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खास है हरिद्वार के इस भाषाविद् का अंदाज, आवाज से गूंजता है राष्ट्रपति भवन, पीएम मोदी समेत कई केंद्रीय मंत्री भी हैं फैन - hindi diwas 2023

Linguist Naresh Mohan of Haridwar हरिद्वार के भाषाविद डॉक्टर नरेश मोहन जाना पहचाना नाम है. वे हिंदी के जानकार ही नहीं विशेषज्ञ भी हैं. डॉक्टर नरेश मोहन मौजूदा समय में विज्ञान भवन, राष्ट्रपति भवन और बड़े केंद्र सरकार के बड़े कार्यक्रमों में हिंदी अनुवादन करते हैं. इसके साथ ही वे मंच संचालन के लिए भी जाने जाने हैं. डॉक्टर नरेश मोहन साल 2006 से उत्तराखंड, पंजाब,उत्तर प्रदेश,सिक्किम और आंध्र प्रदेश के राज्यपालों के कार्यक्रमों का भी काम देखते हैं. World Hindi Day 2023:

linguistic doctor Naresh Mohan
खास है हरिद्वार के इस भाषाविद का अंदाज
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2023, 4:44 PM IST

Updated : Sep 14, 2023, 8:02 PM IST

खास है हरिद्वार के इस भाषाविद् का अंदाज

देहरादून(उत्तराखंड): 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इसी दिन हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था. आज हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको ऐसे शख्स के रूबरू करवाने जा रहा है जो हिंदी के ज्ञाता है. साथ ही वे मंच संलचान के भी महारथी हैं. हरिद्वार के इस 'हिंदी महामानव' की आवाज से राष्ट्रपति भवन में भी गूंजती है. पीएम मोदी से लेकर राष्ट्रपति भी उनकी हिंदी की तारीफ कर चुके हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई दूसरे बड़े नेता भी इस हिंदी के फैन हैं.

Hindi Diwas 2023
हिंदी दिवस 2023

आपने अमूमन राष्ट्रपति भवन, दिल्ली के हिंदी भवन या विज्ञान भवन सहित कई बड़े सरकारी कार्यक्रमों में हिंदी संचालन का वो उद्बोधन सुना होगा जिसमें शुद्ध और धारा प्रभाव के साथ हिंदी का इस्तेमाल होता है. उद्बोधन का ये साफ और सरल अंदाज सभी का मन मोह लेता है. क्या कभी आपने सोचा है की भला इतनी शुद्ध हिंदी का अनुवादन कौन करता होगा ? वैसे केंद्र और राज्य की सरकारों में ऐसे बहुत से हिंदी के जानकार हैं जो सरकारी शब्दों का अनुवादन करते होंगे लेकिन हम आपको आज ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो रहते तो हरिद्वार में हैं, लेकिन उनकी हिंदी देश के कई राज्यों में पहचान बना चुकी है.

linguistic doctor Naresh Mohan
डॉक्टर नरेश मोहन से खास बातचीत

पढ़ाई की दीवानगी ने बनाया हिंदी का ज्ञाता: हिंदी दिवस के मौके पर आप कई हिंदी से जुड़े लोगों की कहानी सुन और पढ़ रहे होंगे. छोटे और बड़े शहरों से निकले हिंदी के ज्ञाताओं की कमी नहीं है. डॉ नरेश मोहन ऐसे ही एक शख्स हैं जिन्हें आज उनकी हिंदी के लिए जाना जाता है. डॉक्टर नरेश मोहन का जन्म 22 जनवरी 1959 में हुआ. वह मूल रूप से उत्तराखंड के चमोली के रहने वाले हैं. डॉक्टर नरेश मोहन 1981 से लेकर 1998 तक हरिद्वार बीएचईएल एमबी में हिंदी प्रवक्ता के तौर पर कार्य करते रहे. इसके बाद 1998 से लेकर साल 2008 तक भी वे हिंदी विभाग में अपनी सेवाएं देते रहे. 2008 से लेकर 2019 तक वह बीएचईएल के जनसंपर्क विभाग के अधिकारी रहे. यहां पर उनका काम भाषा को अनुवाद करना था. शुरुआती दिनों से ही डॉ नरेश मोहन की रुचि हिंदी में थी. हिंदी विषय से उन्हें खास लगाव था. धीरे-धीरे वे हिंदी के इतने बड़े जानकार बन गये कि आज वे बड़े-बड़े मंचों पर इसके लिए जाने जाते हैं.

