्तिशाली कार्यालय पाने वाली पहली अमेरिकी महिला बन गईं. कमला हैरिस इस उपलब्धि को हासिल करने के साथ ही अश्वेत रंग की पहली महिला बनी जो एक भारतीय-जमैका पृष्ठभूमि से संबंधित हैं.

मैरी कॉम - भारत में मैरी कॉम एक ओलंपिक खिलाड़ी के तौर पर वह विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप की पांच बार विजेता है, और छह विश्व प्रतियोगिताओं में से प्रत्येक में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला मुक्केबाज है.

गीतांजलि राव - टाइम पत्रिका ने भारतीय-अमेरिकी गीतांजलि राव को 2020 में पहली बार 'द किड ऑफ द ईयर’ चुना

रिधिमा पांडे - भारत में युवाओं ने भी जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाई. इस तरह के विरोध का चेहरा उत्तराखंड की रहने वाली रिधिमा पांडे हैं, जिन्हें भारत के ग्रेटा थंडरबर्ग ’के रूप में भी जाना जाता है.

बिलकिस बानो- दिल्ली के शाहीन बाग में केंद्र सराकर के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ. इसमें मुस्लिम महिलाएं बड़ी तादाद में शामिल हुईं. 'शाहीन बाग की दादी' के नाम से मशहूर बिलकिस बानो ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ बड़े पैमाने पर अहिंसक आंदोलन का चेहरा बन गई. उन्हें टाइम पत्रिका ने 2020 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से के रूप में मान्यता दी.

हैदराबाद : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस दुनिया भर के कई देशों में मनाया जा रहा है. यह एक ऐसा दिन है जब महिलाओं को बिना भेदभाव के बिना उनके राष्ट्रीय, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, आर्थिक या राजनीति में उनकी उपलब्धियों को लेकर याद किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ने विकसित और विकासशील देशों में महिलाओं को एक वैश्विक आयाम दिया है. तो आइये हम सब एक साथ मिलकर महिलाओं के लिए एक समान भविष्य तैयार करने में हर संभव प्रयास करें. आज महिलाओं को सम्मान देकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को खास बनाएं.

दुनिया की महिलाएं कलंक, रूढ़ियों और हिंसा से मुक्त 'एक समान भविष्य' चाहती हैं. एक भविष्य जो सभी के लिए समान अधिकारों और अवसरों के साथ मजबूत और शांतिपूर्ण हो. हमें एक समान भविष्य तैयार करने के लिए दुनिया में महिलाओं को हर उस टेबल पर साथ लाना होगा जहां उनसे संबंधित फैसले किए जा रहे हैं.

महिला दिवस का इतिहास

पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 19 मार्च 1911 को मनाया गया था. दरअसल, 19 मार्च1848 में प्रशिया के राजा ने महिलाओं के लिए वोट देने प्रक्रिया शुरू करने का वादा किया था. इस वादे ने महिलाओं के लिए समानता की उम्मीद जगाई, लेकिन यह एक वादा बनकर ही रह गया. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की तारीख 1913 में 8 मार्च को निर्धारित की गई. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1975 में एक अंतर्राष्ट्रीय महिला सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें महिला से जुड़े मुद्दों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित किया. इस दौरान इस दिन महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का आह्वान किया गया. साथ ही महिलाओं को वैश्विक विकास में पूर्ण और समान भागीदारी हासिल करने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित किया.

महिला दिवस 2022 के लिए 'थीम'

संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस 2022 के लिए 'जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर ए सस्टेनेबल टुमारो' यानी स्थायी कल के लिए लैंगिक समानता जरूरी है, थीम रखा है. यह थीम जलवायु परिवर्तन और एक स्थायी भविष्य के लिए महिलाओं के नेतृत्व और योगदान का सम्मान करती हैं.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 का महत्व

यह महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने का दिन है. आज का दिन महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए भी मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों का जश्न मनाता है. यह दिन याद दिलाता है कि महिलाओं को कोई भी बाधा उन्हें अपने सपने को पूरा करने से नहीं रोक सकती.

