हरिद्वार (उत्तराखंड): बदरीनाथ-केदारनाथ और जगन्नाथ पुरी पर दिए गए बयान को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गुरुवार (3 अगस्त) को उत्तराखंड की हरिद्वार के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजीएम) कोर्ट में उनके बयान को लेकर वाद दायर किया गया. अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने इस मामले में वाद दायर करते हुए उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 295A, 298, 504, 153 में कार्रवाई की मांग की है.
मामले पर ज्यादा जानकारी देते हुए अधिवक्ता अरुण भदौरिया ने बताया कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को भगवान बदरीनाथ की धार्मिक मान्यताएं की पूरी जानकारी है. बावजूद इसके उन्होंने धार्मिक भावनाओं को आहत करने का काम किया है. अधिवक्ता भदौरिया ने बताया कि 28 जुलाई को सपा नेता मौर्य के खिलाफ हरिद्वार के कनखल थाना में उनके ही द्वारा रिपोर्ट दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था. इसके बाद आज सीजेएम कोर्ट में वाद दायर किया गया है. मामले पर सुनवाई 4 अगस्त को होगी.
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अधिवक्ता भदौरिया ने बताया कि 28 जुलाई को स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान दिया था कि बौद्ध मठ को तोड़कर बदरीनाथ धाम बनाया गया था. इस बयान से हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंची है और संत समाज काफी आहत हुआ है. अधिवक्ता ने कहा कि मौर्य बिना किसी साक्ष्य और आधार के हिंदुओं के धार्मिक भावना को भड़का रहे हैं. उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने की भावना और साजिश के तहत यह बयान दिया गया है. इस पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए.
वहीं, बता दें कि 2 अगस्त को भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ ने भी हरिद्वार की नगर कोतवाली में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ तहरीर दी है. उन्होंने तहरीर में लिखा कि यूपी के पूर्व मंत्री ने जिस तरह का बयान दिया है, उससे हिंदुओं की आस्था को ठेस पहुंची है. इस तरह के बयान से हिंसा भड़कती है. भूमा पीठाधीश्वर ने सपा नेता के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.
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