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लोन के लिए जरूरी है बेहतर क्रेडिट स्कोर, इसे सुधारने के लिए फॉलो करें टिप्स

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Published : Feb 10, 2022, 3:58 PM IST

क्रेडिट स्कोर इन दिनों काफी महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि यह किसी लोन लेने वाले का इतिहास का रिजल्ट है. आप नया लोन तभी मांग सकते हैं, जब आपका क्रेडिट स्कोर बेहतर हो. ब्याज दरों में छूट की उम्मीद भी वही लोग कर सकते हैं, जिन्होंने अपने पहले के बकाये का समय से भुगतान किया है. यह तभी तभी संभव है, जब क्रेडिट स्कोर 750 से ऊपर हो. बहुत से लोग अपनी छोटी-छोटी गलतियों के कारण अपना क्रेडिट स्कोर खराब कर लेते हैं. जानिए ऐसी गलतियों से कैसे बचा जा सकता है.

How to improve credit score
How to improve credit score

हैदराबाद: यह तो अब अधिकतर लोग जानते हैं कि बैंक और वित्तीय संस्थान लोन देने में अन्य चीजों की तुलना में क्रेडिट स्कोर को अधिक महत्व देते हैं. जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर 750 अंक या उससे ज्यादा है, उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए लोन लेने का बेहतर मौका मिल जाता है. अगर आप प्रॉपर प्लानिंग करते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर शानदार हो सकता है. क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर भुगतान करना इसकी प्लानिंग में से एक है, हालांकि कई बार इसमें व्यवहारिक दिक्कत आती है. कोरोना महामारी के दौरान ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान में कई लोगों को दिक्कत आई.

यदि किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 700 अंक से कम है, तो बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से उसके लोन एप्लिकेशन के खारिज होने की आशंका बनी रहती है. इसमें एक और दिक्कत आती है. अगर कम क्रेडिट स्कोर वाले का लोन मंजूर हो भी जाता है तो बैंक उससे अधिक ब्याज दर वसूल सकते हैं. कई बार लोन की जरूरत के कारण अधिक ब्याज दर की शर्त को लोग मान जाते हैं. कुल मिलाकर कम क्रेडिट स्कोर के साथ लोन लेना चैलेंज बन जाता है.

लोन का भुगतान नहीं करने से क्रेडिट स्कोर रेटिंग प्रभावित होती है. यदि लोन लेने वाला लगातार तीन महीने तक ईएमआई नहीं भेजता है, तो बैंक लोन को एनपीए (Non-Performing Asset) के रूप में चिह्नित कर सकते हैं. यदि लोन का भुगतान पूरी तरह बंद दिया जाता है, तो बैंक लोन को डिफ़ॉल्ट और लोन लेने वाले को डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं. इसके बाद उससे लोन की राशि एक साथ वसूलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. बैंकिंग की भाषा में इसे सेटलमेंट कहा जाता है.

यदि सेटलमेंट के तहत लोन के लिए सहमत राशि बैंक को चुका दी जाती है, तो वित्तीय संस्था लोन को बट्टे खाते में डाल देते हैं और इसकी सूचना क्रेडिट बोर्ड को भी देते है. इसके बाद, जब आपको दोबारा लोन की जरूरत होती है तो बैंक क्रेडिट रिपोर्ट में लोन 'सेटलमेंट' देखने के बाद कर्ज देने से पहले दो बार सोचते हैं. ध्यान रखें लोन की अदायगी से जुड़ा क्रेडिट स्कोर लंबे समय तक प्रभावित करता है. इसलिए अगर आपने लोन के एकमुश्त भुगतान के लिए पहले ही सेटलमेंट का विकल्प चुन लिया है, तो बेहतर होगा कि पूरी लोन राशि को क्लियर कर दें. फिर 'सेटलमेंट' से 'क्लोज' में बदल दिया जाएगा और इससे क्रेडिट स्कोर में बढ़ोतरी हो सकती है.

