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कलियुग के 'भागीरथ' हैं बिगन साव, 47 सालों से जल संरक्षण है इनका जुनून - Bunji Village News

रामगढ़ के बिगन साव अपने गांव के लिए भगीरथ से कम नहीं हैं. उन्होंने अपने वेतन के पैसे से आस पास के कई गांवों में तालाब और कुएं बनवाए हैं. बुढ़ापे की दहलीज पर भी जल संरक्षण का उनका जुनून कम नहीं हुआ है.

कलियुग के 'भागीरथ' हैं बिगन साव
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Published : Aug 30, 2019, 5:12 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 9:17 PM IST

रामगढ़ः कहा जाता है कि राजा भगीरथ ने घोर तपस्या कर गंगा को पृथ्वी पर आने से मना लिया था. कुछ ऐसा ही प्रयास कर रहे हैं रामगढ़ के बिगन साव. सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड यानी सीसीएल में नौकरी करते-करते बिगन साव ने जिले में दर्जनों तालाब और कुएं का निर्माण कराया है .

दरअसल 67 वर्षीय बिगन साव रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत बारूघुट्टु उत्तरी पंचायत के बंजी गांव में रहते हैं. फिलहाल वे रिटायर हो चुके हैं और ज्यादातर वक्त आस-पास के गांवों में पानी की समस्या दूर करने में लगाते हैं.

बिगन साव ने जिले में पानी की समस्या देखी तो सरकार का मुंह ताकने के बजाए, उन्होंने खुद ही पहल करने की ठानी. उन्होंने कुएं और तालाब खुदवाकर पानी रोकना शुरू किया. साल 1972 से उनका ये काम लगातार जारी है. बिगन साव की पहल पर कई और लोगों ने भी ऐसी कोशिश की. बिगन को इस काम से बेहद आनंद मिलता है. वे कहते हैं कि प्यासे लोगों को प्यास बुझाते देख और लोगों को खुश देखकर उन्हें सुकून मिलता है.

रामगढ़ के बिगन साव अपने गांव के लिए भगीरथ से कम नहीं हैं देखें स्पेशल रिपोर्ट...

ये भी पढ़ें:जल संचयन करने वाले को संपत्ति कर में 5 फीसदी की छूट, ईस्ट MCD का ऐलान

क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों के लिए ये तालाब किसी वरदान से कम नहीं है. रोजाना की जरूरतों और मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ इससे सिंचाई का काम भी लिया जाता है. यहां के ग्रामीणों ने बताया कि कपड़े धोने, नहाने, मवेशियों को पानी पिलाने के लिए इस तालाब का उपयोग किया जाता है. गर्मी के दिनों में यही तालाब खेतों की प्यास भी बुझाता है और इससे सिंचाई की जाती है. इस तालाब से आसपास के चार-पांच गांव के लोग लाभाविंत होते हैं.

यहां की मुखिया अजिता देवी के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण रामगढ़ में भूजल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. अब 500 फीट पर भी पानी नहीं मिलता. अगर बिगन साव जैसे 10 लोग हर गांव में रहें, तो गिरते भूजल स्तर की परेशानी खत्म हो जाएगी और लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा.

ये भी पढ़ें:केन्द्र सरकार ने 27 राज्यों को दिए 47 हजार करोड़, जानें मकसद

पीएम मोदी से अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जल सरंक्षण पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में बिगन साव का मानना है कि उन्होंने अपने स्तर पर छोटी पहल कर गांव को जलसंकट से निजात दिलाने की कोशिश की है. यदि सरकार से मदद मिले तो बड़े पैमाने पर तालाब और कुओं के जरिए वर्षा के जल को संचित किया जा सकता है.

बिगन साव के बाल सफेद हो चुके हैं और उनके चेहरे पर झुर्रियां पड़ चुकी हैं लेकिन आज भी जल संरक्षण के प्रति उनका जुनून देखने लायक है. इससे एक बात तो साफ है कि जहां चाह है वहां राह है. जाहिर है कि अकेले सरकार जल संरक्षण को लेकर चमत्कार नहीं कर सकती है लेकिन आम आदमी के सहयोग से यह संभव हो सकता है. कुछ लोग केवल सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं, बिगन साव जैसे लोग एक मिसाल कायम कर देते हैं.

