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केदारनाथ मंदिर के बाहर लगे QR कोड का जानें सच, उड़ जाएंगे होश, ₹67 लाख से जुड़ी कड़ी

पिछले दिनों केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान को लगाए गए QR कोड की तस्वीर वायरल होते ही विवाद का रूप ले लिया. पहले तो बीकेटीसी ने इसको लेकर खूब हाय तौबा मचाया, लेकिन जब जांच में इसका खुलासा हुआ तो बीकेटीसी ने यू-टर्न ले लिया.

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केदारनाथ में लगे QR कोड का विवाद
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Published : May 4, 2023, 8:00 PM IST

Updated : May 4, 2023, 10:21 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा इन दिनों जोरों पर चल रही है, लेकिन इस बार चारधाम यात्रा के दौरान कई विवाद सामने आ रहे हैं. हेली सेवा, यात्रा मार्ग में अव्यवस्था, यात्रियों की मौत सहित कई कारणों से चारधाम यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई है. वहीं, पिछले दिनों सोशल मीडिया में केदारनाथ में डिजिटल दान को लेकर मंदिर में लगाए गए QR कोड की खबर पर एक हफ्ते से विवाद जारी है. आखिर कहां से आया ये QR कोड और क्यों बदरी-केदार मंदिर समिति ने इसको लेकर शिकायत दर्ज करवाया? कौन है जिसने डिजिटल दान के केदारनाथ में QR कोड लगाया? इस पूरी खबर को लेकर जानिए ईटीवी भारत खास खबर.

केदारनाथ मंदिर के बाहर दिखा QR कोड: 25 अप्रैल को केदारनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए. जिसके साथ ही केदारनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई. वहीं, 26 अप्रैल को बाबा केदारनाथ मंदिर का एक फोटो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मंदिर के बाहर एक बड़ा सा पेटीएम का QR कोड लगा दिखा. इसके साथ ही सोशल मीडिया में यह खबर चलने लगी की अब भक्त केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान भी दे सकते हैं. केदारनाथ मंदिर के बाहर लगे QR कोड का होर्डिंग देखकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया आने लगी.

QR कोड की तस्वीर पर मचा घमासान: केदारनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर जैसे ही पेटीएम का बड़ा सा QR कोड की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वैसे ही हंगामा मचना शुरू हो गया. लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई. किसी ने कहा आखिर दान के चक्कर में क्यों मंदिर की भव्यता और सुंदरता से खिलवाड़ किया जा रहा है. जबकि मंदिर समिति की गाइडलाइन अनुसार यूट्यूबर और रिल्स मेकर्स को मंदिर परिसर क्षेत्र में प्रतिबंधित किया गया है. इस तस्वीरों पर हंगामा मचा तो कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार और बीकेटीसी को घेरने का मौका नहीं छोड़ा. मामला बढ़ता देख मंदिर समिति भी सकते में आ गई.
ये भी पढ़ें: केदारनाथ धाम में पहुंचा Digital India, अब UPI पेमेंट से भक्त कर सकेंगे दान

Paytm ने केदारनाथ में QR कोड को लेकर किया ट्वीट: केदारनाथ में डिजिटल दान को बढ़ावा देने के लिए पेटीएम की ओर से क्यूआर कोड लगाए गए थे, क्योंकि 26 अप्रैल को पेटीएम ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने केदारनाथ में डिजिटल दान के लिए इस क्यूआर कोड का इस्तेमाल की बात कही थी. पेटीएम ने ट्वीट में जानकारी दी कि भारत में क्यूआर और मोबाइल भुगतान के अग्रणी के रूप में हमने केदारनाथ मंदिर के द्वार पर डिजिटल दान को सक्षम किया है. अब भक्तों को 'डिजिटल दान' देते हुए पेटीएम क्यूआर कोड को स्कैन करते हुए देखा जा सकता है.

  • As pioneers of QR and mobile payments in India, we have enabled digital donations at the doors of the #Kedarnath temple & devotees can be seen scanning the Paytm QR code giving 'digital daan'.

