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नियोक्ता पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला संपादक को फिर से नौकरी पर रखने का आदेश

जस्टिस संजीव सचदेव ने कहा कि नियोक्ता के विरुद्ध महिला की शिकायत का मामला स्थानीय शिकायत समिति देखेगी, क्योंकि आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee-ICC) के पास सचिव के खिलाफ शिकायत का मामला देखने का अधिकार नहीं है, जिसके विरुद्ध आरोप लगाया गया है.

दिल्ली उच्च न्यायालय
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Published : Oct 27, 2021, 11:52 AM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक प्रकाशन घराने में महिला संपादक को फिर से नियुक्ति देने का आदेश दिया है. महिला संपादक को अपने नियोक्ता पर यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था.

अदालत ने कहा कि महिला की यौन शोषण की शिकायत पर संज्ञान लेकर उसकी सहायता करने की बजाय कंपनी ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर उसका विरोध किया और उसे नौकरी से भी निकाल दिया.

जस्टिस संजीव सचदेव ने कहा कि नियोक्ता के विरुद्ध महिला की शिकायत का मामला स्थानीय शिकायत समिति देखेगी, क्योंकि आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee-ICC) के पास सचिव के खिलाफ शिकायत का मामला देखने का अधिकार नहीं है, जिसके विरुद्ध आरोप लगाया गया है.

पढ़ें : अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मातहत अधिकारी के कृत्य का जिम्मेदार उच्च अधिकारी नहीं

अदालत ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत सचिव को नियोक्ता माना और उस कंपनी के 14 फरवरी, 2020 के कार्यालय ज्ञापन को रद्द कर दिया जिसमें महिला को नौकरी से बाहर निकाल दिया गया था. अदालत ने स्पष्ट किया कि फैसले में कही गई कोई भी बात पीड़ित महिला द्वारा लगाए गए आरोपों या सचिव के बचाव के आधार पर राय की अभिव्यक्ति नहीं होगी.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने एक प्रकाशन घराने में महिला संपादक को फिर से नियुक्ति देने का आदेश दिया है. महिला संपादक को अपने नियोक्ता पर यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद नौकरी से निकाल दिया गया था.

अदालत ने कहा कि महिला की यौन शोषण की शिकायत पर संज्ञान लेकर उसकी सहायता करने की बजाय कंपनी ने एड़ी चोटी का जोर लगाकर उसका विरोध किया और उसे नौकरी से भी निकाल दिया.

जस्टिस संजीव सचदेव ने कहा कि नियोक्ता के विरुद्ध महिला की शिकायत का मामला स्थानीय शिकायत समिति देखेगी, क्योंकि आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee-ICC) के पास सचिव के खिलाफ शिकायत का मामला देखने का अधिकार नहीं है, जिसके विरुद्ध आरोप लगाया गया है.

पढ़ें : अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मातहत अधिकारी के कृत्य का जिम्मेदार उच्च अधिकारी नहीं

अदालत ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम के तहत सचिव को नियोक्ता माना और उस कंपनी के 14 फरवरी, 2020 के कार्यालय ज्ञापन को रद्द कर दिया जिसमें महिला को नौकरी से बाहर निकाल दिया गया था. अदालत ने स्पष्ट किया कि फैसले में कही गई कोई भी बात पीड़ित महिला द्वारा लगाए गए आरोपों या सचिव के बचाव के आधार पर राय की अभिव्यक्ति नहीं होगी.

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