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कृषि कानून : कोर्ट नियुक्त समिति के सदस्यों ने रिपोर्ट को शत प्रतिशत किसानों के पक्ष में बताया

विवादास्पद कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय नियुक्त द्वारा समिति के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट 'शत प्रतिशत' किसानों के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को मामले पर शीघ्र सुनवाई करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 8, 2021, 5:30 PM IST

नई दिल्ली/ पुणे : राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर लंबे वक्त से जारी किसान प्रदर्शनों के जल्द समाधान की उम्मीद जताते हुए, विवादास्पद कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय नियुक्त द्वारा समिति के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट 'शत प्रतिशत' किसानों के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए.

समिति के सदस्य ने माना कि सरकार और उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट जारी होने के साथ पैदा होने वाली कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति पर विचार करना होगा जिसके लिए उन्हें समय लेने की आवश्यकता है, लेकिन 'वे इसे दरकिनार नहीं कर सकते हैं और उन्हें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.'

समिति के सदस्य, शेटकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने एक सितंबर को प्रधान न्यायाधीश को पद लिखकर उनसे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया था. उन्होंने यह भी कहा कि समिति तीनों कानूनों को निरस्त किए जाने का समर्थन नहीं करती है जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान मांग उठा रहे हैं लेकिन वह और उनका संगठन निश्चित तौर पर मानता है कि कानूनों में 'कई खामियां' हैं जिनका समाधान करने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें - अदालतें यह नहीं मान सकतीं कि दूसरी लहर में कोविड से हुई सभी मौत लापरवाही के कारण हुईं : न्यायालय

घनवत ने कहा कि इसलिए बहुत आवश्यक है कि शीर्ष अदालत किसानों के सभी संदेह दूर करने के लिए रिपोर्ट को जल्द सार्वजनिक करे. उन्होंने कहा, 'रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाना चाहिए. अगर वे कल ऐसा करते हैं, तो अच्छा रहेगा....लोगों को जब रिपोर्ट की सामग्री का पता चलेगा तो वे निर्णय कर पाएंगे कि नए कृषि कानून किसानों के पक्ष में हैं या नहीं.'

घनवत ने कहा कि अदालत में रिपोर्ट जमा किए हुए पांच महीने से अधिक वक्त हो गया है और यह समझ से परे है कि अदालत ने रिपोर्ट पर संज्ञान क्यों नहीं लिया है. उन्होंने अदालत से यथाशीघ्र रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया.

सीजेआई को लिखे अपने पत्र में घनवत ने कहा था, 'रिपोर्ट में किसानों के सभी संदेहों को दूर किया गया है. समिति को विश्वास है कि अनुशंसाएं जारी किसान आंदोलन को सुलझाने का रास्ता निकालेंगी.'

तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 12 जनवरी 2021 को एक समिति का गठन किया था, जिसमें घनवत को कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सदस्य के रूप में नामित किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली/ पुणे : राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर लंबे वक्त से जारी किसान प्रदर्शनों के जल्द समाधान की उम्मीद जताते हुए, विवादास्पद कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय नियुक्त द्वारा समिति के एक सदस्य ने बुधवार को कहा कि समिति द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट 'शत प्रतिशत' किसानों के पक्ष में है. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत को मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई करनी चाहिए.

समिति के सदस्य ने माना कि सरकार और उच्चतम न्यायालय को रिपोर्ट जारी होने के साथ पैदा होने वाली कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति पर विचार करना होगा जिसके लिए उन्हें समय लेने की आवश्यकता है, लेकिन 'वे इसे दरकिनार नहीं कर सकते हैं और उन्हें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.'

समिति के सदस्य, शेटकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल जे घनवत ने एक सितंबर को प्रधान न्यायाधीश को पद लिखकर उनसे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया था. उन्होंने यह भी कहा कि समिति तीनों कानूनों को निरस्त किए जाने का समर्थन नहीं करती है जैसा कि प्रदर्शनकारी किसान मांग उठा रहे हैं लेकिन वह और उनका संगठन निश्चित तौर पर मानता है कि कानूनों में 'कई खामियां' हैं जिनका समाधान करने की जरूरत है.

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घनवत ने कहा कि इसलिए बहुत आवश्यक है कि शीर्ष अदालत किसानों के सभी संदेह दूर करने के लिए रिपोर्ट को जल्द सार्वजनिक करे. उन्होंने कहा, 'रिपोर्ट को शीघ्र सार्वजनिक किया जाना चाहिए. अगर वे कल ऐसा करते हैं, तो अच्छा रहेगा....लोगों को जब रिपोर्ट की सामग्री का पता चलेगा तो वे निर्णय कर पाएंगे कि नए कृषि कानून किसानों के पक्ष में हैं या नहीं.'

घनवत ने कहा कि अदालत में रिपोर्ट जमा किए हुए पांच महीने से अधिक वक्त हो गया है और यह समझ से परे है कि अदालत ने रिपोर्ट पर संज्ञान क्यों नहीं लिया है. उन्होंने अदालत से यथाशीघ्र रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया.

सीजेआई को लिखे अपने पत्र में घनवत ने कहा था, 'रिपोर्ट में किसानों के सभी संदेहों को दूर किया गया है. समिति को विश्वास है कि अनुशंसाएं जारी किसान आंदोलन को सुलझाने का रास्ता निकालेंगी.'

तीन कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 12 जनवरी 2021 को एक समिति का गठन किया था, जिसमें घनवत को कृषक समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए सदस्य के रूप में नामित किया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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