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काशी विश्वनाथ धाम में खोदाई के दौरान मिले मंदिर के अवशेष - 16वीं सदी के मंदिर के अवशेष

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में काशी विश्वनाथ धाम में खोदाई के दौरान 16वीं शताब्दी के मंदिर के अवशेष मिले हैं. इस पर संतों का कहना है कि यह बड़ा सबूत है कि पुरातन काल में मस्जिद के स्थान पर मंदिर स्थापित था. पढ़ें क्या है पूरा मामला...

काशी विश्वनाथ धाम
काशी विश्वनाथ धाम
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Published : Sep 5, 2020, 6:47 AM IST

Updated : Sep 5, 2020, 7:17 AM IST

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. जैसे-जैसे काम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे परिसर में चल रही खोदाई के दौरान मंदिर के अवशेष लगातार मिल रहे हैं. गुरुवार शाम को खोदाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के निकट चल रही खोदाई में एक सुरंग और मंदिर के कुछ अवशेष मिले हैं. कमल और कलश की आकृतियों के साथ पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े मिलने के बाद चर्चाएं आम हो गई हैं और साधु-सन्यासियों के साथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन से जुड़े लोग फिर से ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर पुराने विश्वनाथ मंदिर होने की बात करने लगे हैं.

काशी विश्वनाथ धाम में खोदाई में मिले मंदिर के अवशेष.

महत्वपूर्ण बिंदु

  • ज्ञानवापी मस्जिद के निकट मिले 16वीं सदी के मंदिर के अवशेष
  • खोदाई में मिले कमल और कलश की आकृति वाले अवशेष
  • खोदाई के दौरान मंदिर के अवशेष मिलने से मचा हड़कंप

श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के पश्चिम की तरफ अपारनाथ मठ के पास जेसीबी से खोदाई के दौरान जमीन से मंदिरों के कुछ कलात्मक अवशेष निकले, जिसके बाद हड़कंप मचा हुआ है. इन अवशेषों पर कमल दल और कलश की आकृतियां हैं, जिससे माना जा रहा कि यह किसी मंदिर के ही टुकड़े हैं. चर्चा यह भी है कि प्राप्त अवशेष के स्थापत्य 15वीं और 16वीं शताब्दी काल के मंदिरों के स्थापत्य से मिलते हैं. उसमें कलश और कमल के फूल स्पष्ट नजर आ रहे हैं.

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष यादव का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह किसी मंदिर के अवशेष हैं. निर्माण शैली के आधार पर इसको 16वीं शताब्दी के आसपास का माना जा सकता है. मौके पर निरीक्षण के बाद ही आगे की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. इस बारे में कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कैमरे पर तो बात नहीं की, लेकिन फोन पर हुई बातचीत में उनका कहना है कि अभी इसकी जांच नहीं हुई है. यह मंदिर के अवशेष हैं कि नहीं, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.

राष्ट्रीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि काशी, अयोध्या और मथुरा, यह तीन ऐसे स्थान हैं, जहां हिंदू धर्म स्थलों को नुकसान पहुंचा कर आक्रमणकारियों ने कब्जा किया था. अयोध्या में यह प्रूफ हो चुका है और अब काशी-मथुरा को लेकर हम संघर्ष कर रहे हैं. मस्जिद के पास सुरंग और मंदिर के अवशेष मिलना यह बताता है कि वहां पर विश्वनाथ मंदिर हुआ करता था.

यह भी पढ़ें- INDRA NAVY 2020 : रूस-भारत की नौसेना ने किया संयुक्त सैन्य अभ्यास

ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन से जुड़े सुधीर सिंह का कहना है कि हर रोज हो रही खोदाई के दौरान मिल रहे मंदिर के अवशेष यह साफ करते हैं कि किस तरह से वहां पर निर्माण किया गया. अब जब सब सामने आ रहा है तो इसमें विरोध होना ही नहीं चाहिए.

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ कॉरिडोर का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है. जैसे-जैसे काम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे परिसर में चल रही खोदाई के दौरान मंदिर के अवशेष लगातार मिल रहे हैं. गुरुवार शाम को खोदाई के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के निकट चल रही खोदाई में एक सुरंग और मंदिर के कुछ अवशेष मिले हैं. कमल और कलश की आकृतियों के साथ पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े मिलने के बाद चर्चाएं आम हो गई हैं और साधु-सन्यासियों के साथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन से जुड़े लोग फिर से ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर पुराने विश्वनाथ मंदिर होने की बात करने लगे हैं.

काशी विश्वनाथ धाम में खोदाई में मिले मंदिर के अवशेष.

महत्वपूर्ण बिंदु

  • ज्ञानवापी मस्जिद के निकट मिले 16वीं सदी के मंदिर के अवशेष
  • खोदाई में मिले कमल और कलश की आकृति वाले अवशेष
  • खोदाई के दौरान मंदिर के अवशेष मिलने से मचा हड़कंप

श्री काशी विश्वनाथ धाम परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी के पश्चिम की तरफ अपारनाथ मठ के पास जेसीबी से खोदाई के दौरान जमीन से मंदिरों के कुछ कलात्मक अवशेष निकले, जिसके बाद हड़कंप मचा हुआ है. इन अवशेषों पर कमल दल और कलश की आकृतियां हैं, जिससे माना जा रहा कि यह किसी मंदिर के ही टुकड़े हैं. चर्चा यह भी है कि प्राप्त अवशेष के स्थापत्य 15वीं और 16वीं शताब्दी काल के मंदिरों के स्थापत्य से मिलते हैं. उसमें कलश और कमल के फूल स्पष्ट नजर आ रहे हैं.

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डॉ. सुभाष यादव का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह किसी मंदिर के अवशेष हैं. निर्माण शैली के आधार पर इसको 16वीं शताब्दी के आसपास का माना जा सकता है. मौके पर निरीक्षण के बाद ही आगे की स्थिति स्पष्ट हो पाएगी. इस बारे में कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कैमरे पर तो बात नहीं की, लेकिन फोन पर हुई बातचीत में उनका कहना है कि अभी इसकी जांच नहीं हुई है. यह मंदिर के अवशेष हैं कि नहीं, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा.

राष्ट्रीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि काशी, अयोध्या और मथुरा, यह तीन ऐसे स्थान हैं, जहां हिंदू धर्म स्थलों को नुकसान पहुंचा कर आक्रमणकारियों ने कब्जा किया था. अयोध्या में यह प्रूफ हो चुका है और अब काशी-मथुरा को लेकर हम संघर्ष कर रहे हैं. मस्जिद के पास सुरंग और मंदिर के अवशेष मिलना यह बताता है कि वहां पर विश्वनाथ मंदिर हुआ करता था.

यह भी पढ़ें- INDRA NAVY 2020 : रूस-भारत की नौसेना ने किया संयुक्त सैन्य अभ्यास

ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन से जुड़े सुधीर सिंह का कहना है कि हर रोज हो रही खोदाई के दौरान मिल रहे मंदिर के अवशेष यह साफ करते हैं कि किस तरह से वहां पर निर्माण किया गया. अब जब सब सामने आ रहा है तो इसमें विरोध होना ही नहीं चाहिए.

Last Updated : Sep 5, 2020, 7:17 AM IST
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