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अब CBI की गिरफ्त में आएंगे कॉर्बेट में 6 हजार पेड़ काटने के दोषी, बढ़ सकती हैं हरक सिंह की मुश्किलें, उत्तराखंड में राजनीतिक भूचाल - Illegal pruning of 6000 trees in Jim Corbett

Harak Singh Rawat under CBI probe कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामले में हरक सिंह रावत की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. नैनीताल हाईकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए CBI जांच के आदेश दे दिए हैं. Illegal Corbett tree felling

corbett illegal tree felling case
कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामले में फंसे हरक सिंह
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 6, 2023, 4:43 PM IST

Updated : Sep 7, 2023, 11:28 AM IST

याचिकाकर्ता अनु पंत के वकील अभिजय नेगी.

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट के एक फैसले से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज के कालागढ़ में अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण समेत वित्तीय अनियमितता का है. इस मामले में हाईकोर्ट ने देहरादून निवासी अनु पंत व स्वत: संज्ञान वाली दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की, और प्रकरण के सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. खास बात ये है कि सीबीआई जांच का आदेश होने के बाद इस मामले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इससे पहले पिछले दिनों तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर विजिलेंस की टीम ने भी छापेमारी की थी. अब एक बार फिर से हरक सिंह रावत जांच के दायरे में आ गए हैं जो घटना के समय बीजेपी सरकार में थे लेकिन अभी कांग्रेस पार्टी में हैं.

अलग-अलग संस्थाओं ने की जांच: दरअसल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज अवैध पेड़ कटान मामले को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस मामले में सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय समेत NTCA और NGT के अलावा वन विभाग भी इस पर जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट दे चुका है. नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून निवासी अनु पंत नाम की याचिकाकर्ता ने भी प्रकरण पर सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी, और कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान भी लिया था. बहस के बाद आज हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.

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कॉर्बेट में काटे गये अवैध पेड़.

क्या कहते हैं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, इस मामले का नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से कार्रवाई करने को कहा था. फिर दिसंबर 2021 में अनु पंत ने याचिका दायर कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग की थी, जिसपर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे. लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब कोर्ट ने फिर से मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया, तब जाकर DFO किशन चंद पर एक्शन हुआ. लेकिन तब भी तत्कालीन वन मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ. अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, उच्च न्यायालय ने ये नोट किया है कि जो तथ्य उनके सामने पेश किए गए उसके आधार पर ये केस बेहद गंभीर है और इसलिए CBI नई दिल्ली इसकी जांच करे.
पढ़ें- कॉर्बेट में अनियमितताओं पर नई जांच ने भी लगाई मुहर, दोषी अफसरों की बढ़ेंगी मुश्किलें

कांग्रेस की प्रतिक्रिया : मामले को लेकर सबसे खास बात ये है कि प्रकरण में एक हफ्ते पहले ही विजिलेंस की टीम ने हरक सिंह रावत के दो ठिकानों पर छापेमारी की थी. यहां से सरकारी धन से खरीदे गए दो जनरेटर बरामद किए गए थे. अब इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद राजनीतिक भूचाल आना लाजमी है. उधर, मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है लेकिन बड़े ही नपे तुले शब्दों में उन्होंने सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच की उम्मीद भी की है. उधर दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि, सीबीआई और ईडी हमेशा से ही भाजपा सरकार के हाथों की कठपुतली रही है. इस बार भी विजिलेंस ने जिस तरह हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की वह विपक्षी दल के नेता पर प्रतिशोध के तहत की गई कार्रवाई थी.
पढ़ें- कॉर्बेट का 'काला' अध्याय है 6000 पेड़ों का अवैध कटान, एनजीटी ने तय की अधिकारियों की जिम्मेदारी

क्या है कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामला: साल 2019-20 में बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान पाखरो में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू किया गया था. उत्तराखंड सरकार ने इस टाइगर सफारी प्रोजेक्ट के लिए साल 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. सरकार ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला कि इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए.

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जानें पूरा मामला.

सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में उठा था मामला: सबसे पहले ये मामला एक वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया था. इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 अगस्त 2021 को एनटीसीए को निर्देश दिया था कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर गौर करें. कोर्ट के निर्देश पर एनटीसीए ने 5 सितंबर 2021 को एक समिति गठित की थी. इस समिति ने सितंबर 2021 में ही कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया और 22 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में एनटीसीए ने विजिलेंस जांच के साथ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात की भी कही थी. नैनीताल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लिया.