    We are continuously dedicated towards driving #financialInclusion in the country by… pic.twitter.com/W6ZOwF8ji9

    — Paytm (@Paytm) April 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

विवाद बढ़ने पर BKTC ने जताई अनभिज्ञता: केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान को लेकर लगाए गए पेटीएम की ओर क्यूआर कोड पर बदरी-मंदिर समिति ने अनभिज्ञता जाहिर की. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने यह कहा यह मामला बेहद गंभीर है. मंदिर समिति इसको लेकर चुप नहीं बैठेगी. इतना ही नहीं इसको लेकर अजेंद्र अजय ने मीडिया में बयान दिया कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में विभिन्न स्थानों पर क्यूआर कोड के माध्यम से दान वाले बोर्ड नहीं लगाए गए हैं. ये बोर्ड दोनों धामों में कपाट खुलने के दिन लगाए गए थे. बाद में बीकेटीसी सदस्यों द्वारा बोर्ड हटा दिए गया है. इस संबंध में शिकायत भी दर्ज करवाई गई है.

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केदारनाथ में लगे QR कोड का विवाद

डिजिटल दान को लेकर लगे QR कोड से बढ़ी टेंशन: केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के अगले दिन बड़े-बड़े क्यूआर कोड कैसे मंदिर के गेट तक पहुंचे और किसने इसे लगाया. इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. सोशल मीडिया में खबर फैलने के बाद 2 से 3 दिनों हल्ला होता रहा, लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की केदारनाथ धाम में क्यूआर कोड किसने लगाए. क्यूआर कोड लगाते समय वहां कौन लोग और मंदिर समिति के कौन से पदाधिकारी मौजूद थे ?किसके कहने पर यह क्यूआर कोड लगे. क्योंकि मंदिर के चारों तरफ दर्जनों कैमरे लगे हुए हैं. इसलिए न मामले को लेकर न तो मंदिर समिति और न ही पुलिस को किसी दिक्कतों का सामना करना था. बैक डेट में जाकर क्यूआर लगने का वीडियो देखा जा सकता था. जिससे साफ पता चल जाता कि जिस वक्त यह हार्डिंग लग रहा था, उस वक्त वहां पर कौन मौजूद था. किसकी मौजूदगी में यह QR कोड लगाए जा रहे हैं.

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केदारनाथ में लगे QR कोड का विवाद.
ये भी पढ़ें: कौन हैं वो शातिर जिन्होंने बदरीनाथ केदारनाथ में क्यूआर कोड से की ठगी?, मंदिर समिति की नाक के नीचे श्रद्धालुओं को लगाया चूना

मामले को लेकर मंदिर समिति करता रहा बयानबाजी: केदारनाथ में QR कोड किसने और कब लगाया? इसकी छानबीन करने की जगह मंदिर समिति अपनी अनभिज्ञता जाहिर करने और सिर्फ बयानबाजी करने में लगा रहा. क्यूआर कोड विवाद को लेकर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा यह मामला बेहद गंभीर है. मंदिर समिति इसको लेकर चुप नहीं बैठेगी, लेकिन अजेंद्र अजय की बात से इत्तेफाक रखने वाले केदारनाथ मंदिर के कई पुरोहितों ने मंदिर समिति के अध्यक्ष को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए.

  • #WATCH | Uttarakhand: The boards at various places in Kedarnath and Badrinath Dham containing donations through QR codes were not put up by the Shri Badrinath-Kedarnath Temple Committee (BKTC). These boards were installed on the day of the opening of the doors in both Dhams. The… pic.twitter.com/fSKHHTen8t

    — ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

OR कोड को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज: मामला तूल पकड़ता देख बीकेटीसी की तरफ से पुलिस में शिकायत दर्ज कराया गया. मामला केदारनाथ मंदिर से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने भी मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दीय. क्योंकि शक जाहिर किया जा रहा था कि डिजिटल दान के नाम पर कही साइबर फ्रॉड का खेल तो नहीं खेला जा रहा है, लेकिन जब मंदिर समिति ने मामले की जांच की तो मामला कुछ और ही निकला.

जांच में हुआ QR कोड मामले का खुलासा: केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान के लिए लगाए गए QR कोड पर कई दिनों तक हाय तौबा मचने के बाद आखिर इस विवाद से पर्दा उठ गया. जिसकी असलियत जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे. जिस मंदिर समिति ने QR कोड को लेकर सबसे ज्यादा विवाद खड़ा किया, आखिर में मामला उससे ही जुड़ा निकला. दरअसल मंदिर समिति की जांच में यह बात सामने आई की पेटीएम इस पूरे मामले पर कहीं से कहीं तक गलत ही नहीं है. क्योंकि साल 2017 में पेटीएम और मंदिर समिति के बीच एक अनुबंध हुआ था. जिसके तहत बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान को लेकर पेटीएम को बीकेटीसी को सुविधाएं उपलब्ध कराना था.

