देहरादून: एक तरफ प्लास्टिक पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी समस्या बना हुआ है, तो वहीं देहरादून छावनी क्षेत्र में इसी प्लास्टिक के नए विकल्प ने सबको हैरान किया है. एक तरफ प्रकृति का सबसे बड़ा दुश्मन प्लास्टिक का यह स्थायी समाधान है, तो वहीं दूसरी तरफ सर्कुलर इकोनॉमी के लिए यहां एक बड़ा उदाहरण बनकर सामने आया है. देहरादून छावनी क्षेत्र में बेकार पड़े प्लास्टिक के रैपर और सिंगल यूज प्लास्टिक को कलेक्ट कर इसे रिसाइकिल कर छावनी क्षेत्र में ही कई सुंदर निर्माण हुए हैं. यह निर्माण बेहद किफायती और लंबे समय तक चलने वाले हैं. कचरे से संसाधन बनाने की पहल देशभर के कई लोगों को आकर्षित कर रही है.
प्लास्टिक के कचरे से बन रहीं टाइल्स और बेंच: देहरादून कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा घरों से निकलने वाले प्लास्टिक के कचरे, जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे कि चिप्स के रैपर, पॉलिथीन, प्लास्टिक के बैग, पानी की बोतल का उपयोग करके कई चीजें दैनिक जीवन में उपयोग के लिए बनाईं गई हैं. प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल करके प्लास्टिक की टाइल्स, पार्क में बैठने वाली बेंच, दरवाजे पर लगने वाली सीट और बायो टॉयलेट बनाने के लिए किया गया है. देहरादून कैंटोनमेंट बोर्ड ने घरों से आने वाले कचरे को इकट्ठा करके एक कंपनी को बेचा और उससे प्लास्टिक की बेंच और टाइल्स बनवा कर उसको उपयोग में लाया. प्लास्टिक के कचरे से बनी बेंच देखने में काफी ज्यादा सुंदर लगती हैं. साथ ही जो टाइल्स प्लास्टिक के कचरे से बनी हुई हैं, वह भी काफी सुंदर है और उन पर फिसलन नहीं होती है.
लोगों को भा रहे प्लास्टिक के कचरे से बने उत्पाद: देहरादून कैंटोनमेंट बोर्ड के सीईओ अभिनव सिंह ने बताया कि सर्कुलर इकोनॉमी का जो कांसेप्ट होता है, उसी के तहत हमने शुरुआत की थी. जो कचरा यहां प्रोड्यूस हो रहा है, उसे हमारे ट्रेंचिंग ग्राउंड या लैंडफिल पर ले जाया रहा है. लैंडफिल साइट पर कचरा उठाने वाले लोग चुनिंदा कचरा ही उठाते हैं, जो कबाड़ी को बेचा जा सके. जैसे गत्ता, कांच की बोतल और मेटल की कोई चीज, लेकिन जो यह लो वैल्यू प्लास्टिक है, या पॉलिथीन जैसे प्लास्टिक के कट्टे यह लैंडफिल पर ही पड़ा रहता है. इसलिए इस समस्या से बचने के लिए हमने सोचा कि कैसे हम उसको किसी प्रोडक्ट के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाएं. उन्होंने बताया कि हमें एक कंपनी के बारे में पता चला जो कि प्लास्टिक की टाइल्स बना रही थी और प्लास्टिक के बोर्ड्स बना रही थी.
उससे संपर्क किया और पहले थोड़ी टाइल्स लगवा कर देखीं जो कि अच्छी लगीं. फिर हमने 800 मीटर फुटपाथ पर टाइल्स लगवाईं. हमने यह पाया कि लोगों द्वारा इसको काफी पसंद किया गया है. ये देखने में काफी सुंदर भी लगती हैं. इसका एक फायदा ये भी है कि इस पर फिसलन और काई नहीं लगती है. उन्होंने बताया कि फिर हमने इन टाइल्स को और भी जगह पर लगवाया है.
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