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कहीं मुकदमा जितवाते हैं तो कहीं पूजा है वर्जित, जानें शिव बारात में कहां थककर बैठ गए थे पवनपुत्र, संजू बाबा से सलमान खान तक लगा चुके हैं अर्जी

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Published : Apr 6, 2023, 6:33 PM IST

Updated : Apr 6, 2023, 7:54 PM IST

उत्तराखंड में हनुमान से जुड़े कई अनोखे मंदिर हैं. हरिद्वार का मुकदमा जिताऊ हनुमान मंदिर इनमें से एक है. यह मंदिर मुकदमे जिताने के लिए जाना जाता है. इस मंदिर में अभिनेता संजय दत्त और सलमान खान जैसे बड़े सुपरस्टार भी अर्जी लगा चुके हैं. इसके साथ ही उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ऐसा गांव हैं जहां आज भी हनुमान जी की पूजा नहीं होती.

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खास है हरिद्वार का मुकदमा जिताऊ मंदिर

देहरादून: 6 अप्रैल को देशभर में हनुमान जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस मौके पर मंदिरों में हनुमान भक्तों की भीड़ उमड़ी. हनुमान जयंती के मौके पर ईटीवी भारत आपको कुछे ऐसे बजरंग बली की मंदिरों के बारे में बताने जा रहा है, जिसके बारे में शायद ही इससे पहले आपने कभी सुना होगा. वैसे तो देशभर में हनुमान जी के कई मंदिर हैं, लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार में हनुमान जी का ऐसा मंदिर है जहां लोग मुकदमो में जीत की अरदास लेकर आते हैं.

मुकदमे जिताने में इन हनुमान जी को महारत: हरिद्वार के कनखल में छोटा सा हनुमान मंदिर है. ये हनुमान मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब से छुटकारा पाने के लिए हरिद्वार के एक बड़े पंडित ने बनवाया था. कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापना होने के कुछ समय बाद ही औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उसके आतंक से भी लोगों को छुटकारा मिल गया. मंदिर से जुड़े ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी बताते हैं कि जबसे उन्होंने होश संभाला है, तबसे इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ और मान्यता के साथ-साथ मनोकामनाओं को पूरा होते हुए सैकड़ों बार देखा है. क्या आम और क्या खास कई श्रद्धालु यहां पर हनुमान जी दर्शन करने आते हैं, यह मंदिर खबरों में तब आया, जब संजय दत्त और सलमान खान जैसे बड़े अभिनेताओं के लिए भी इस मंदिर में अर्जी लगाई. लोगों का मानना है कि हनुमान जी को अर्जी लगाने के बाद ही दोनों अभिनेताओं को मुकदमों में जीत मिली. दोनों ही अभिनेता हनुमान जी और इस मंदिर की मान्यता को बहुत मानते हैं.

पढे़ं- Hanuman Jayanti: सिद्धबली मंदिर से कोई नहीं लौटा खाली हाथ, भोलेनाथ और गुरु गोरखनाथ के रूप में विराजमान हैं हनुमान जी

औरंगजेब की मौत का कारण भी है मंदिर: मंदिर ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी बताते हैं कि 15 जनवरी 1757 को कालजई नक्षत्र में मकर सक्रांति के दिन एक बड़ा अनुष्ठान किया गया, जिसके 40वें दिन बाद औरंगजेब की मौत हो गई थी, तभी से इस मंदिर का नाम मुकदमा जिताऊ हनुमान मंदिर पड़ गया. इस मंदिर में आज भी कई ऐसे पत्थर लगे हुए हैं जिसमें फारसी भाषा में मंदिर से जुड़ी बातों को लिखा गया है. यह मंदिर हरिद्वार के कनखल में स्थित है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.

शिव बारात में थककर यहां बैठे थे हनुमान जी: हर मंदिर की अलग-अलग मान्यता है. हरिद्वार में मुकदमा जिताऊ हनुमान मंदिर के साथ-साथ एक और मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. इस मंदिर की प्रसिद्धता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन करने के लिए यहां पर पहुंचते हैं. क्या मंगलवार, क्या सोमवार, हफ्ते के सातों दिन यहां पर भक्तों की भीड़ रहती है. अगर देखा जाए तो बहुत ही कम ऐसे मंदिर होंगे जहां पर दक्षिण मुखी हनुमान जी की प्रतिमा आपको दिखाई देंगे. इस मंदिर की मान्यता है कि जब राजा दक्ष की पुत्री सती से विवाह करने के लिए भगवान शिव की बारात हरिद्वार की गलियों से गुजर रही थी, तब हनुमान जी बारात में चलते चलते थक गये थे. थके हुए हनुमान जी ने इसी जगह बैठकर आराम किया था.