रामगढ़ः कहा जाता है कि राजा भगीरथ ने घोर तपस्या कर गंगा को पृथ्वी पर आने से मना लिया था. कुछ ऐसा ही प्रयास कर रहे हैं रामगढ़ के बिगन साव. सेंट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड यानी सीसीएल में नौकरी करते-करते बिगन साव ने जिले में दर्जनों तालाब और कुएं का निर्माण कराया है .

दरअसल 67 वर्षीय बिगन साव रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत बारूघुट्टु उत्तरी पंचायत के बंजी गांव में रहते हैं. फिलहाल वे रिटायर हो चुके हैं और ज्यादातर वक्त आस-पास के गांवों में पानी की समस्या दूर करने में लगाते हैं.

बिगन साव ने जिले में पानी की समस्या देखी तो सरकार का मुंह ताकने के बजाए, उन्होंने खुद ही पहल करने की ठानी. उन्होंने कुएं और तालाब खुदवाकर पानी रोकना शुरू किया. साल 1972 से उनका ये काम लगातार जारी है. बिगन साव की पहल पर कई और लोगों ने भी ऐसी कोशिश की. बिगन को इस काम से बेहद आनंद मिलता है. वे कहते हैं कि प्यासे लोगों को प्यास बुझाते देख और लोगों को खुश देखकर उन्हें सुकून मिलता है.

रामगढ़ के बिगन साव अपने गांव के लिए भगीरथ से कम नहीं हैं देखें स्पेशल रिपोर्ट...

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क्या कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीणों के लिए ये तालाब किसी वरदान से कम नहीं है. रोजाना की जरूरतों और मवेशियों की प्यास बुझाने के साथ इससे सिंचाई का काम भी लिया जाता है. यहां के ग्रामीणों ने बताया कि कपड़े धोने, नहाने, मवेशियों को पानी पिलाने के लिए इस तालाब का उपयोग किया जाता है. गर्मी के दिनों में यही तालाब खेतों की प्यास भी बुझाता है और इससे सिंचाई की जाती है. इस तालाब से आसपास के चार-पांच गांव के लोग लाभाविंत होते हैं.

यहां की मुखिया अजिता देवी के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण रामगढ़ में भूजल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है. अब 500 फीट पर भी पानी नहीं मिलता. अगर बिगन साव जैसे 10 लोग हर गांव में रहें, तो गिरते भूजल स्तर की परेशानी खत्म हो जाएगी और लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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पीएम मोदी से अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जल सरंक्षण पर जोर दे रहे हैं. ऐसे में बिगन साव का मानना है कि उन्होंने अपने स्तर पर छोटी पहल कर गांव को जलसंकट से निजात दिलाने की कोशिश की है. यदि सरकार से मदद मिले तो बड़े पैमाने पर तालाब और कुओं के जरिए वर्षा के जल को संचित किया जा सकता है.

बिगन साव के बाल सफेद हो चुके हैं और उनके चेहरे पर झुर्रियां पड़ चुकी हैं लेकिन आज भी जल संरक्षण के प्रति उनका जुनून देखने लायक है. इससे एक बात तो साफ है कि जहां चाह है वहां राह है. जाहिर है कि अकेले सरकार जल संरक्षण को लेकर चमत्कार नहीं कर सकती है लेकिन आम आदमी के सहयोग से यह संभव हो सकता है. कुछ लोग केवल सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं, बिगन साव जैसे लोग एक मिसाल कायम कर देते हैं.

Intro:वेतन के रुपये से कराया तालाब व कुआं का निर्माण । जल संचय को लेकर वर्षो से कर रहे लोगो को जागरूक । तालाब व कुआं से कई गांवों के लोगो हो रहे लाभन्वित । संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है , शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता ना हो । वर्षा जल का संरक्षण करके गिरते भूजल स्तर को रोका जा सकता है। टिकाऊ विकास का यही आधार हो सकता है ।भूजल पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत तालाब और कुआं को माना जाता है। स्पेशल रिपोर्ट ........