बदरी केदार मंदिर समिति ने दी मामले की जानकारी: मंदिर समिति के मीडिया प्रकोष्ठ प्रभारी हरीश गौड़ ने मामले की जानकारी दी. उन्होंने कहा साल 2017 में बदरी-केदार मंदिर समिति और पेटीएम के बीच एक अनुबंध हुआ था. जिसके तहत डिजिटल दान को लेकर केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर में छोटे-छोटे QR साइन बोर्ड लगाए गए थे, लेकिन इस बार अचानक से बड़ा साइन बोर्ड लगाया गया. जिसकी जानकारी पेटीएम अधिकारियों ने बीकेटीसी को नहीं दी. पेटीएम ने बीकेटीसी अधिकारियों को बिना बताए यह होर्डिंग लगा दिया. जिसका साइज बहुत बड़ा है. इसके बाद मंदिर समिति ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की.

मामले का खुलासा होने पर मंदिर समिति की दलील: केदारनाथ मंदिर में क्यूआर कोड मामले का खुलासा होने के बाद मंदिर समिति अपनी दलीले देने लगा है. मंदिर समिति के मीडिया प्रकोष्ठ प्रभारी हरीश गौड़ ने कहा पुलिस में शिकायत देने की बात इसलिए भी बेहद जरूरी थी. क्योंकि आजकल साइबर फ्रॉड के मामले बहुत हो रहे हैं. चूंकि मामला केदारनाथ से जुड़ा था, इसलिए मामला और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है, लेकिन मामले में बीकेटीसी ने भी जांच की थी. जिसके बाद यह साफ हो गया कि किसी तरह का कोई फ्रॉड नहीं हुआ है.
ये भी पढ़ें: बदरीनाथ-केदारनाथ धाम VIP दर्शन के लिए देने होंगे 300 रुपए, BKTC की बैठक में 76 करोड़ का बजट पास

अजेंद्र अजय ने पेटीएम से जताई नाराजगी: बिना अधिकारिक सूचना दिए पेटीएम द्वारा इतने बड़े QR कोड का साइन बोर्ड लगाने पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा पेटीएम अधिकारियों ने मामले को लेकर मौखिक रूप से अपनी गलती स्वीकार की है. और इस पूरी घटना पर खेद व्यक्त किया है. मंदिर समिति ने जानकारी दी है कि अब तक मंदिर समिति के पास ₹67 लाख रुपए ऑनलाइन प्राप्त हुए हैं. इस मामले का फिलहाल पूरी तरह से पटाक्षेप हो गया है.

QR कोड को लेकर कांग्रेस ने बीकेटीसी को घेरा: केदारनाथ मंदिर में QR कोड का मामला तूल पकड़ता देख, कांग्रेस भी कूद पड़ी. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने तो यहां तक कह दिया कि मंदिर समिति की विश्वसनीयता पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. एक दिन में ही लगातार अलग-अलग दो बयान आने के बाद यह साफ हो गया है कि मंदिर समिति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं कर रही है. इतना सब कुछ हो जाने के बाद, पूरे देशभर में बीकेटीसी की किरकिरी होने के बाद और भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाने के बाद मंदिर समिति को आ रहा है कि दरअसल जिस मामले को लेकर मंदिर समिति हाय तौबा मचा रही थी पुलिस के पास जा रही थी उसमें हकीकत लेश मात्र भी नहीं थी.

बदरी-केदार मंदिर समिति भले ही कुछ भी कह रही हो, लेकिन सवाल यहां खड़ा होते हैं कि आखिरकार मंदिर समिति ने शुरुआती दौर में जानकारी क्यों नहीं दी. मंदिर समिति ने क्यों नहीं बताया कि साल 2017 में पेटीएम के साथ उनका अनुबंध हो रखा है. क्यों मंदिर समिति लगातार मामले की जानकारी होने की बात करती रही. उल्टा मंदिर समिति अपनी गलती मानने के बजाय आज भी पेटीएम पर ही दोषारोपण कर रही है. मंदिर समिति की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में यह कहा गया है कि पेटीएम ने मामले पर मौखिक रूप से माफी मांगी है, लेकिन मंदिर समिति ने यह नहीं बताया कि मौखिक रूप में माफी या खेद किस अधिकारी ने प्रकट किया है.