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नाचते-नाचते थक गए थे बजरंग: मंदिर से जुड़ी ऐसी किवदंती है कि भगवान हनुमान भगवान शिव की बारात में खूब नाचे. थकावट होने के बाद उन्होंने यहां पर विश्राम किया था. यह मंदिर आज पंचायती निरंजनी अखाड़ा के अधीन है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए ना केवल हरिद्वार बल्कि देश और विदेश से श्रद्धालु भी पहुंचते हैं. गंगा किनारे बना यह मंदिर बेहद खूबसूरत और बेहद शांत वातावरण में मौजूद है. भगवान शंकर की बारात मौजूदा गांव श्यामपुर के गौरी शंकर मंदिर से होती हुई हरिद्वार की गलियों से गुजरी थी. गलियों से गुजरते हुए शिवजी की बारात राजा दक्ष की नगरी कनखल पहुंची थी.

पढे़ं- 'राजनीति' ने बिगाड़ी रिस्पना और बिंदाल नदियों की 'सूरत', स्टडी टूर, कैंपेन तक सीमित रही पुनर्जीवन की कोशिशें

यहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा: देश में शायद ही ऐसा कोई मंदिर या ऐसी कोई जगह होगी जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती होगी, मगर उत्तराखंड में ऐसी एक जगह मौजूद है जहां हनुमान जी की पूजा तो छोड़िये बल्कि उनका नाम भी लेना वर्जित है. यह जगह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यह छोटा से गांव बदरीनाथ से आगे द्रोणागिरी पर्वत पर बसा है. यहां के ग्रामीण हनुमान जी से बेहद नाराज हैं. इनकी नाराजगी आज या कल की नहीं बल्कि सैकड़ों साल पुराने त्रेता युग की है, जब राम रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. तब सुसेन वैद्य ने हनुमान जी को द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. तब हनुमान जी उत्तराखंड के इसी पर्वत पर आकर संजीवनी बूटी खोज रहे थे.

कहा जाता है जब उन्हें संजीवनी बूटी खोजने में परेशानी हुई तो वे पूरा पर्वत ही यहां से उठाकर लंका ले गये. तब से यहां के लोग हनुमान से नाराज हैं. आज भी यहां के लोग ना तो हनुमान जी के मंदिर में जाते हैं और ना ही उनकी कोई प्रतिमा या तस्वीर अपने गांव में लगाते हैं. भोटिया जनजाति के लोग मानते हैं अगर हनुमान जी यहां से पर्वत नहीं ले गये होते तो आज उनका यह पूरा का पूरा क्षेत्र संजीवनी बूटी और अन्य बेहद महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों का खजाना होता, जिसके कारण उनका गांव आबाद होता.

देहरादून: 6 अप्रैल को देशभर में हनुमान जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. इस मौके पर मंदिरों में हनुमान भक्तों की भीड़ उमड़ी. हनुमान जयंती के मौके पर ईटीवी भारत आपको कुछे ऐसे बजरंग बली की मंदिरों के बारे में बताने जा रहा है, जिसके बारे में शायद ही इससे पहले आपने कभी सुना होगा. वैसे तो देशभर में हनुमान जी के कई मंदिर हैं, लेकिन उत्तराखंड के हरिद्वार में हनुमान जी का ऐसा मंदिर है जहां लोग मुकदमो में जीत की अरदास लेकर आते हैं.

मुकदमे जिताने में इन हनुमान जी को महारत: हरिद्वार के कनखल में छोटा सा हनुमान मंदिर है. ये हनुमान मंदिर 17वीं शताब्दी में औरंगजेब से छुटकारा पाने के लिए हरिद्वार के एक बड़े पंडित ने बनवाया था. कहा जाता है कि इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापना होने के कुछ समय बाद ही औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उसके आतंक से भी लोगों को छुटकारा मिल गया. मंदिर से जुड़े ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी बताते हैं कि जबसे उन्होंने होश संभाला है, तबसे इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ और मान्यता के साथ-साथ मनोकामनाओं को पूरा होते हुए सैकड़ों बार देखा है. क्या आम और क्या खास कई श्रद्धालु यहां पर हनुमान जी दर्शन करने आते हैं, यह मंदिर खबरों में तब आया, जब संजय दत्त और सलमान खान जैसे बड़े अभिनेताओं के लिए भी इस मंदिर में अर्जी लगाई. लोगों का मानना है कि हनुमान जी को अर्जी लगाने के बाद ही दोनों अभिनेताओं को मुकदमों में जीत मिली. दोनों ही अभिनेता हनुमान जी और इस मंदिर की मान्यता को बहुत मानते हैं.