linguistic doctor Naresh Mohan
मंच संचालन करते हिंदी भाषाविद डॉक्टर नरेश मोहन

पढ़ें- World Hindi Day 2023: तकनीक की दुनिया में हिंदी का बढ़ता सफर, मल्टीनेशनल कंपनियों में भी बढ़ रहा क्रेज

डॉ नरेश मोहन के नाम कई उपलब्धियां: डॉ नरेश मोहन हरिद्वार का जाना माना नाम है. डॉ नरेश मोहन शुरुआती दिनों में हरिद्वार में ही छोटे-बड़े कार्यक्रमों में हिंदी मंच का संचालन करते थे. डॉक्टर नरेश मोहन की भाषा शैली और उनकी आवाज धीरे धीरे उनकी पहचान बन गई. आज उन्हें लोग भेल में कार्य करने के लिए काम और उनकी शानदार हिंदी के लिए ज्यादा जानते हैं. 15 बार अलग-अलग विषयों से एमए करने वाले डाक्टर नरेश मोहन ने मनोवैज्ञानिक में भी हिंदी से पीएचडी की है. उन्होंने चार बार एचडी डिप्लोमा किया. जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है.

linguistic doctor Naresh Mohan
हिंदी भाषाविद डॉक्टर नरेश मोहन

इसके साथ ही पत्रकारिता एनसीसी,काव्य संग्रह,कहानी संग्रह,लेखन,नाटक,संस्मरण आदि कार्य भी वे लगातार करते रहते हैं. डॉ नरेश मोहन ने आकाशवाणी में भी कई बार भाग लिया है. इसके साथ ही अनेक बड़े मंचों पर भी वह काव्य पाठ कर चुके हैं. डॉक्टर नरेश मोहन ने कई पुस्तकों का भी संपादन किया गया है. जिसमें राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका जय सुभाष, हरिद्वार महोत्सव पत्रिका के साथ-साथ भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा एनआईएस पत्रिका जल चेतना भी शामिल है.

पढ़ें- विश्व हिन्दी दिवस: बेमिसाल रचनाओं से मंजू देश-विदेश में हिंदी को दे रही बढ़ावा, साझा किए अनुभव

राष्ट्रपति, पीएम कर चुके हैं कई बार तारीफ: डॉ नरेश मोहन की सबसे बड़ी उपलब्धि हिंदी को लेकर यह है कि साल 2010 से लेकर मौजूदा समय तक विज्ञान भवन राष्ट्रपति भवन और कई बड़े केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के कार्यक्रमों में वह हिंदी का अनुवादन करते हैं. इसके साथ ही साल 2006 से वह उत्तराखंड,पंजाब,उत्तर प्रदेश,सिक्किम और आंध्र प्रदेश के राज्यपालों के कार्यक्रमों का भी एडमिनीस्ट्रेटर का कार्य देख रहे हैं. भारत सरकार के गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग के कई कार्यक्रमों को भी डॉक्टर नरेश मोहन संचालित करते हैं. वह अब तक दार्जिलिंग,गोवा, मैसूर,जयपुर,दिल्ली,बनारस और अखिल भारतीय हिंदी सम्मेलन का हिस्सा रह चुके हैं. मौजूदा समय में 14 सितंबर साल 2023 में वे महाराष्ट्र के पुणे में गृह मंत्रालय और गृहमंत्री अमित शाह के मंच का जिम्मा संभाल रहे हैं.

linguistic doctor Naresh Mohan
उत्तराखंड के राज्यपाल ने डॉक्टर नरेश मोहन को किया सम्मानित

पढ़ें- Hindi Diwas 2023 : उत्तर भारत का अनूठा पुस्तकालय, 450 वर्ष पुरानी 1500 से अधिक पांडुलिपियां सुरक्षित, यहां टैगोर ने लिखी थी 'नीलमणि'

जानकार भी हैं डॉ नरेश मोहन के कायल: डॉ नरेश मोहन को लगभग 30 साल से जानने वाले अलोक शर्मा कहते हैं उनकी हिंदी में जबरदस्त पकड़ है. वे बहुत ही मिलनसार हैं. इतना अनुभव होने के बाद भी उनमें लेश मात्र भी दिखावा नहीं है. अलोक शर्मा कहते हैं की मुझे याद है बीते दिनों उनके घर में मेडिकल प्रॉब्लम हो गई थी, लेकिन उसके बाद भी उनका हिंदी प्रेम कम या ख़त्म नहीं हुआ. उनकी बेटी मौजूदा समय में विदेश में पढ़ रही है. नरेश मोहन हरिद्वार के लिए बहुत पुराना नाम है. उन्होंने कहा मंच संचालन में उनका कोई सानी नहीं है. उनको सुनने वाला कोई भी व्यक्ति कभी कार्यक्रम छोड़कर नहीं जा सकता है. आज वो देश के बड़े बड़े कार्यक्रम में अपनी आवाज और हिंदी को एक नया मुकाम दे रहे है. ये हरिद्वार के लिए बेहद गर्व की बात है.