देहरादून: उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा इन दिनों जोरों पर चल रही है, लेकिन इस बार चारधाम यात्रा के दौरान कई विवाद सामने आ रहे हैं. हेली सेवा, यात्रा मार्ग में अव्यवस्था, यात्रियों की मौत सहित कई कारणों से चारधाम यात्रियों की मुश्किलें बढ़ गई है. वहीं, पिछले दिनों सोशल मीडिया में केदारनाथ में डिजिटल दान को लेकर मंदिर में लगाए गए QR कोड की खबर पर एक हफ्ते से विवाद जारी है. आखिर कहां से आया ये QR कोड और क्यों बदरी-केदार मंदिर समिति ने इसको लेकर शिकायत दर्ज करवाया? कौन है जिसने डिजिटल दान के केदारनाथ में QR कोड लगाया? इस पूरी खबर को लेकर जानिए ईटीवी भारत खास खबर.

केदारनाथ मंदिर के बाहर दिखा QR कोड: 25 अप्रैल को केदारनाथ मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए. जिसके साथ ही केदारनाथ यात्रा की शुरुआत हो गई. वहीं, 26 अप्रैल को बाबा केदारनाथ मंदिर का एक फोटो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें मंदिर के बाहर एक बड़ा सा पेटीएम का QR कोड लगा दिखा. इसके साथ ही सोशल मीडिया में यह खबर चलने लगी की अब भक्त केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान भी दे सकते हैं. केदारनाथ मंदिर के बाहर लगे QR कोड का होर्डिंग देखकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया आने लगी.

QR कोड की तस्वीर पर मचा घमासान: केदारनाथ मंदिर के मुख्य द्वार पर जैसे ही पेटीएम का बड़ा सा QR कोड की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, वैसे ही हंगामा मचना शुरू हो गया. लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई. किसी ने कहा आखिर दान के चक्कर में क्यों मंदिर की भव्यता और सुंदरता से खिलवाड़ किया जा रहा है. जबकि मंदिर समिति की गाइडलाइन अनुसार यूट्यूबर और रिल्स मेकर्स को मंदिर परिसर क्षेत्र में प्रतिबंधित किया गया है. इस तस्वीरों पर हंगामा मचा तो कांग्रेस ने भी भाजपा सरकार और बीकेटीसी को घेरने का मौका नहीं छोड़ा. मामला बढ़ता देख मंदिर समिति भी सकते में आ गई.
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Paytm ने केदारनाथ में QR कोड को लेकर किया ट्वीट: केदारनाथ में डिजिटल दान को बढ़ावा देने के लिए पेटीएम की ओर से क्यूआर कोड लगाए गए थे, क्योंकि 26 अप्रैल को पेटीएम ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने केदारनाथ में डिजिटल दान के लिए इस क्यूआर कोड का इस्तेमाल की बात कही थी. पेटीएम ने ट्वीट में जानकारी दी कि भारत में क्यूआर और मोबाइल भुगतान के अग्रणी के रूप में हमने केदारनाथ मंदिर के द्वार पर डिजिटल दान को सक्षम किया है. अब भक्तों को 'डिजिटल दान' देते हुए पेटीएम क्यूआर कोड को स्कैन करते हुए देखा जा सकता है.

  • As pioneers of QR and mobile payments in India, we have enabled digital donations at the doors of the #Kedarnath temple & devotees can be seen scanning the Paytm QR code giving 'digital daan'.

    We are continuously dedicated towards driving #financialInclusion in the country by… pic.twitter.com/W6ZOwF8ji9

    — Paytm (@Paytm) April 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

विवाद बढ़ने पर BKTC ने जताई अनभिज्ञता: केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान को लेकर लगाए गए पेटीएम की ओर क्यूआर कोड पर बदरी-मंदिर समिति ने अनभिज्ञता जाहिर की. मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने यह कहा यह मामला बेहद गंभीर है. मंदिर समिति इसको लेकर चुप नहीं बैठेगी. इतना ही नहीं इसको लेकर अजेंद्र अजय ने मीडिया में बयान दिया कि बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में विभिन्न स्थानों पर क्यूआर कोड के माध्यम से दान वाले बोर्ड नहीं लगाए गए हैं. ये बोर्ड दोनों धामों में कपाट खुलने के दिन लगाए गए थे. बाद में बीकेटीसी सदस्यों द्वारा बोर्ड हटा दिए गया है. इस संबंध में शिकायत भी दर्ज करवाई गई है.

