रांची : झारखंड के हजारीबाग जिले के किसानों का रुझान परंपरागत फसलों के बजाय अब फूलों की खेती की तरफ बढ़ रहा है. इन दिनों एक किसान ने गेंदे के फूल (Marigold Flower) की खेती शुरू की है, जिससे अधिक मुनाफे की खुशबू आ रही है. अजय फसलों की खेती छोड़कर गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं. उनके खेतों में लहलहाते फूलों की बाजारों में मांग भी बढ़ते जा रही है. जिससे अजय भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं. फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने सरकारी मदद लेने की भी कोशिश की. लेकिन आज तक उन्हें मदद नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने कर्ज लेकर गेंदा फूल की खेती शुरू की है.
हजारीबाग के दारू प्रखंड स्थित पेटो गांव में अजय कुमार गेंदा फूलों की खेती कर रहे हैं. दीपावली को देखते हुए उन्होंने फूलों की खेती शुरू की. दीपावली से पहले उनके खेत फूलों से लहलहा रहे हैं और व्यापारिक खेत पहुंचकर फूल खरीद रहे हैं. इससे पहले अजय खेतों में सब्जी उगाते थे. लेकिन सब्जी में मुनाफा नहीं होता था.
बेमौसम बरसात से सब्जी खेतों में ही बर्बाद हो जाता था. ऐसे में अजय ने कुछ अलग करने की सोचा और फूलों की खेती शुरू की. आज अजय की हर तरफ चर्चा हो रही है. शहर के व्यापारी फूल खरीदने पहुंच रहे हैं. पति-पत्नी की मेहनत ने अब रंग लाना शुरू कर दिया है.
अजय की हो रही तारीफ
अजय बताते हैं कि बहुत ही सोच विचार करने के बाद उन्होंने गेंदा फूलों की खेती शुरू की. उनके गांव में सभी किसान परंपरागत खेती करते हैं. अजय ने जब फूल की खेती शुरू की तो लोगों ने कहा कि इससे लाभ नहीं होगा. लेकिन आज अजय का फूल भरा खेत देखकर गांव के लोग भी उन्हें शाबाशी दे रहे हैं.
अजय ने मदद के लिए कई बार लगाए सरकारी कार्यालय के चक्कर
अजय एक निजी स्कूल में शिक्षक थे. लेकिन कोरोना के कारण स्कूल बंद हो गया और उनकी नौकरी चली गई. उसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति भी काफी खराब हो गई. अजय ने लोगों से पैसा उधार लेकर गेंदा फूल की खेती शुरू कर दी और पति पत्नी खेतों में कड़ी मेहनत करने लगे. जिसका आज परिणाम सामने आने लगा है.
अजय ने बताया कि मैंने सरकारी लाभ लेने के लिए ना जाने कितने कार्यालय का चक्कर लगाया. लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की. सरकार भले ही बोलती हो कि किसानों की आय दोगुनी की जाएगी. लेकिन अफसरशाही के कारण किसानों को मदद नहीं मिल पा रही है. वहीं जिसकी पहचान सरकारी बाबूओं से है उन्हें ही सरकारी मदद मिल पाती है. अजय ने ड्रिप इरिगेशन के लिए भी आवेदन दिया और खेतों तक बिजली पहुंचे इसके लिए बिजली विभाग से गुहार लगाई. लेकिन सभी ने अनसुना कर दिया.
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सरकार से उम्मीद
वहीं अजय की पत्नी कुमारी सोनी भी बताती हैं कि मेरे पति ने बहुत कार्यालय का चक्कर लगाया और अपना समय बर्बाद किया. लेकिन किसी तरह की मदद नहीं मिली. उसके बावजूद भी मुझे खुशी है कि हम दोनों का प्रयास रंग लाया. हमारे खेत फूलों से लहलहा रहे हैं और हमें अच्छी आमदनी भी हो रही है. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हमें उम्मीद है कि एक न एक दिन सरकार से मदद मिलेगी. ताकि हम और अच्छा खेती कर पाएं.