नई दिल्ली : ग्रीस के विदेश मंत्री निकोस डेंडियास दो दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंच रहे हैं. नई दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान विदेश मंत्री की अगवानी उपराष्ट्रपति और राज्य सभा (राज्यसभा) के अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू करेंगे.
डेंडियास की यात्रा और भारत-ग्रीस संबंधों के महत्व के बारे में बोलते हुए, पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत (former ambassador Anil Trigunayat) ने कहा, 'यह यात्रा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और सबसे खास बात यह है कि यह एजियन और भूमध्यसागरीय कनेक्शन के लिए भी अहम है. इस यात्रा के दौरान रूस-यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति को लेकर भी चर्चा होगी.
त्रिगुणायत ने कहा कि जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और ग्रीस एक साथ हैं, रूस इसको लेकर खफा है. चीन-भारत अपने मुद्दों को लेकर तटस्थ हैं. ब्रिक्स, एससीओ और आरआईसी में रूस बेहतर स्थिति में है.
पूर्व राजदूत ने बताया कि भारत और ग्रीस के 2500 वर्षों से भी अधिक पुराने ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध हैं, जो 326बीसी में सिकंदर महान तक सीमित नहीं हैं. उन्होंने कहा, दोनों पक्ष हिंद-प्रशांत सहित नई भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वास्तविकताओं के क्षेत्रीय और वैश्विक संदर्भ पर समान विचार साझा करते हैं.'
विश्व में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच भारत-ग्रीस रणनीतिक संबंधों के महत्व के बारे में पूछे जाने पर त्रिगुणायत ने कहा, 'एथेंस और नई दिल्ली एक दूसरे की सुरक्षा और चिंताओं के प्रति जागरूक हैं. ग्रीस ने NSG, WASSENAR, MTCR एग्रीमेंट में भारत का समर्थन किया है साथ ही संयुक्त राष्ट्र में भी कई मुद्दों पर अपना समर्थन दिया है. साइप्रस के मुद्दों पर भारत भी ग्रीस का समर्थन करता है इसलिए ऐसी उच्च स्तरीय यात्राओं से संबंधों को और आगे बढ़ाने के रूप में देखा जा सकता है. अपनी यात्रा के दौरान ग्रीस के विदेश मंत्री अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर के साथ बातचीत करेंगे. ग्रीस के विदेश मंत्रालय के अनुसार वार्ता के बाद प्रेस को संयुक्त बयान दिया जाएगा.
विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता में कई विस्तृत मुद्दों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. इन मुद्दों में संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून से जुड़ी चर्चा हो सकती है. विशेष रूप से समुद्री अंतरराष्ट्रीय कानून, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के साथ-साथ विकास के प्रति प्रतिबद्धता, रूस के आक्रमण के बाद यूक्रेन की स्थिति, भारत-प्रशांत क्षेत्र, पूर्वी-भूमध्यसागरीय और अंतरराष्ट्रीय हित के अन्य मुद्दे शामिल हो सकते हैं. डेंडियास जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में यूनानी अध्ययन पर भी भाषण देंगे.