हैदराबादः कोरोना महामारी का फायदा उठाकर हैदराबाद में साइबर अपराधी नए नए तरीकों से लोगों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. ये लोग लोन दिलाने वाले बैंक के रिप्रजेंटेटिव बनकर लोगों से बात करते हैं, उन्हें लोन अप्रूव कराने का झांसा देते हैं. धीरे-धीरे बातचीत के दौरान इनसे आवेदन भरवाते हैं जिसके जरिये इन्हें लोगों की निजी जानकारियां, बैंक खातों की जानकारियां भी प्राप्त हो जाती है.
खाताधारक को जितना लोन चाहिये होता है ये लोग उससे ज्यादा रकम का लोन अप्रूव कराते हैं. जब खाताधारक को लगता है कि उसे इतना पैसा नहीं चाहिए तो वो इन्हें कॉल करते है और ये लोग रकम वापस कराने के लिए ओटीपी मांगते हैं. ओटीपी मिलते ही तुरंत अकाउंट से पैसे चुरा लिए जाते हैं.
साइबर अपराध के सीआई प्रशांत ने कहा कि ये साइबर अपराधी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और झारखंड जैसे विभिन्न राज्यों से काम कर रहे हैं.
लो-इंटरेस्ट लोन के नाम पर पब्लिक को लुभाते हैं
सिकंदराबाद की एक महिला को एक सप्ताह पहले ऐसे ही साइबर अपराधियों का फोन आया था. उन्होंने खुद को स्टेट बैंक के प्रतिनिधियों के रूप में पेश किया. जब उसे बताया गया कि बैंक अब बहुत ही निम्न स्तर पर ऋण दे रहा है तो महिला को लालच आ गया और उसने 2 लाख का ऋण मांगा.
साइबर अपराधियों ने महिला से खाते संबंधित जानकारी मांगी तो महिला ने दे दी. धोखेबाजों ने महिला के नाम पर 5 लाख रुपये के ऋण के लिए आवेदन किया. बैंक अधिकारियों ने आवेदन की जांच की और महिला के खाते में 28 घंटे के भीतर राशि जमा कर दी.
जैसे ही महिला को राशि जमा होने का संदेश मिला उसने धोखेबाज को वापस बुलाया और उसे सूचित किया कि उसने केवल 2 लाख के लिए आवेदन किया है. वह इतनी राशि का भुगतान नहीं कर पाएगी. अपराधी ने फिर पिन और उसके ऑनलाइन विवरण एकत्र किए, उसे अतिरिक्त 3 लाख वापस करवाने का वादा किया.
कुछ ही मिनटों के बाद महिला को बैंक से प्राप्त संदेश के माध्यम से पता चला कि उसके खाते के सभी पैसे पूरी तरह से वापस ले लिए गए हैं. तब उसे एहसास हुआ कि उसके साथ धोखा हुआ है और उसने तुरंत शहर की साइबर सेल शाखा में शिकायत दर्ज कराई.
वास्तविक खाता विवरण और OTP एकत्रित करना
मौजूदा महामारी की स्थिति और निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के सामने आर्थिक कठिनाइयां सामने आ रही हैं ऐसे में राष्ट्रीय और कॉर्पोरेट बैंक कई नई योजनाएं लेकर आए हैं जो एक या दो साल में ऋण वापस करने की छूट देती हैं.
ये ऋण कर्मचारियों के वेतन के आधार पर दिए जाते हैं. ऑनलाइन खातों वाले सार्वजनिक और निजी कर्मचारियों को बस अपने मोबाइल से एक संदेश भेजना होगा और ऋण राशि को उनके वेतन खाते में जमा कर दिया जाता है.
इस प्रक्रिया से पूरी तरह से वाकिफ होने वाले साइबर अपराधी स्टेट बैंक, यूनियन बैंक और आईसीआईसीआई बैंक में ऑनलाइन खाते रखने वालों का विवरण एकत्र कर रहे हैं और सभी बैंक ग्राहकों को फोन करके संबंधित बैंक अधिकारियों के रूप में बता रहे हैं. खाताधारकों से कोई संदेह किए बिना ओटीपी नंबर भी एकत्र किए जा रहे हैं.
विवरण एकत्र करने के बाद, ये धोखेबाज खाता धारक के विवरण के साथ उच्च राशि के ऋण के लिए आवेदन कराते हैं और फिर जैसे ही राशि जमा की जाती है और खाताधारक उच्च राशि के ऋण से इनकार कर देता है तो धोखेबाज पैसे वापस लेने की आड़ में ओटीपी मांगते हैं और अकाउंट से पैसा चुरा लेते हैं.
साइबर क्राइम पुलिस ऐसे जालसाजों के प्रति लोगों को चेतावनी दे रही है और उन्हें ऐसे कॉल के प्रति सतर्क रहने की सलाह दे रही है जहां खाता विवरण और ऑनलाइन पासवर्ड और ओटीपी मांगे जा रहे हैं. आप भी ऐसे धोखेबाजों से सतर्क रहें.
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