कैलिफोर्निया : खगोलविदों ने प्रमुख ग्रह-निर्माण वर्षों के दौरान तारकीय प्रणालियों के आकार और आकारों की शानदार विविधता को प्रदर्शित करते हुए ग्रहों के आस-पास जमा हुए कणों की परत या डेबरिस डिस्क (Debris Disk) की तस्वीरें जारी की हैं. यह छवियां अन्य ग्रहों के मौजूद होने का प्रमाण देती हैं. इससे हमारे सौर मंडल में नए ग्रहों को देखे जाने का दावा किया जा रहा है.
इन तस्वीरों को एक खास उपकरण जैमिनी प्लेनेट इमेजर (Gemini Planet Imager - जीपीआई) के माध्यम से चार वर्ष की अवधि में प्राप्त किया जा सका है. आठ मीटर के जैमिनी दक्षिण दूरबीन को चिली में रखा गया था. जीपीआई वायुमंडलीय धब्बों को हटाकर साफ छवियां प्रदान करता है. यह अत्याधुनिक अनुकूली प्रकाशिकी प्रणाली का उपयोग करता है.
ग्राउंड-आधारित उपकरण जीपीआई सितारों के पास जमा हुए डेबरिस डिस्क (Debris Disk) को पकड़ने या उसकी साफ तस्वीरें निकालने में काफी कारगर है लेकिन यह काफी महंगा होता है.
कई प्रकार के 20, 30 और 40 मीटर के दूरबीन जैसे जायंट मैगलन टेलीस्कोप (Giant Magellan Telescope) और अत्यधिक बड़े टेलीस्कोप (Extremely Large Telescope) अगले दो दशकों में ऑनलाइन उपलब्ध हो जाएंगे, जबकि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) को 2021 में लॉन्च किया जा सकता है.
इस बारे में बात करते हुए कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के टॉम एस्पोसिटो ने कहा कि ग्रहों की तुलना में डेबरिस डिस्क (Debris Disk) का पता लगाना आसान होता है. इसलिए आप पहले उसका पता लगाते हैं और फिर आप अपने जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope) या अपने नैन्सी ग्रेस रोमन स्पेस टेलीस्कोप (your Nancy Grace Roman Space Telescope) को उस पर इंगित कर देते हैं.
जानकारी के लिए बता दें, एस्पोसिटो एक लेखक हैं, जिन्होंने 15 जून को घटी खगोलीय घटनों का वर्णन करते हुए यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि छवियों में पाए गए डेबरिस डिस्क (Debris Disk) हमारे सौर मंडल में मौजूद क्ईपर बेल्ट (Kuiper Belt) के बराबर हैं, जो पृथ्वी की तुलना में सूर्य से लगभग 40 गुना ज्यादा दूर हैं. यह डेबरिस डिस्क (Debris Disk) नेप्ट्यून (Neptune) की कक्षा से दूर चट्टानों, धूल और बर्फ से भरी हुई है, जिसे हमारे सौर मंडल में अब तक कहीं भी नहीं पाया गया है.
बर्फ और चट्टानों से बने बेल्ट से निकलने वाले कॉमैट्स (Comets) समय-समय पर सौर मंडल से पृथ्वी की ओर आते रहते हैं और हमारे पर्यावरण में पानी, कार्बन और ऑक्सीजन जैसे जीवन-संबंधी तत्वों पर अच्छा प्रभाव डालते हैं.
जीपीआई द्वारा ली गई 26 डेबरिस डिस्क (Debris Disk) की तस्वीरों में से 25 के तारों के बीच में छेद हैं, 26 में से सात अज्ञात हैं और अन्य 19 के चित्र जीपीआई से साफ नहीं आए हैं.
एस्पोसिटो कहते हैं कि इस डेबरिस डिस्क (Debris Disk) में जो हमने सबसे ज्यादा पाया, वह इनमें मौजूद रिंग्स हैं जो बिल्कुल साफ तौर पर नजर आ रहे हैं.
एस्पोसिटो ने कहा कि जीपीआई में तारे के करीब के आंतरिक क्षेत्रों का एक स्पष्ट दृश्य आया है, जबकि पहले कभी हमें इतनी साप तस्वीरें हासिल नहीं हो सकीं थीं, जिससे कि हम तारों में मौजूद छेदों को देख पाते.
एस्पोसिटो ने कहा कि जीपीआई ने 104 सितारों को लक्षित किया, जोकि अवरक्त प्रकाश में असामान्य रूप से उज्ज्वल थे, यह दर्शाता है कि वह डेबरिस डिस्क (Debris Disk) से घिरे हुए हैं, जिनमें या तो रोशनी है या फिर वह किसी अन्य तारे द्वारा तप रहे हैं.
उन्होंने कहा कि डेबरिस डिस्क (Debris Disk) का कोई व्यवस्थित सर्वेक्षण नहीं किया गया है. हमने इन 26 डेबरिस डिस्क (Debris Disk) का पता लगाया है. जबकि सात ऐसे भी डेबरिस डिस्क (Debris Disk) हैं, जिन्हें पहले कभी नहीं देखा था.
एस्पोसिटो ने बताया कि देखे गए 104 तारों में से 75 ऐसे थे, जिसके बारे में जीपीआई पता नहीं लगा सका. यह ऐसे तारे थे जो लाखों वर्ष से लेकर कुछ सौ मिलियन वर्ष तक के थे. इनमें अधिकांश सूर्य से बड़े और चमकीले थे.
एक तारा एचडी 156623, जिसकी डेबरिस डिस्क (Debris Disk) में कोई छेद नजर नहीं आया, उस तारों के समूह में सबसे नया था, जो ग्रहों के निर्माण के सिद्धांतों को पूरा और सही साबित कर रहा था.
एस्पोसिटो ने कहा कि जब नए ग्रहों का निर्माण हो रहा होता है, तब उनके उनके आस-पास बहुत अधिक धूल और गैस जमा होती है. इससे यह पता चलता है कि यहां नए और युवा ग्रहों का निर्माण हो रहा है, जैसा कि हमने जैमिनी प्लेनेट इमेजर के माध्यम से ली हुई तस्वीरों में देखा है.
उन्होंने कहा कि यदि आप 4.5 अरब वर्ष पीछे जाकर अपने सौर मंडल को देखेंगे और यह खोजेंगे कि इसमें कौन सी डिस्क थी, तो आपको हमारे असल मूल के बारे में पता चलेगा.
जानकारी के लिए बता दें, जीपीआई और जीपीआई एक्सोप्लैनेट सर्वेक्षण में 100 से अधिक शोधकर्ताओं ने योगदान दिया. इस काम को नेशनल साइंस फाउंडेशन (AST-1518332), नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NNX15AC89G), और नेक्सस फॉर एक्सोप्लेनेट सिस्टम साइंस (NExSS), नासा के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट (NNX15AD95G) शामिल थे.
वहीं अमेरिका, कनाडा, चिली, ब्राजील, अर्जेंटीना और दक्षिण कोरिया को समर्थन देने वाली एनएसएफ का NOIRLab (नेशनल ऑप्टिकल-इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी रिसर्च लेबोरेटरी) भी इसका हिस्सा थी.