देहरादूनः दून घाटी को पहाड़ों से अलग करती मेन बाउंड्री थ्रस्ट (MBT) लाइन जो देहरादून के राजपुर रोड के ऊपरी इलाके और शहंशाही आश्रम के पास से होकर गुजरती है, इन जगहों पर आज बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हो चुका है. इस पर भूवैज्ञानिकों का कहना है कि यह बेहद संवेदनशील भूगर्भीय क्षेत्र के ऊपर मुसीबत को न्यौता देने का काम किया गया है.
कंक्रीट के जंगल में तब्दील देहरादून: राज्य गठन के बाद किसी शहर ने अगर सबसे तेज रफ्तार से विकास और निर्माण कार्य किया है तो वह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून है. देहरादून शहर जोकि तकरीबन 90 के दशक में बिल्कुल शांतिप्रिय और खुशमिजाज आबोहवा वाला शहर था, वहां आज कंक्रीट का जंगल फैल चुका है. बासमती चावल और लीची-आम के बागानों के लिए पूरे दुनिया में मशहूर देहरादून शहर अब लग्जरी और ग्लैमर की दुनिया में इतना आगे बढ़ चुका है कि यहां पर लगातार वन क्षेत्र कम हो रहा है और शहरी क्षेत्र अंधाधुंध तरीके से बढ़ रहा है. देहरादून शहर में विकास की इस अंधाधुंध दौड़ में उन इलाकों में भी बेहद भारी भरकम निर्माण हुआ है जो कि भूगर्भीय गतिविधियों के लिहाज से बेहद संवेदनशील है.
MBT लाइन के ऊपर इमारतों का निर्माण: भूगर्भ वैज्ञानिक डॉ. एमपीएस बिष्ट बताते हैं कि देहरादून शहर से लगती हुई जाने वाली एमबीटी लाइन यानी मेन बाउंड्री थ्रस्ट लाइन के ऊपर आज कई मंजिला इमारतों का निर्माण हो चुका है जो कि आने वाले समय में एक बड़ी आफत को न्योता देने का सबब बन सकता है. भूगर्भ वैज्ञानिक बिष्ट के मुताबिक, जब अलग-अलग भौगोलिक संरचना वाले दो तरह के भूभाग जिस जगह पर आपस में मिलते हैं उस जगह को मेन बाउंड्री थ्रस्ट कहा जाता है. देहरादून जिले में यह चकराता से नीचे आकर सहिया कालसी, देहरादून में मसूरी के निचले इलाके राजपुर रोड के पास शहंशाही होते हुए मालदेवता, भोगपुर और ऋषिकेश में चंद्रभागा नाले तक जाती है. इस एमबीटी लाइन के ऊपर अगर कहीं सबसे ज्यादा निर्माण कार्य हुआ है तो वह राजपुर रोड का ऊपरी इलाका है.
MBT लाइन के ऊपर निर्माण आपदा को दावत: वैज्ञानिक बताते हैं कि मेन बाउंड्री थ्रस्ट लाइन के ऊपर लगातार भूगर्भीय गतिविधियां होती रहती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मेन बाउंड्री थ्रस्ट वह क्षेत्र होता है जहां पर दो अलग-अलग प्रकार के भूभाग मिलते हैं. लिहाजा यहां पर चट्टानों और जमीन के बीच बेहद ज्यादा दबाव होता है. यहां पर अक्सर चट्टाने एक दूसरे से टकराती हैं. लिहाजा यहां भूगर्भीय गतिविधियां होने की सबसे ज्यादा संभावनाएं होती हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक, एमबीटी लाइन पर लगातार लैंडस्लाइड, चट्टानों का गिरना, जमीन की संरचना बदलना और जमीन खिसक जाने जैसी कई घटनाएं होती हैं. लिहाजा, ऐसी संवेदनशील भूगर्भीय इलाके में निर्माण कार्य बेहद जोखिम भरा हो सकता है. खासतौर से जब इन जगहों पर भारी-भरकम या फिर बहुमंजिला इमारत खड़ी की गई हो.
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