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केदारनाथ में लगे QR कोड का विवाद

डिजिटल दान को लेकर लगे QR कोड से बढ़ी टेंशन: केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के अगले दिन बड़े-बड़े क्यूआर कोड कैसे मंदिर के गेट तक पहुंचे और किसने इसे लगाया. इस बात की जानकारी किसी को नहीं थी. सोशल मीडिया में खबर फैलने के बाद 2 से 3 दिनों हल्ला होता रहा, लेकिन किसी ने यह जानने की कोशिश नहीं की केदारनाथ धाम में क्यूआर कोड किसने लगाए. क्यूआर कोड लगाते समय वहां कौन लोग और मंदिर समिति के कौन से पदाधिकारी मौजूद थे ?किसके कहने पर यह क्यूआर कोड लगे. क्योंकि मंदिर के चारों तरफ दर्जनों कैमरे लगे हुए हैं. इसलिए न मामले को लेकर न तो मंदिर समिति और न ही पुलिस को किसी दिक्कतों का सामना करना था. बैक डेट में जाकर क्यूआर लगने का वीडियो देखा जा सकता था. जिससे साफ पता चल जाता कि जिस वक्त यह हार्डिंग लग रहा था, उस वक्त वहां पर कौन मौजूद था. किसकी मौजूदगी में यह QR कोड लगाए जा रहे हैं.

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केदारनाथ में लगे QR कोड का विवाद.
ये भी पढ़ें: कौन हैं वो शातिर जिन्होंने बदरीनाथ केदारनाथ में क्यूआर कोड से की ठगी?, मंदिर समिति की नाक के नीचे श्रद्धालुओं को लगाया चूना

मामले को लेकर मंदिर समिति करता रहा बयानबाजी: केदारनाथ में QR कोड किसने और कब लगाया? इसकी छानबीन करने की जगह मंदिर समिति अपनी अनभिज्ञता जाहिर करने और सिर्फ बयानबाजी करने में लगा रहा. क्यूआर कोड विवाद को लेकर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा यह मामला बेहद गंभीर है. मंदिर समिति इसको लेकर चुप नहीं बैठेगी, लेकिन अजेंद्र अजय की बात से इत्तेफाक रखने वाले केदारनाथ मंदिर के कई पुरोहितों ने मंदिर समिति के अध्यक्ष को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए.

  • #WATCH | Uttarakhand: The boards at various places in Kedarnath and Badrinath Dham containing donations through QR codes were not put up by the Shri Badrinath-Kedarnath Temple Committee (BKTC). These boards were installed on the day of the opening of the doors in both Dhams. The… pic.twitter.com/fSKHHTen8t

    — ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 30, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

OR कोड को लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज: मामला तूल पकड़ता देख बीकेटीसी की तरफ से पुलिस में शिकायत दर्ज कराया गया. मामला केदारनाथ मंदिर से जुड़ा होने के कारण पुलिस ने भी मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दीय. क्योंकि शक जाहिर किया जा रहा था कि डिजिटल दान के नाम पर कही साइबर फ्रॉड का खेल तो नहीं खेला जा रहा है, लेकिन जब मंदिर समिति ने मामले की जांच की तो मामला कुछ और ही निकला.

जांच में हुआ QR कोड मामले का खुलासा: केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान के लिए लगाए गए QR कोड पर कई दिनों तक हाय तौबा मचने के बाद आखिर इस विवाद से पर्दा उठ गया. जिसकी असलियत जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे. जिस मंदिर समिति ने QR कोड को लेकर सबसे ज्यादा विवाद खड़ा किया, आखिर में मामला उससे ही जुड़ा निकला. दरअसल मंदिर समिति की जांच में यह बात सामने आई की पेटीएम इस पूरे मामले पर कहीं से कहीं तक गलत ही नहीं है. क्योंकि साल 2017 में पेटीएम और मंदिर समिति के बीच एक अनुबंध हुआ था. जिसके तहत बदरीनाथ और केदारनाथ मंदिर में डिजिटल दान को लेकर पेटीएम को बीकेटीसी को सुविधाएं उपलब्ध कराना था.