Hindi Diwas 2023
हिंदी दिवस 2023

खास है हरिद्वार के इस भाषाविद् का अंदाज

देहरादून(उत्तराखंड): 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इसी दिन हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था. आज हिंदी दिवस के मौके पर ईटीवी भारत आपको ऐसे शख्स के रूबरू करवाने जा रहा है जो हिंदी के ज्ञाता है. साथ ही वे मंच संलचान के भी महारथी हैं. हरिद्वार के इस 'हिंदी महामानव' की आवाज से राष्ट्रपति भवन में भी गूंजती है. पीएम मोदी से लेकर राष्ट्रपति भी उनकी हिंदी की तारीफ कर चुके हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कई दूसरे बड़े नेता भी इस हिंदी के फैन हैं.

Hindi Diwas 2023
हिंदी दिवस 2023

आपने अमूमन राष्ट्रपति भवन, दिल्ली के हिंदी भवन या विज्ञान भवन सहित कई बड़े सरकारी कार्यक्रमों में हिंदी संचालन का वो उद्बोधन सुना होगा जिसमें शुद्ध और धारा प्रभाव के साथ हिंदी का इस्तेमाल होता है. उद्बोधन का ये साफ और सरल अंदाज सभी का मन मोह लेता है. क्या कभी आपने सोचा है की भला इतनी शुद्ध हिंदी का अनुवादन कौन करता होगा ? वैसे केंद्र और राज्य की सरकारों में ऐसे बहुत से हिंदी के जानकार हैं जो सरकारी शब्दों का अनुवादन करते होंगे लेकिन हम आपको आज ऐसे इंसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो रहते तो हरिद्वार में हैं, लेकिन उनकी हिंदी देश के कई राज्यों में पहचान बना चुकी है.

linguistic doctor Naresh Mohan
डॉक्टर नरेश मोहन से खास बातचीत

पढ़ाई की दीवानगी ने बनाया हिंदी का ज्ञाता: हिंदी दिवस के मौके पर आप कई हिंदी से जुड़े लोगों की कहानी सुन और पढ़ रहे होंगे. छोटे और बड़े शहरों से निकले हिंदी के ज्ञाताओं की कमी नहीं है. डॉ नरेश मोहन ऐसे ही एक शख्स हैं जिन्हें आज उनकी हिंदी के लिए जाना जाता है. डॉक्टर नरेश मोहन का जन्म 22 जनवरी 1959 में हुआ. वह मूल रूप से उत्तराखंड के चमोली के रहने वाले हैं. डॉक्टर नरेश मोहन 1981 से लेकर 1998 तक हरिद्वार बीएचईएल एमबी में हिंदी प्रवक्ता के तौर पर कार्य करते रहे. इसके बाद 1998 से लेकर साल 2008 तक भी वे हिंदी विभाग में अपनी सेवाएं देते रहे. 2008 से लेकर 2019 तक वह बीएचईएल के जनसंपर्क विभाग के अधिकारी रहे. यहां पर उनका काम भाषा को अनुवाद करना था. शुरुआती दिनों से ही डॉ नरेश मोहन की रुचि हिंदी में थी. हिंदी विषय से उन्हें खास लगाव था. धीरे-धीरे वे हिंदी के इतने बड़े जानकार बन गये कि आज वे बड़े-बड़े मंचों पर इसके लिए जाने जाते हैं.

linguistic doctor Naresh Mohan
मंच संचालन करते हिंदी भाषाविद डॉक्टर नरेश मोहन

पढ़ें- World Hindi Day 2023: तकनीक की दुनिया में हिंदी का बढ़ता सफर, मल्टीनेशनल कंपनियों में भी बढ़ रहा क्रेज

