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काम आई कूटनीति : नेपाल ने अपने नक्शे में किए बदलावों को वापस लिया

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Published : May 27, 2020, 3:42 PM IST

Updated : May 27, 2020, 4:51 PM IST

नेपाल के साथ कूटनीतिक संबंधों के मामले में भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली है. नेपाल ने अपने नक्शे में नए बदलावों को वापस ले लिया है.

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नेपाल के पीएम केपी ओली

नई दिल्ली : नेपाल ने अपने देश के नक्शे में अपने राजनीतिक नक्शे में किए गए बदलावों को वापस ले लिया है. इससे पहले नेपाल ने अपने नक्शे में भारत के लिपुलेख और कालापानी को शामिल कर एक नक्शा जारी किया था.

गत 17-18 मई को नेपाल सरकार ने देश का नया नक्शा जारी करने की बात कही थी. इस नक्शे में भारत के कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा दिखाया गया है.

जानकारी के मुताबिक इस विषय में नेपाल के प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर कैबिनेट मीटिंग भी की गई थी.

गौरतलब है कि नेपाल का यह फैसला भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क के उद्धाटन के करीब 10 दिन के बाद आया है.

यह भी पढ़ें: नेपाल ने अपने नक्शे में भारत के लिपुलेख और कालापानी को शामिल किया

बता दें, लिपुलेख से तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया था.

यह भी पढ़ें: क्या है कालापानी और लिपुलेख पर नेपाल के दावे का सच या झूठ, सरकारी दस्तावेज दे रहे गवाही

क्या है विवाद

लिपुलेख दर्रा, कालापानी के पास सुदूर पश्चिमी क्षेत्र है जो नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा क्षेत्र रहा है. नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमावर्ती क्षेत्र कालापानी के पास लिपुलेख दर्रा है. दोनों देश कालापानी को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानते हैं. भारत के अनुसार यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है, जबकि नेपाल उसके अपने धारचूला जिले का हिस्सा होने का दावा करता है. नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने एक दिन पहले कहा था कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं और उन्होंने संकल्प लिया कि राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से भारत से उन्हें फिर से प्राप्त कर लिया जाएगा.

नई दिल्ली : नेपाल ने अपने देश के नक्शे में अपने राजनीतिक नक्शे में किए गए बदलावों को वापस ले लिया है. इससे पहले नेपाल ने अपने नक्शे में भारत के लिपुलेख और कालापानी को शामिल कर एक नक्शा जारी किया था.

गत 17-18 मई को नेपाल सरकार ने देश का नया नक्शा जारी करने की बात कही थी. इस नक्शे में भारत के कालापानी और लिपुलेख को नेपाल की सीमा का हिस्सा दिखाया गया है.

जानकारी के मुताबिक इस विषय में नेपाल के प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर कैबिनेट मीटिंग भी की गई थी.

गौरतलब है कि नेपाल का यह फैसला भारत की ओर से लिपुलेख इलाके में सीमा सड़क के उद्धाटन के करीब 10 दिन के बाद आया है.

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बता दें, लिपुलेख से तिब्बत चीन के मानसरोवर जाने का रास्ता है. इस सड़क के बनाए जाने के बाद नेपाल ने कड़े शब्दों में भारत के कदम का विरोध किया था.

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क्या है विवाद

लिपुलेख दर्रा, कालापानी के पास सुदूर पश्चिमी क्षेत्र है जो नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमा क्षेत्र रहा है. नेपाल और भारत के बीच विवादित सीमावर्ती क्षेत्र कालापानी के पास लिपुलेख दर्रा है. दोनों देश कालापानी को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानते हैं. भारत के अनुसार यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा है, जबकि नेपाल उसके अपने धारचूला जिले का हिस्सा होने का दावा करता है. नेपाली प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने एक दिन पहले कहा था कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल के हैं और उन्होंने संकल्प लिया कि राजनीतिक और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से भारत से उन्हें फिर से प्राप्त कर लिया जाएगा.

Last Updated : May 27, 2020, 4:51 PM IST
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