उत्तराखंड वन विभाग ने करवाई जांच: इसके बाद उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) को जांच कर मामले की सत्यता जानने को कहा था. वन विभाग ने FSI से पाखरो क्षेत्र में सैटेलाइट इमेज के जरिए पेड़ों की अवैध कटाई की स्थिति साफ करने को कहा. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पाखरो, कालू शहीद, नलखट्टा और कालागढ़ ब्लॉक में FSI ने करीब 9 महीने तक सर्वे किया. सैटेलाइट से मिली फोटो और फील्ड निरीक्षण के जरिए पता लगा कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काट दिए गए, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा. जून 2022 में ये रिपोर्ट उत्तराखंड वन विभाग को सौंपी गई. हालांकि, उत्तराखंड वन विभाग ने इस सर्वे रिपोर्ट को सही नहीं माना.

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इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई.

2022 में NGT ने लिया संज्ञान: वहीं, अक्टूबर 2022 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. इस कमेटी में डीजी फॉरेस्ट, एडीजी वाइल्ड लाइफ विभाग और एडीजी प्रोजेक्ट टाइगर को शामिल किया गया था. मार्च 2023 में इस कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को करीब 128 पेज की रिपोर्ट सौंपी और करीब 8 बिंदुओं पर हुए अवैध कार्यों की पूरी जानकारी दी गई, साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के नाम भी रिपोर्ट में अंकित किए गये थे. रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और आठ अन्य अधिकारियों का नाम शामिल था.
पढ़ें- अवैध निर्माण मामला: अब कॉर्बेट प्रशासन के खिलाफ होगी जांच, सवालों के घेरे में डायरेक्टर

सुप्रीम कोर्ट की CEC ने भी सौंपी रिपोर्ट: उधर, सुप्रीम कोर्ट की CEC यानी सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इन सभी जांचों को आधार बनाकर जनवरी 2023 में अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सौंपी, जिसमें बताया गया कॉर्बेट फाउंडेशन के करीब ₹200 करोड़ से ज्यादा के बजट का उपयोग भी किया गया और CAG की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है. वहीं, CEC ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार बताया था.

  • Dehradun | Officials have been removed from their posts and an investigation is underway. Will take action against culprits: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami on allegations of illegal cutting of thousands of trees in the Corbett Tiger Reserve pic.twitter.com/etAPVJt0Zn

    — ANI (@ANI) November 26, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

तमाम जांच रिपोर्ट्स सामने आने के बाद उत्तराखंड वन विभाग ने कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी को निलंबित कर दिया. इसके अलावा डीएफओ किशन चंद को भी निलंबित किया गया. यही नहीं, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग को भी विभाग की तरफ से निलंबित किया गया. तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ राजीव भरतरी को भी उनके पद से हटाया गया. वहीं, हाईकोर्ट में बीती 1 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान तत्कालीन विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत और शासन स्तर के अधिकारी, समेत तत्कालीन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ रहे विनोद सिंघल और अनूप मलिक को लेकर कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही गई.
पढ़ें- कॉर्बेट पार्क में अवैध निर्माण और 6000 पेड़ काटे जाने का मामला, नैनीताल हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच

सरकार ने मामले में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत पर विजिलेंस की कार्रवाई होने का जवाब दिया, लेकिन तब हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद आज (6 सितंबर) नैनीताल हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए मामले की सीबीआई जांच के आदेश कर दिए हैं.
पढ़ें- कॉर्बेट अवैध निर्माण मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश, विजिलेंस के शिकंजे में ये अधिकारी

क्या कहते हैं वन मंत्री: राजनीतिक रूप से यह मामला इसलिए भी चर्चाओं में है, क्योंकि इस पूरे प्रकरण में पिछले दिनों विजिलेंस ने प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की थी. उधर मामले में कई अधिकारियों की संलिप्तता को लेकर भी DG फॉरेस्ट की रिपोर्ट इशारा करती रही है. शायद यही कारण है कि कांग्रेस ने इस मामले में हाईकोर्ट से फैसला आने के बावजूद सरकार को घेरने की कोशिश की है. मौजूदा वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि फिलहाल नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले का परीक्षण करवाया जाएगा. उसके बाद जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा.

बता दें कि, ये टाइगर सफारी प्रोजेक्ट कॉर्बेट रिजर्व के कालागढ़ इलाके में बनाया जा रहा था. कालागढ़ वही इलाका है जहां साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम की शूटिंग में हिस्सा लिया था. तब प्रधानमंत्री ने इस इलाके में नई सफारी शुरू करने का सुझाव भी दिया था, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने इस पर काम शुरू किया.

