ETV Bharat / bharat

सरदार पटेल की 145वीं जयंती, श्रेष्ठ भारत कितनी दूर?

31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. सरदार पटेल को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का निर्माण करवाया गया. लौह पुरुष कहे जाने वाले सरदार पटेल को देश की एकजुटता का सूत्रधार माना जाता है. सरदार पटेल ने श्रेष्ठ भारत का सपना देखा था, आइये उनकी जयंती पर जानते हैं कि हम उनके सपने को कितना पूरा कर पाए हैं.

Rashtriya Ekta Diwas 2020
डिजाइन फोटो
author img

By

Published : Oct 31, 2020, 7:00 AM IST

हैदराबाद : सरदार वल्लभभाई पटेल कहा करते थे- प्रत्येक भारतीय को यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत, एक सिख या एक जाट है. उसे सिर्फ यह याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे अपने देश में हर अधिकार प्राप्त है, लेकिन कुछ कर्तव्यों के साथ.

2014 से हर वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के दिन, यानी 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. सरदार वल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार आई तब केंद्र ने निर्णय लिया कि 31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा. आजादी के समय सरदार वल्लभभाई पटेल ने कई रियासतों को भारतीय संघ से जुड़ने के लिए राजी किया था.

2018 में केंद्र सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में बने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया था. गुजरात के केवड़िया में स्थित यह स्टैच्यू दुनिया में सबसे लंबा है, इसकी ऊंचाई 182 मीटर है.

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को सन् 1875 में गुजरात के निडियाद में हुआ था. बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी थी. उन्होंने भारत के लोगों से अपील की थी कि वह एक होकर रहें, जिससे श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सके.

भारत के पहले गृह मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने विभाजन के बाद भारत आए शरणार्थियों के लिए बड़े पैमाने पर राहत कार्य किए. पटेल को राज्यों के केंद्रीकरण और एकीकरण का श्रेय भी दिया जाता है. रियासतों को भारत में शामिल करने का श्रेय भी उन्हीं को दिया जाता है.

यह 'लौह पुरुष' कहे जाने वाले सरदार पटेल के प्रयासों का परिणाम है कि आज देश में हिंदू और मुस्लिम एक साथ शांति से रह रहे हैं.

वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष प्रानधानों को खत्म कर दिया था. अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के निर्णय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित किया था. कहा जाता है कि सरदार पटेल ने एक बार कहा था कि यदि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उन्होंने अपने हाथ में लिया होता, तो उसे सुलझाने में इतना समय नहीं लगता.

सरदार पटेल ने सभी के लिए श्रेष्ठ भारत का सपना देखा था. आज अगर देश के हालातों पर चिंतन किया जाए, तो पता चलेगा की हमारे देश को श्रेष्ठ बनने में अभी लंबा वक्त है.

कोरोना काल के पहले देश की राजधानी दंगों की आग में जल रही थी, जिसका कारण संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को बताया जाता है.

तत्कालीन परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है हम सरदार पटेल के मूल्यों को भूलते जा रहे हैं. देश कोविड-19 से लड़ रहा है. अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट आई है. उत्तर में पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर दुश्मन बंदूक ताने खड़ा है. देश के नागरिकों को आज के समय में एकजुट होकर खड़े होने की सबसे ज्यादा जरूरत है.

सरदार पटेल ने कहा था उनकी सिर्फ एक इच्छा है कि भारत इतना अनाज पैदा करे कि कोई भी भूखा न रहे, देश में किसी को भी भोजन के लिए आंसू न बहाना पड़े.

हैदराबाद : सरदार वल्लभभाई पटेल कहा करते थे- प्रत्येक भारतीय को यह भूल जाना चाहिए कि वह एक राजपूत, एक सिख या एक जाट है. उसे सिर्फ यह याद रखना चाहिए कि वह एक भारतीय है और उसे अपने देश में हर अधिकार प्राप्त है, लेकिन कुछ कर्तव्यों के साथ.

2014 से हर वर्ष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के दिन, यानी 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है. सरदार वल्लभभाई पटेल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा की सरकार आई तब केंद्र ने निर्णय लिया कि 31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा. आजादी के समय सरदार वल्लभभाई पटेल ने कई रियासतों को भारतीय संघ से जुड़ने के लिए राजी किया था.

2018 में केंद्र सरकार ने सरदार वल्लभभाई पटेल के सम्मान में बने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया था. गुजरात के केवड़िया में स्थित यह स्टैच्यू दुनिया में सबसे लंबा है, इसकी ऊंचाई 182 मीटर है.

सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर को सन् 1875 में गुजरात के निडियाद में हुआ था. बारदोली की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को 'सरदार' की उपाधि दी थी. उन्होंने भारत के लोगों से अपील की थी कि वह एक होकर रहें, जिससे श्रेष्ठ भारत का निर्माण हो सके.

भारत के पहले गृह मंत्री के पद पर रहते हुए उन्होंने विभाजन के बाद भारत आए शरणार्थियों के लिए बड़े पैमाने पर राहत कार्य किए. पटेल को राज्यों के केंद्रीकरण और एकीकरण का श्रेय भी दिया जाता है. रियासतों को भारत में शामिल करने का श्रेय भी उन्हीं को दिया जाता है.

यह 'लौह पुरुष' कहे जाने वाले सरदार पटेल के प्रयासों का परिणाम है कि आज देश में हिंदू और मुस्लिम एक साथ शांति से रह रहे हैं.

वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष प्रानधानों को खत्म कर दिया था. अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के निर्णय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित किया था. कहा जाता है कि सरदार पटेल ने एक बार कहा था कि यदि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उन्होंने अपने हाथ में लिया होता, तो उसे सुलझाने में इतना समय नहीं लगता.

सरदार पटेल ने सभी के लिए श्रेष्ठ भारत का सपना देखा था. आज अगर देश के हालातों पर चिंतन किया जाए, तो पता चलेगा की हमारे देश को श्रेष्ठ बनने में अभी लंबा वक्त है.

कोरोना काल के पहले देश की राजधानी दंगों की आग में जल रही थी, जिसका कारण संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को बताया जाता है.

तत्कालीन परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है हम सरदार पटेल के मूल्यों को भूलते जा रहे हैं. देश कोविड-19 से लड़ रहा है. अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट आई है. उत्तर में पूर्वी और पश्चिमी सीमा पर दुश्मन बंदूक ताने खड़ा है. देश के नागरिकों को आज के समय में एकजुट होकर खड़े होने की सबसे ज्यादा जरूरत है.

सरदार पटेल ने कहा था उनकी सिर्फ एक इच्छा है कि भारत इतना अनाज पैदा करे कि कोई भी भूखा न रहे, देश में किसी को भी भोजन के लिए आंसू न बहाना पड़े.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.