देर से भुगतान ( Delayed payment) : यदि ईएमआई के भुगतान में देरी होती है, तो यह क्रेडिट स्कोर को 100 से अधिक अंकों से प्रभावित करेगा. क्रेडिट स्कोर को बरकरार रखने के लिए समय से ईएमआई चुकाना बेहतर है. यदि कोई वित्तीय संकट है, तो समय सीमा के भीतर क्रेडिट कार्ड बिल का मिनिमम अमाउंट वाला भुगतान जरूर कर दें. इसके बाद बाकी बची लोन की राशि का भुगतान भी तय नियम और समय के भीतर कर दें. यदि आपके क्रेडिट कार्ड का बिल अधिक है, तो बैंक मानते हैं कि आपने पूरी क्रेडिट लिमिट का उपयोग किया है. वह भुगतान में हुई देरी को भी नोट करते हैं मगर इसके पीछे के कारणों के बारे में जिक्र नहीं करते हैं. बैंक या वित्तीय संस्था को इससे मतलब नहीं होता है कि लोन लेने वाले या क्रेडिट कार्ड से खर्च करने वाले की नौकरी चली गई है या किसी बीमारी के इलाज में उसने ज्यादा खर्च कर दिया है, इससे उसे बिल चुकाने में दिक्कत हो रही है.

महीने में कम से कम एक बार चेक करें क्रेडिट स्कोर

जिन लोगों ने लोन ले रखा है या जो क्रेडिट कार्ड से खर्च करते हैं, उन्हें महीने में एक बार अपना क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करना चाहिए. कई वेबसाइटें क्रेडिट स्कोर चेक करने की सर्विस मुफ्त दे रही हैं. हालांकि, इसे जानने के लिए भरोसेमंद वेबसाइट का ही चुनाव करें. यदि आपको लगता है कि आपका क्रेडिट स्कोर सही नहीं दिखाया जा रहा है तो आप उस बैंक से संपर्क करें, जहां से आपने लोन लिया है या जिसके क्रेडिट कार्ड का आप उपयोग करते हैं.

BankBazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी के अनुसार, लोन के लिए आवेदन करने से पहले अपना पर्सनल क्रेडिट स्कोर की जांच करें. किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 750 और उससे अधिक आंका जाता है. यदि नया लोन मिलने की संभावना कम है, तो सोना या फिक्स्ड डिपोजिट को गिरवी रखकर लोन लेने का प्रयास करें. एक बात का ध्यान रखें कि रूटीन लाइफ में क्रेडिट कार्ड के उपयोग को कम करना बेहतर है, क्योंकि वित्तीय अनुशासन सर्वोपरि है.

पढ़ें : होम लोन लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले दुरुस्त करें CIBIL Score

हैदराबाद: यह तो अब अधिकतर लोग जानते हैं कि बैंक और वित्तीय संस्थान लोन देने में अन्य चीजों की तुलना में क्रेडिट स्कोर को अधिक महत्व देते हैं. जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर 750 अंक या उससे ज्यादा है, उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए लोन लेने का बेहतर मौका मिल जाता है. अगर आप प्रॉपर प्लानिंग करते हैं तो आपका क्रेडिट स्कोर शानदार हो सकता है. क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर भुगतान करना इसकी प्लानिंग में से एक है, हालांकि कई बार इसमें व्यवहारिक दिक्कत आती है. कोरोना महामारी के दौरान ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल के भुगतान में कई लोगों को दिक्कत आई.

यदि किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 700 अंक से कम है, तो बैंकों और वित्तीय संस्थानों की ओर से उसके लोन एप्लिकेशन के खारिज होने की आशंका बनी रहती है. इसमें एक और दिक्कत आती है. अगर कम क्रेडिट स्कोर वाले का लोन मंजूर हो भी जाता है तो बैंक उससे अधिक ब्याज दर वसूल सकते हैं. कई बार लोन की जरूरत के कारण अधिक ब्याज दर की शर्त को लोग मान जाते हैं. कुल मिलाकर कम क्रेडिट स्कोर के साथ लोन लेना चैलेंज बन जाता है.

लोन का भुगतान नहीं करने से क्रेडिट स्कोर रेटिंग प्रभावित होती है. यदि लोन लेने वाला लगातार तीन महीने तक ईएमआई नहीं भेजता है, तो बैंक लोन को एनपीए (Non-Performing Asset) के रूप में चिह्नित कर सकते हैं. यदि लोन का भुगतान पूरी तरह बंद दिया जाता है, तो बैंक लोन को डिफ़ॉल्ट और लोन लेने वाले को डिफॉल्टर घोषित कर देते हैं. इसके बाद उससे लोन की राशि एक साथ वसूलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. बैंकिंग की भाषा में इसे सेटलमेंट कहा जाता है.