Body:अकेली सरकार जल संरक्षण को लेकर इसमें बहुत कुछ नहीं कर सकती है । लेकिन यह काम आम आदमी के सहयोग से संभव है । जल संचित करने की परंपरा हमारे देश में शुरू से रही है । कुछ लोग केवल सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं ,लेकिन हम बताने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स की जो सीसीएल में नौकरी करते-करते दर्जनों तालाब और कुएं का निर्माण कराया है । हम आपको बताने जा रहे है एक यैसे शक्श की जो पिछले कई वर्षो से जल संचय को लेकर प्रयासरत है । जी हां कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ जल संचय के लिए निवर्तमान सीसीएल कर्मी बिगन साब पिछले कई सालों से ग्रामीण इलाकों में लोगों को जागरूक कर रहे हैं बिगन साव पहल कर लगभग दर्जनभर तालाब और कुएं का निर्माण कर चुके हैं । समाज की भलाई व पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत बारूघुट्टु उत्तरी पंचायत के बंजी गांव निवासी 67 वर्षीय सेवानिवृत्त सीसीएल कर्मी बिगन साव हमेशा से सक्रिय रहे हैं आस-पास के गांव में पानी की समस्या को दूर करने को लेकर उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान वेतन के पैसे एवं लोगों के सहयोग से बंजी ठाकुरडीह, दुरु-कसमार, बड़वाटोला, अगरवा ,मुकुंदाबेड़ा, लाडूंगरी सहित कई गांव में तालाब और कुएं बनवाए हैं । बिगन साव ने कहा की अभी हुए जो समाज को देना चाहिए अब तक नहीं दे पाए हैं जो काम उन्होंने किया है यह बहुत छोटा सा प्रयास है लेकिन यह प्रयास जब साक्षात होते दिखता है तो काफी अच्छा लगता है इस तालाब कुएं से जब लोगों की प्यास जानवरों की प्यास और खेतों की प्यास बुझती है तो उन्हें यह देखकर काफी आनंद होता है यह काम उन्होंने शुरुआती दौर लगभग 1972 से शुरू किया जब इस इलाके में पानी की काफी दिक्कत थी उस दौरान इन्होंने कुएं का निर्माण कराया जहां लोगों को काफी राहत मिलती थी इसी को देख आसपास के कई गांवों में तालाब का निर्माण कराया जहां आज भी लोग इसका इस्तेमाल सिंचाई नहाने मैं किया करते हैं। बाइट :-बिगन साव ग्रामीणों का कहना है कि इस तालाब से लगभग आसपास के चार पांच गांव के लोग लाभान्वित होते हैं वही जो इस तालाब की जमीन मालिक है उनका भी कहना है कि इस तरह तालाब का निर्माण से अब हम लोग को भी फायदा होता है कि लोग इस तालाब के पानी का इस्तेमाल करते हैं कम से कम पानी की किल्लत से तो यह तालाब हम लोगों को बचाता है। बाइट : ग्रामीण 1 बाईट: ग्रामीण 2 वही इस क्षेत्र की मुखिया का भी कहना है कि अगर बिगन सा वजह से 10 लोग प्रत्येक गांव में रहे तो जो भूमिगत जल का स्तर गिर रहा है वह सामान्य हो जाएगा और लोगों को जल संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। बाइट :


Conclusion:यदि हम वर्षा जल के रूप में प्राप्त पानी का पर्याप्त संरक्षण व संरक्षण किया जाए तो यहां जल संकट समाप्त किया जा सकता है हमारे देश की अधिकांश नदियों में पानी की मात्रा में कमी देखी गई है यदि समाज का हर व्यक्ति अपनी जिम्मेवारी निभाने लगे तो जल संरक्षण को बल मिलेगा समाज के एक जागरूक अंग होने के नाते हम सब का कर्तव्य है कि जल संरक्षण को हर स्तर पर और उत्साहित करें ताकि वर्तमान जल संकट की समस्या का समाधान संभव हो सके। संस्कृति और सभ्यताओं को विकसित करने वाले जल स्रोत जगदम तोड़ने लगे तो मानो लोकी अब समाज सुरक्षित नहीं है वर्षों की उपेक्षा का परिणाम आज सबके सामने हैं खतरे की घंटी तो बहुत पहले बज चुकी थी वह तो हम अपनी आदतों से मजबूर हैं जो इस खतरे को समझ कर भी बेफिक्र रहें आज जब हालत बेकाबू हो गए हैं तब हमें अपनी गलती का एहसास हुआ और चल पड़े मंजिल की तलाश में ऐसे हालात से जूझते लोग अब जल संरक्षण सहेजने में जुट गए हैं लोग नदी बचाने में जुटे हैं
Last Updated : Sep 28, 2019, 9:17 PM IST
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