मुंबई : महाराष्ट्र के एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कार्यकर्ता वर्नोन गोंसालवेज और अरुण फरेरा शनिवार को नवी मुंबई की जेल से रिहा हुए. गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले उच्चतम न्यायालय ने उन्हें जमानत प्रदान की थी, जिसके बाद यहां की एक विशेष अदालत ने उनकी रिहाई का आदेश जारी किया. दोनों आरोपी नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे. मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से संबंधित मामलों की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत ने शुक्रवार को रिहाई का आदेश जारी किया और आरोपी शनिवार शाम तक जेल से रिहा हो गए हैं, क्योंकि अदालत के सामने उनकी जमानत संबंधी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं.
शीर्ष अदालत में 28 जुलाई को सुनवाई के बाद जज ने यह कहकर जमानत दी थी कि किसी भी आतंकवाद गतिविधि में गोंसाल्वेस और फरेरा की संलिप्तता की पुष्टि नहीं हो पायी है. न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने उन्हें जमानत दी थी. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों कार्यकर्ताओं के कुछ समर्थक और परिजन उन्हें लेने के लिए जेल के बाहर इंतजार कर रहे थे. उनकी रिहाई के साथ, मामले में गिरफ्तार 16 आरोपियों में से पांच अब जमानत पर बाहर हैं. 16 आरोपियों में से एक जेसुइट पादरी स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत के दौरान जुलाई 2021 में यहां एक निजी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.
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यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 को आयोजित एल्गार परिषद के एक कार्यक्रम से जुड़ा है और पुणे पुलिस का आरोप है कि इसके लिए धन माओवादियों ने दिया था. पुलिस का यह भी आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन पुणे के कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक पर हिंसा भड़क गई थी. बाद में एनआईए ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी.
(अतिरिक्त इनपुट-भाषा)