यदि सेटलमेंट के तहत लोन के लिए सहमत राशि बैंक को चुका दी जाती है, तो वित्तीय संस्था लोन को बट्टे खाते में डाल देते हैं और इसकी सूचना क्रेडिट बोर्ड को भी देते है. इसके बाद, जब आपको दोबारा लोन की जरूरत होती है तो बैंक क्रेडिट रिपोर्ट में लोन 'सेटलमेंट' देखने के बाद कर्ज देने से पहले दो बार सोचते हैं. ध्यान रखें लोन की अदायगी से जुड़ा क्रेडिट स्कोर लंबे समय तक प्रभावित करता है. इसलिए अगर आपने लोन के एकमुश्त भुगतान के लिए पहले ही सेटलमेंट का विकल्प चुन लिया है, तो बेहतर होगा कि पूरी लोन राशि को क्लियर कर दें. फिर 'सेटलमेंट' से 'क्लोज' में बदल दिया जाएगा और इससे क्रेडिट स्कोर में बढ़ोतरी हो सकती है.

देर से भुगतान ( Delayed payment) : यदि ईएमआई के भुगतान में देरी होती है, तो यह क्रेडिट स्कोर को 100 से अधिक अंकों से प्रभावित करेगा. क्रेडिट स्कोर को बरकरार रखने के लिए समय से ईएमआई चुकाना बेहतर है. यदि कोई वित्तीय संकट है, तो समय सीमा के भीतर क्रेडिट कार्ड बिल का मिनिमम अमाउंट वाला भुगतान जरूर कर दें. इसके बाद बाकी बची लोन की राशि का भुगतान भी तय नियम और समय के भीतर कर दें. यदि आपके क्रेडिट कार्ड का बिल अधिक है, तो बैंक मानते हैं कि आपने पूरी क्रेडिट लिमिट का उपयोग किया है. वह भुगतान में हुई देरी को भी नोट करते हैं मगर इसके पीछे के कारणों के बारे में जिक्र नहीं करते हैं. बैंक या वित्तीय संस्था को इससे मतलब नहीं होता है कि लोन लेने वाले या क्रेडिट कार्ड से खर्च करने वाले की नौकरी चली गई है या किसी बीमारी के इलाज में उसने ज्यादा खर्च कर दिया है, इससे उसे बिल चुकाने में दिक्कत हो रही है.

महीने में कम से कम एक बार चेक करें क्रेडिट स्कोर

जिन लोगों ने लोन ले रखा है या जो क्रेडिट कार्ड से खर्च करते हैं, उन्हें महीने में एक बार अपना क्रेडिट स्कोर जरूर चेक करना चाहिए. कई वेबसाइटें क्रेडिट स्कोर चेक करने की सर्विस मुफ्त दे रही हैं. हालांकि, इसे जानने के लिए भरोसेमंद वेबसाइट का ही चुनाव करें. यदि आपको लगता है कि आपका क्रेडिट स्कोर सही नहीं दिखाया जा रहा है तो आप उस बैंक से संपर्क करें, जहां से आपने लोन लिया है या जिसके क्रेडिट कार्ड का आप उपयोग करते हैं.

BankBazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी के अनुसार, लोन के लिए आवेदन करने से पहले अपना पर्सनल क्रेडिट स्कोर की जांच करें. किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 750 और उससे अधिक आंका जाता है. यदि नया लोन मिलने की संभावना कम है, तो सोना या फिक्स्ड डिपोजिट को गिरवी रखकर लोन लेने का प्रयास करें. एक बात का ध्यान रखें कि रूटीन लाइफ में क्रेडिट कार्ड के उपयोग को कम करना बेहतर है, क्योंकि वित्तीय अनुशासन सर्वोपरि है.

पढ़ें : होम लोन लेने की प्लानिंग कर रहे हैं तो पहले दुरुस्त करें CIBIL Score

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