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पिथौरागढ़ में चीन बॉर्डर पर कालापानी में फटा बादल, BRO का पुल और रोड ध्वस्त, संपर्क कटा - पिथौरागढ़ में बादल फटने की घटना

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में चीन बॉर्डर पर बादल फटा है. बादल फटने से हुए लैंडस्लाइड में बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन का पुल ढह गया है. पुल के साथ ही सड़क भी ध्वस्त हो गई है. बीआरओर की टीम मौके पर पहुंच गई है.

Pithoragarh cloudburst
बादल फटा
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Published : Jul 19, 2023, 1:00 PM IST

Updated : Jul 19, 2023, 1:20 PM IST

चीन बॉर्डर पर कालापानी में फटा बादल

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): पिथौरागढ़ में बादल फटने की घटना हुई है. चीन बॉर्डर के पास कालापानी में बीती रात बादल फटा है. बादल फटने से इस इलाके में मौजूद बीआरओ यानी बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेश का पुल और रोड क्षतिग्रस्त हो गई है.

Pithoragarh cloudburst
भारत चीन बॉर्डर पर फटा बादल

कालापानी में बादल फटा: बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेसन का महत्वपूर्ण बैली ब्रिज टूटने से इस इलाके का लिपुलेख बॉर्डर से संपर्क कट गया है. हालांकि राहत की बात ये है कि बॉर्डर के इस इलाके में आबादी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. बीआरओ की टीम मौके पर पहुंच चुकी है. राजस्व विभाग की टीम धारचूला से कालापानी के लिए रवाना हो गई है. थोड़ी देर में राजस्व विभाग की टीम के भी मौके पर पहुंचने की उम्मीद है.

Pithoragarh cloudburst
बादल फटने से तबाही

कालापीनी में बादल फटने के कारण बीआरओ का पुल ध्वसत हो गया है. इस कारण लिपुलेख बॉर्डर की आवाजाही बंद हो गई है. पिथौरागढ़ जिले का ये हिस्सा अति दुर्गम है. यहां तक रोड बनाने में भी बीआरओ को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. वैली ब्रिज बनाने में भी काफी मेहनत लगी है. बादल फटने से बीआरओर को काफी नुकसान हुआ है.

Pithoragarh cloudburst
बादल फटने के बाद मलबा ही मलबा दिख रहा है

कहां है कालापानी? कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में है. 1997 से नेपाल द्वारा भी इस इलाके पर अपना दावा किया गया था. नेपाल का दावा था कि कालापानी सुदूर पश्चिम प्रांत के दार्चुला जिले में स्थित है. यह क्षेत्र कालापानी नदी के बेसिन के हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. कालापानी 3600-5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

Pithoragarh cloudburst
बीआरओर का पुल ध्वस्त

कालापानी की घाटी, जिसके शीर्ष पर लिपुलेख दर्रा है, कैलाश मानसरोवर के लिए भारत की ओर से मार्ग बनाती है. यह उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के भोटिया और नेपाल की टिंकर घाटी के लिए तिब्बत का पारंपरिक व्यापारिक मार्ग भी रहा है. काली नदी इस क्षेत्र में भारत और नेपाल के बीच सीमा बनाती है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में बादल फटने से आया जल सैलाब, पत्थर मिट्टी सब बहा ले गया नाला

उत्तराखंड में 18 से 21 जुलाई तक है हाई अलर्ट: इन दिनों उत्तराखंड में मॉनसून की बारिश बहुत जोर से हो रही है. राज्य की तमाम नदियां उफनाई हुई हैं. जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. मंगलवार को उत्तरकाशी में एक टेंपो लैंडस्लाइड की चपेट में आकर लुढ़क गया था. इसके अलावा हरिद्वार जिला बाढ़ग्रस्त हो गया है. सेना को यहां रेस्क्यू ऑपरेशन करना पड़ा. पहाड़ की ज्यादातर नदियां ओवरफ्लो हैं. सैकड़ों सड़कें बंद पड़ी हैं. चारधाम यात्रा भी बार-बार बाधित हो रही है.

चीन बॉर्डर पर कालापानी में फटा बादल

पिथौरागढ़ (उत्तराखंड): पिथौरागढ़ में बादल फटने की घटना हुई है. चीन बॉर्डर के पास कालापानी में बीती रात बादल फटा है. बादल फटने से इस इलाके में मौजूद बीआरओ यानी बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेश का पुल और रोड क्षतिग्रस्त हो गई है.

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भारत चीन बॉर्डर पर फटा बादल

कालापानी में बादल फटा: बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेसन का महत्वपूर्ण बैली ब्रिज टूटने से इस इलाके का लिपुलेख बॉर्डर से संपर्क कट गया है. हालांकि राहत की बात ये है कि बॉर्डर के इस इलाके में आबादी को कोई नुकसान नहीं हुआ है. बीआरओ की टीम मौके पर पहुंच चुकी है. राजस्व विभाग की टीम धारचूला से कालापानी के लिए रवाना हो गई है. थोड़ी देर में राजस्व विभाग की टीम के भी मौके पर पहुंचने की उम्मीद है.

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बादल फटने से तबाही

कालापीनी में बादल फटने के कारण बीआरओ का पुल ध्वसत हो गया है. इस कारण लिपुलेख बॉर्डर की आवाजाही बंद हो गई है. पिथौरागढ़ जिले का ये हिस्सा अति दुर्गम है. यहां तक रोड बनाने में भी बीआरओ को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. वैली ब्रिज बनाने में भी काफी मेहनत लगी है. बादल फटने से बीआरओर को काफी नुकसान हुआ है.

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बादल फटने के बाद मलबा ही मलबा दिख रहा है

कहां है कालापानी? कालापानी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में है. 1997 से नेपाल द्वारा भी इस इलाके पर अपना दावा किया गया था. नेपाल का दावा था कि कालापानी सुदूर पश्चिम प्रांत के दार्चुला जिले में स्थित है. यह क्षेत्र कालापानी नदी के बेसिन के हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. कालापानी 3600-5200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.

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बीआरओर का पुल ध्वस्त

कालापानी की घाटी, जिसके शीर्ष पर लिपुलेख दर्रा है, कैलाश मानसरोवर के लिए भारत की ओर से मार्ग बनाती है. यह उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के भोटिया और नेपाल की टिंकर घाटी के लिए तिब्बत का पारंपरिक व्यापारिक मार्ग भी रहा है. काली नदी इस क्षेत्र में भारत और नेपाल के बीच सीमा बनाती है.
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उत्तराखंड में 18 से 21 जुलाई तक है हाई अलर्ट: इन दिनों उत्तराखंड में मॉनसून की बारिश बहुत जोर से हो रही है. राज्य की तमाम नदियां उफनाई हुई हैं. जगह-जगह लैंडस्लाइड हो रहा है. मंगलवार को उत्तरकाशी में एक टेंपो लैंडस्लाइड की चपेट में आकर लुढ़क गया था. इसके अलावा हरिद्वार जिला बाढ़ग्रस्त हो गया है. सेना को यहां रेस्क्यू ऑपरेशन करना पड़ा. पहाड़ की ज्यादातर नदियां ओवरफ्लो हैं. सैकड़ों सड़कें बंद पड़ी हैं. चारधाम यात्रा भी बार-बार बाधित हो रही है.

Last Updated : Jul 19, 2023, 1:20 PM IST
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