2030 तक लिंग समानता कितना संभव

दुनिया ने अभूतपूर्व प्रगति की है, लेकिन किसी भी देश ने लैंगिक समानता हासिल नहीं की है. पचास साल पहले हम चांद पर उतरे थे ,पिछले दशक में हमने कई नई खोज की और पहली बार एक ब्लैक होल की तस्वीर ली, लेकिन इस बीच कानूनी प्रतिबंधों के कारण आज भी पुरूषों के मुकाबले 2.7 बिलियन महिलाओं को नौकरियां नहीं करतीं. 2019 तक 25 प्रतिशत से भी कम महिलाएं सांसद थीं. हर तीन महिलाओं में से एक लिंग आधारित हिंसा का अनुभव करती हैं.

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए उठाएं गये कदम

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. इनमें महिला अधिकारियों के लिए स्थायी आयोग, वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन जो महिलाओं पर केंद्रित है, 26 सप्ताह तक की मैटरनिटी अवकाश , प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, स्टैंड अप स्कीम, उज्जवला योजना, मुद्रा ऋण, महिला शक्ति केंद्र योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं योजना, महिलाओं के लिए शौचालय, महिला-ए-हाट, कामकाजी महिला छात्रावास, महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और रोजगार कार्यक्रम का समर्थन शामिल हैं.

जानिए भारत में महिलाओं के बारे में तथ्य

पिछले साल मार्च 2019 में हुए 'मॉनस्टर सैलरी इंडेक्स सर्वे' के अनुसार भारत में मौजूदा लिंग वेतन अंतर 19% है. 2006 के बाद से स्थिति और भी खराब हो गई है. 153 देशों में भारत एकमात्र देश है, जहां पुरुषों और महिलाओं के बीच आर्थिक असमानता उनके बीच की राजनीतिक असमानता से अधिक है. हालांकि मोदी सरकार में महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ है. आज 23 कैबिनेट मंत्रालयों में 6 महिलाएं हैं. केंद्रीय कैबिनेट मंत्रालय में महिलाओं का प्रतिशत 5 प्रतिशत था, जो 2014 में बढ़कर 26 प्रतिशत हो गया है. NCRB 2019 के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध में 2018 से 2019 तक 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2019 के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज किए गए.

महिला सशक्तिकरण में बाधाएं

महिलाओं के लिए उपयुक्त रोजगार का अभाव एक बड़ी समस्या है, मातृत्व लाभ में कमी, काम की इच्छा रखने वाली महिलाओं को घर के ससुराल वालों से काम करने की अनुमति नहीं मिलती है जिसकी वजह से महिलाओं की स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिलता. असमान लिंग अनुपात, उच्च महिला मृत्यु दर, कुपोषण जैसे तमाम बाधाएं हैं, जो महिला सशक्तिकरण में एक बाधा है. जब तक इन समस्याओं पर विचार नहीं किया जाता तब तक महिलाओं को समान अधिकार का मौका नहीं मिल पायेगा.

वर्ष 2020 में महिलाएं, जिन्होंने सुर्खियां बटोरी

कमला हैरिस - अमेरिका में दूसरा सबसे शक्तिशाली कार्यालय पाने वाली पहली अमेरिकी महिला बन गईं. कमला हैरिस इस उपलब्धि को हासिल करने के साथ ही अश्वेत रंग की पहली महिला बनी जो एक भारतीय-जमैका पृष्ठभूमि से संबंधित हैं.

मैरी कॉम - भारत में मैरी कॉम एक ओलंपिक खिलाड़ी के तौर पर वह विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप की पांच बार विजेता है, और छह विश्व प्रतियोगिताओं में से प्रत्येक में पदक जीतने वाली एकमात्र महिला मुक्केबाज है.

गीतांजलि राव - टाइम पत्रिका ने भारतीय-अमेरिकी गीतांजलि राव को 2020 में पहली बार 'द किड ऑफ द ईयर’ चुना

रिधिमा पांडे - भारत में युवाओं ने भी जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के मुद्दों के खिलाफ आवाज उठाई. इस तरह के विरोध का चेहरा उत्तराखंड की रहने वाली रिधिमा पांडे हैं, जिन्हें भारत के ग्रेटा थंडरबर्ग ’के रूप में भी जाना जाता है.

बिलकिस बानो- दिल्ली के शाहीन बाग में केंद्र सराकर के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ एक बड़ा विरोध प्रदर्शन हुआ. इसमें मुस्लिम महिलाएं बड़ी तादाद में शामिल हुईं. 'शाहीन बाग की दादी' के नाम से मशहूर बिलकिस बानो ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ बड़े पैमाने पर अहिंसक आंदोलन का चेहरा बन गई. उन्हें टाइम पत्रिका ने 2020 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से के रूप में मान्यता दी.

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