याचिकाकर्ता अनु पंत के वकील अभिजय नेगी.

देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट के एक फैसले से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज के कालागढ़ में अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण समेत वित्तीय अनियमितता का है. इस मामले में हाईकोर्ट ने देहरादून निवासी अनु पंत व स्वत: संज्ञान वाली दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की, और प्रकरण के सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. खास बात ये है कि सीबीआई जांच का आदेश होने के बाद इस मामले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इससे पहले पिछले दिनों तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर विजिलेंस की टीम ने भी छापेमारी की थी. अब एक बार फिर से हरक सिंह रावत जांच के दायरे में आ गए हैं जो घटना के समय बीजेपी सरकार में थे लेकिन अभी कांग्रेस पार्टी में हैं.

अलग-अलग संस्थाओं ने की जांच: दरअसल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज अवैध पेड़ कटान मामले को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस मामले में सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय समेत NTCA और NGT के अलावा वन विभाग भी इस पर जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट दे चुका है. नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून निवासी अनु पंत नाम की याचिकाकर्ता ने भी प्रकरण पर सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी, और कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान भी लिया था. बहस के बाद आज हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.

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कॉर्बेट में काटे गये अवैध पेड़.

क्या कहते हैं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, इस मामले का नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से कार्रवाई करने को कहा था. फिर दिसंबर 2021 में अनु पंत ने याचिका दायर कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग की थी, जिसपर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे. लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब कोर्ट ने फिर से मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया, तब जाकर DFO किशन चंद पर एक्शन हुआ. लेकिन तब भी तत्कालीन वन मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ. अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, उच्च न्यायालय ने ये नोट किया है कि जो तथ्य उनके सामने पेश किए गए उसके आधार पर ये केस बेहद गंभीर है और इसलिए CBI नई दिल्ली इसकी जांच करे.
पढ़ें- कॉर्बेट में अनियमितताओं पर नई जांच ने भी लगाई मुहर, दोषी अफसरों की बढ़ेंगी मुश्किलें

कांग्रेस की प्रतिक्रिया : मामले को लेकर सबसे खास बात ये है कि प्रकरण में एक हफ्ते पहले ही विजिलेंस की टीम ने हरक सिंह रावत के दो ठिकानों पर छापेमारी की थी. यहां से सरकारी धन से खरीदे गए दो जनरेटर बरामद किए गए थे. अब इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद राजनीतिक भूचाल आना लाजमी है. उधर, मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है लेकिन बड़े ही नपे तुले शब्दों में उन्होंने सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच की उम्मीद भी की है. उधर दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि, सीबीआई और ईडी हमेशा से ही भाजपा सरकार के हाथों की कठपुतली रही है. इस बार भी विजिलेंस ने जिस तरह हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की वह विपक्षी दल के नेता पर प्रतिशोध के तहत की गई कार्रवाई थी.
पढ़ें- कॉर्बेट का 'काला' अध्याय है 6000 पेड़ों का अवैध कटान, एनजीटी ने तय की अधिकारियों की जिम्मेदारी

क्या है कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामला: साल 2019-20 में बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान पाखरो में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू किया गया था. उत्तराखंड सरकार ने इस टाइगर सफारी प्रोजेक्ट के लिए साल 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. सरकार ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला कि इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए.

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जानें पूरा मामला.

सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में उठा था मामला: सबसे पहले ये मामला एक वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया था. इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 अगस्त 2021 को एनटीसीए को निर्देश दिया था कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर गौर करें. कोर्ट के निर्देश पर एनटीसीए ने 5 सितंबर 2021 को एक समिति गठित की थी. इस समिति ने सितंबर 2021 में ही कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया और 22 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में एनटीसीए ने विजिलेंस जांच के साथ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात की भी कही थी. नैनीताल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लिया.

उत्तराखंड वन विभाग ने करवाई जांच: इसके बाद उत्तराखंड फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया (FSI) को जांच कर मामले की सत्यता जानने को कहा था. वन विभाग ने FSI से पाखरो क्षेत्र में सैटेलाइट इमेज के जरिए पेड़ों की अवैध कटाई की स्थिति साफ करने को कहा. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया ने पाखरो, कालू शहीद, नलखट्टा और कालागढ़ ब्लॉक में FSI ने करीब 9 महीने तक सर्वे किया. सैटेलाइट से मिली फोटो और फील्ड निरीक्षण के जरिए पता लगा कि 163 की जगह 6,903 पेड़ काट दिए गए, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा. जून 2022 में ये रिपोर्ट उत्तराखंड वन विभाग को सौंपी गई. हालांकि, उत्तराखंड वन विभाग ने इस सर्वे रिपोर्ट को सही नहीं माना.