बदरी केदार मंदिर समिति ने दी मामले की जानकारी: मंदिर समिति के मीडिया प्रकोष्ठ प्रभारी हरीश गौड़ ने मामले की जानकारी दी. उन्होंने कहा साल 2017 में बदरी-केदार मंदिर समिति और पेटीएम के बीच एक अनुबंध हुआ था. जिसके तहत डिजिटल दान को लेकर केदारनाथ और बदरीनाथ मंदिर में छोटे-छोटे QR साइन बोर्ड लगाए गए थे, लेकिन इस बार अचानक से बड़ा साइन बोर्ड लगाया गया. जिसकी जानकारी पेटीएम अधिकारियों ने बीकेटीसी को नहीं दी. पेटीएम ने बीकेटीसी अधिकारियों को बिना बताए यह होर्डिंग लगा दिया. जिसका साइज बहुत बड़ा है. इसके बाद मंदिर समिति ने इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की.

मामले का खुलासा होने पर मंदिर समिति की दलील: केदारनाथ मंदिर में क्यूआर कोड मामले का खुलासा होने के बाद मंदिर समिति अपनी दलीले देने लगा है. मंदिर समिति के मीडिया प्रकोष्ठ प्रभारी हरीश गौड़ ने कहा पुलिस में शिकायत देने की बात इसलिए भी बेहद जरूरी थी. क्योंकि आजकल साइबर फ्रॉड के मामले बहुत हो रहे हैं. चूंकि मामला केदारनाथ से जुड़ा था, इसलिए मामला और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है, लेकिन मामले में बीकेटीसी ने भी जांच की थी. जिसके बाद यह साफ हो गया कि किसी तरह का कोई फ्रॉड नहीं हुआ है.
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अजेंद्र अजय ने पेटीएम से जताई नाराजगी: बिना अधिकारिक सूचना दिए पेटीएम द्वारा इतने बड़े QR कोड का साइन बोर्ड लगाने पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने कहा पेटीएम अधिकारियों ने मामले को लेकर मौखिक रूप से अपनी गलती स्वीकार की है. और इस पूरी घटना पर खेद व्यक्त किया है. मंदिर समिति ने जानकारी दी है कि अब तक मंदिर समिति के पास ₹67 लाख रुपए ऑनलाइन प्राप्त हुए हैं. इस मामले का फिलहाल पूरी तरह से पटाक्षेप हो गया है.

QR कोड को लेकर कांग्रेस ने बीकेटीसी को घेरा: केदारनाथ मंदिर में QR कोड का मामला तूल पकड़ता देख, कांग्रेस भी कूद पड़ी. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने तो यहां तक कह दिया कि मंदिर समिति की विश्वसनीयता पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. एक दिन में ही लगातार अलग-अलग दो बयान आने के बाद यह साफ हो गया है कि मंदिर समिति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक से नहीं कर रही है. इतना सब कुछ हो जाने के बाद, पूरे देशभर में बीकेटीसी की किरकिरी होने के बाद और भक्तों की आस्था को ठेस पहुंचाने के बाद मंदिर समिति को आ रहा है कि दरअसल जिस मामले को लेकर मंदिर समिति हाय तौबा मचा रही थी पुलिस के पास जा रही थी उसमें हकीकत लेश मात्र भी नहीं थी.

बदरी-केदार मंदिर समिति भले ही कुछ भी कह रही हो, लेकिन सवाल यहां खड़ा होते हैं कि आखिरकार मंदिर समिति ने शुरुआती दौर में जानकारी क्यों नहीं दी. मंदिर समिति ने क्यों नहीं बताया कि साल 2017 में पेटीएम के साथ उनका अनुबंध हो रखा है. क्यों मंदिर समिति लगातार मामले की जानकारी होने की बात करती रही. उल्टा मंदिर समिति अपनी गलती मानने के बजाय आज भी पेटीएम पर ही दोषारोपण कर रही है. मंदिर समिति की तरफ से जारी प्रेस रिलीज में यह कहा गया है कि पेटीएम ने मामले पर मौखिक रूप से माफी मांगी है, लेकिन मंदिर समिति ने यह नहीं बताया कि मौखिक रूप में माफी या खेद किस अधिकारी ने प्रकट किया है.

Last Updated : May 4, 2023, 10:21 PM IST
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