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औरंगजेब की मौत का कारण भी है मंदिर: मंदिर ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्र पुरी बताते हैं कि 15 जनवरी 1757 को कालजई नक्षत्र में मकर सक्रांति के दिन एक बड़ा अनुष्ठान किया गया, जिसके 40वें दिन बाद औरंगजेब की मौत हो गई थी, तभी से इस मंदिर का नाम मुकदमा जिताऊ हनुमान मंदिर पड़ गया. इस मंदिर में आज भी कई ऐसे पत्थर लगे हुए हैं जिसमें फारसी भाषा में मंदिर से जुड़ी बातों को लिखा गया है. यह मंदिर हरिद्वार के कनखल में स्थित है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.

शिव बारात में थककर यहां बैठे थे हनुमान जी: हर मंदिर की अलग-अलग मान्यता है. हरिद्वार में मुकदमा जिताऊ हनुमान मंदिर के साथ-साथ एक और मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. इस मंदिर की प्रसिद्धता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोजाना सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु हनुमान जी के दर्शन करने के लिए यहां पर पहुंचते हैं. क्या मंगलवार, क्या सोमवार, हफ्ते के सातों दिन यहां पर भक्तों की भीड़ रहती है. अगर देखा जाए तो बहुत ही कम ऐसे मंदिर होंगे जहां पर दक्षिण मुखी हनुमान जी की प्रतिमा आपको दिखाई देंगे. इस मंदिर की मान्यता है कि जब राजा दक्ष की पुत्री सती से विवाह करने के लिए भगवान शिव की बारात हरिद्वार की गलियों से गुजर रही थी, तब हनुमान जी बारात में चलते चलते थक गये थे. थके हुए हनुमान जी ने इसी जगह बैठकर आराम किया था.

पढे़ं- Hanuman Jayanti 2023: हर भक्त की बिगड़ी तकदीर संवारते हैं बाबा नीब करौरी, रहस्यों से भरा है कैंची धाम

नाचते-नाचते थक गए थे बजरंग: मंदिर से जुड़ी ऐसी किवदंती है कि भगवान हनुमान भगवान शिव की बारात में खूब नाचे. थकावट होने के बाद उन्होंने यहां पर विश्राम किया था. यह मंदिर आज पंचायती निरंजनी अखाड़ा के अधीन है. इस मंदिर में दर्शन करने के लिए ना केवल हरिद्वार बल्कि देश और विदेश से श्रद्धालु भी पहुंचते हैं. गंगा किनारे बना यह मंदिर बेहद खूबसूरत और बेहद शांत वातावरण में मौजूद है. भगवान शंकर की बारात मौजूदा गांव श्यामपुर के गौरी शंकर मंदिर से होती हुई हरिद्वार की गलियों से गुजरी थी. गलियों से गुजरते हुए शिवजी की बारात राजा दक्ष की नगरी कनखल पहुंची थी.

पढे़ं- 'राजनीति' ने बिगाड़ी रिस्पना और बिंदाल नदियों की 'सूरत', स्टडी टूर, कैंपेन तक सीमित रही पुनर्जीवन की कोशिशें

यहां नहीं होती हनुमान जी की पूजा: देश में शायद ही ऐसा कोई मंदिर या ऐसी कोई जगह होगी जहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती होगी, मगर उत्तराखंड में ऐसी एक जगह मौजूद है जहां हनुमान जी की पूजा तो छोड़िये बल्कि उनका नाम भी लेना वर्जित है. यह जगह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है. यह छोटा से गांव बदरीनाथ से आगे द्रोणागिरी पर्वत पर बसा है. यहां के ग्रामीण हनुमान जी से बेहद नाराज हैं. इनकी नाराजगी आज या कल की नहीं बल्कि सैकड़ों साल पुराने त्रेता युग की है, जब राम रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण मूर्छित हो गए थे. तब सुसेन वैद्य ने हनुमान जी को द्रोणागिरी पर्वत से संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. तब हनुमान जी उत्तराखंड के इसी पर्वत पर आकर संजीवनी बूटी खोज रहे थे.

कहा जाता है जब उन्हें संजीवनी बूटी खोजने में परेशानी हुई तो वे पूरा पर्वत ही यहां से उठाकर लंका ले गये. तब से यहां के लोग हनुमान से नाराज हैं. आज भी यहां के लोग ना तो हनुमान जी के मंदिर में जाते हैं और ना ही उनकी कोई प्रतिमा या तस्वीर अपने गांव में लगाते हैं. भोटिया जनजाति के लोग मानते हैं अगर हनुमान जी यहां से पर्वत नहीं ले गये होते तो आज उनका यह पूरा का पूरा क्षेत्र संजीवनी बूटी और अन्य बेहद महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों का खजाना होता, जिसके कारण उनका गांव आबाद होता.

Last Updated : Apr 6, 2023, 7:54 PM IST
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