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इन अधिकारियों पर हुई कार्रवाई.

2022 में NGT ने लिया संज्ञान: वहीं, अक्टूबर 2022 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई. इस कमेटी में डीजी फॉरेस्ट, एडीजी वाइल्ड लाइफ विभाग और एडीजी प्रोजेक्ट टाइगर को शामिल किया गया था. मार्च 2023 में इस कमेटी ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को करीब 128 पेज की रिपोर्ट सौंपी और करीब 8 बिंदुओं पर हुए अवैध कार्यों की पूरी जानकारी दी गई, साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के नाम भी रिपोर्ट में अंकित किए गये थे. रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और आठ अन्य अधिकारियों का नाम शामिल था.
पढ़ें- अवैध निर्माण मामला: अब कॉर्बेट प्रशासन के खिलाफ होगी जांच, सवालों के घेरे में डायरेक्टर

सुप्रीम कोर्ट की CEC ने भी सौंपी रिपोर्ट: उधर, सुप्रीम कोर्ट की CEC यानी सेंट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी ने इन सभी जांचों को आधार बनाकर जनवरी 2023 में अपनी एक रिपोर्ट तैयार कर सुप्रीम कोर्ट में सौंपी, जिसमें बताया गया कॉर्बेट फाउंडेशन के करीब ₹200 करोड़ से ज्यादा के बजट का उपयोग भी किया गया और CAG की रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र किया गया है. वहीं, CEC ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत को भी जिम्मेदार बताया था.

  • Dehradun | Officials have been removed from their posts and an investigation is underway. Will take action against culprits: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami on allegations of illegal cutting of thousands of trees in the Corbett Tiger Reserve pic.twitter.com/etAPVJt0Zn

    — ANI (@ANI) November 26, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

तमाम जांच रिपोर्ट्स सामने आने के बाद उत्तराखंड वन विभाग ने कॉर्बेट में तैनात रेंजर बृज बिहारी को निलंबित कर दिया. इसके अलावा डीएफओ किशन चंद को भी निलंबित किया गया. यही नहीं, चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग को भी विभाग की तरफ से निलंबित किया गया. तत्कालीन पीसीसीएफ हॉफ राजीव भरतरी को भी उनके पद से हटाया गया. वहीं, हाईकोर्ट में बीती 1 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान तत्कालीन विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत और शासन स्तर के अधिकारी, समेत तत्कालीन कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक राहुल, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ रहे विनोद सिंघल और अनूप मलिक को लेकर कोई कार्रवाई नहीं होने की बात कही गई.
पढ़ें- कॉर्बेट पार्क में अवैध निर्माण और 6000 पेड़ काटे जाने का मामला, नैनीताल हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच

सरकार ने मामले में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत पर विजिलेंस की कार्रवाई होने का जवाब दिया, लेकिन तब हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इसके बाद आज (6 सितंबर) नैनीताल हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए मामले की सीबीआई जांच के आदेश कर दिए हैं.
पढ़ें- कॉर्बेट अवैध निर्माण मामले में चार्जशीट कोर्ट में पेश, विजिलेंस के शिकंजे में ये अधिकारी

क्या कहते हैं वन मंत्री: राजनीतिक रूप से यह मामला इसलिए भी चर्चाओं में है, क्योंकि इस पूरे प्रकरण में पिछले दिनों विजिलेंस ने प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की थी. उधर मामले में कई अधिकारियों की संलिप्तता को लेकर भी DG फॉरेस्ट की रिपोर्ट इशारा करती रही है. शायद यही कारण है कि कांग्रेस ने इस मामले में हाईकोर्ट से फैसला आने के बावजूद सरकार को घेरने की कोशिश की है. मौजूदा वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा है कि फिलहाल नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले का परीक्षण करवाया जाएगा. उसके बाद जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया जाएगा.

बता दें कि, ये टाइगर सफारी प्रोजेक्ट कॉर्बेट रिजर्व के कालागढ़ इलाके में बनाया जा रहा था. कालागढ़ वही इलाका है जहां साल 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम की शूटिंग में हिस्सा लिया था. तब प्रधानमंत्री ने इस इलाके में नई सफारी शुरू करने का सुझाव भी दिया था, जिसके बाद उत्तराखंड सरकार ने इस पर काम शुरू किया.

Last Updated : Sep 7, 2023, 11:28 AM IST
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