हैदराबाद : कोरोना विश्व के लिए एक घातक वायरस बनकर आया है. अब तक पूरी दुनिया में 10 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और 59 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 200 से अधिक देश इस वायरस की जद में हैं.
घातक कोरोना वायरस से प्रभावित सभी देशों को एकजुट होकर इससे लड़ने के लिए आगे आना चाहिए. हालांकि भारत सहित सभी अन्य देशों ने सिर्फ सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेन्सिंग) को छोड़कर इसके तेजी से फैलने पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं खोजा है. वैश्विक जोखिम के वक्त सरकार की प्रतिक्रिया उसकी क्षमताओं का आंकलन करती है.
जोखिम कैसे और किस रूप में आने वाला है, इस पर भविष्यवाणी करना मुश्किल है. ऐसे में किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए सरकार को लचीला रूख अपनाना चाहिए. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सरकार ने लोगों को सामाजिक दूरियां बनाने की बात कही है. हालांकि इसकी भी जांच होनी चाहिए.
लचीलापन बढ़ाने के लिए, राज्यों को सार्वजनिक विश्वास कुशलतापूर्वक सुनिश्चित करने, स्थानीय तैयारी और प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए निजी क्षेत्रों को एक साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है.वहीं दूसरी तरफ ऐसी परिस्थिति में नागरिक समाज भी भ्रष्टाचार, फिजूलखर्ची और पारदर्शिता के प्रहरी बनकर अहम भूमिका निभाते हैं.
वर्तमान की बात करें तो, हालात ऐसे हो चुके हैं कि कोई भी अकेला देश इस महामारी से मुकाबला नहीं कर सकता है. क्योंकि इसकी सीमाएं सीमित नहीं हैं. इसलिए सभी देश केवल अपना लचीलापन बढ़ाकर इस पर अंकुश लगाने क प्रयास कर सकता है. वहीं इन सब प्रयासों के बीच विश्व आर्थिक मंच का कोविड एक्शन प्लेटफार्म, जीवन और आजीविका की रक्षा करने और दुनिया भर में इन प्रयासों को बढ़ाने के लिए हितधारकों को जुटा रहा है.