डॉ नरेश मोहन के नाम कई उपलब्धियां: डॉ नरेश मोहन हरिद्वार का जाना माना नाम है. डॉ नरेश मोहन शुरुआती दिनों में हरिद्वार में ही छोटे-बड़े कार्यक्रमों में हिंदी मंच का संचालन करते थे. डॉक्टर नरेश मोहन की भाषा शैली और उनकी आवाज धीरे धीरे उनकी पहचान बन गई. आज उन्हें लोग भेल में कार्य करने के लिए काम और उनकी शानदार हिंदी के लिए ज्यादा जानते हैं. 15 बार अलग-अलग विषयों से एमए करने वाले डाक्टर नरेश मोहन ने मनोवैज्ञानिक में भी हिंदी से पीएचडी की है. उन्होंने चार बार एचडी डिप्लोमा किया. जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है.

linguistic doctor Naresh Mohan
हिंदी भाषाविद डॉक्टर नरेश मोहन

इसके साथ ही पत्रकारिता एनसीसी,काव्य संग्रह,कहानी संग्रह,लेखन,नाटक,संस्मरण आदि कार्य भी वे लगातार करते रहते हैं. डॉ नरेश मोहन ने आकाशवाणी में भी कई बार भाग लिया है. इसके साथ ही अनेक बड़े मंचों पर भी वह काव्य पाठ कर चुके हैं. डॉक्टर नरेश मोहन ने कई पुस्तकों का भी संपादन किया गया है. जिसमें राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका जय सुभाष, हरिद्वार महोत्सव पत्रिका के साथ-साथ भारत सरकार के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा एनआईएस पत्रिका जल चेतना भी शामिल है.

पढ़ें- विश्व हिन्दी दिवस: बेमिसाल रचनाओं से मंजू देश-विदेश में हिंदी को दे रही बढ़ावा, साझा किए अनुभव

राष्ट्रपति, पीएम कर चुके हैं कई बार तारीफ: डॉ नरेश मोहन की सबसे बड़ी उपलब्धि हिंदी को लेकर यह है कि साल 2010 से लेकर मौजूदा समय तक विज्ञान भवन राष्ट्रपति भवन और कई बड़े केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के कार्यक्रमों में वह हिंदी का अनुवादन करते हैं. इसके साथ ही साल 2006 से वह उत्तराखंड,पंजाब,उत्तर प्रदेश,सिक्किम और आंध्र प्रदेश के राज्यपालों के कार्यक्रमों का भी एडमिनीस्ट्रेटर का कार्य देख रहे हैं. भारत सरकार के गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग के कई कार्यक्रमों को भी डॉक्टर नरेश मोहन संचालित करते हैं. वह अब तक दार्जिलिंग,गोवा, मैसूर,जयपुर,दिल्ली,बनारस और अखिल भारतीय हिंदी सम्मेलन का हिस्सा रह चुके हैं. मौजूदा समय में 14 सितंबर साल 2023 में वे महाराष्ट्र के पुणे में गृह मंत्रालय और गृहमंत्री अमित शाह के मंच का जिम्मा संभाल रहे हैं.

linguistic doctor Naresh Mohan
उत्तराखंड के राज्यपाल ने डॉक्टर नरेश मोहन को किया सम्मानित

पढ़ें- Hindi Diwas 2023 : उत्तर भारत का अनूठा पुस्तकालय, 450 वर्ष पुरानी 1500 से अधिक पांडुलिपियां सुरक्षित, यहां टैगोर ने लिखी थी 'नीलमणि'

जानकार भी हैं डॉ नरेश मोहन के कायल: डॉ नरेश मोहन को लगभग 30 साल से जानने वाले अलोक शर्मा कहते हैं उनकी हिंदी में जबरदस्त पकड़ है. वे बहुत ही मिलनसार हैं. इतना अनुभव होने के बाद भी उनमें लेश मात्र भी दिखावा नहीं है. अलोक शर्मा कहते हैं की मुझे याद है बीते दिनों उनके घर में मेडिकल प्रॉब्लम हो गई थी, लेकिन उसके बाद भी उनका हिंदी प्रेम कम या ख़त्म नहीं हुआ. उनकी बेटी मौजूदा समय में विदेश में पढ़ रही है. नरेश मोहन हरिद्वार के लिए बहुत पुराना नाम है. उन्होंने कहा मंच संचालन में उनका कोई सानी नहीं है. उनको सुनने वाला कोई भी व्यक्ति कभी कार्यक्रम छोड़कर नहीं जा सकता है. आज वो देश के बड़े बड़े कार्यक्रम में अपनी आवाज और हिंदी को एक नया मुकाम दे रहे है. ये हरिद्वार के लिए बेहद गर्व की बात है.

Hindi Diwas 2023
हिंदी दिवस 2023
Last Updated : Sep 14, 2023, 8:02 PM IST
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