नई दिल्ली : 'वसंत ऋतु' का एहसास ही लोगों को पुलकित कर देता है. हमारे यहां छह ऋतुएं होती हैं- वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत. इन ऋतुओं का राजा यानी सर्वश्रेष्ठ मौसम ऋतुराज वसंत का ही होता है. इस मौसम में खेतों में मन मोहक हरियाली होती है, तो वृक्षों पर कोपलें पुष्पित-पल्लवित हो रही होती हैं. यूं लगता हो कि धरती श्रंगार कर रही हो. कवियों ने इस ऋतु को प्रेम का मौसम माना है और इस पर अनेक कविताएं लिखी गईं.
यह मौसम पशु-पक्षियों में भी उल्लास भर देता है. खेतों में सरसों के फूल हर ओर सोने का आभास कराते हैं. आम के वृक्षों पर फूल आने का यही वक्त होता है. इसी ऋतु में बागों में झूले डाले जाते हैं. लोगों के दिलों में उमंग-उत्साह हिलोरें मारता है और दिल प्रिय-प्रेयसी के मिलन को बेताब रहते हैं. आइए हम आपको बताते हैं इस ऋतु से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं...
सरस्वती के साधक करते हैं मां की आराधना
हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन वसंत पंचमी मनाई जाती है. आज के दिन विद्यार्थी, गायक, वादक, लेखक, कवि और साहित्य से जुड़े लोग मां सरस्वती की विशेष पूजा और उनकी आराधना करते हैं. भारतीय पौराणिक कथाओं और शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि भगवान ब्रह्मा ने जब संसार का निर्माण किया तो उन्हें यह पूरा नहीं महसूस हुआ. इसके बाद उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का और ऐसा करते ही एक सुंदर स्त्री के रूप में देवी प्रकट हुईं, जिनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी. वहीं तीसरे में माला और उनका चौथा हाथ वर मुद्रा में था. यही मां सरस्वती थीं.
क्या हुआ था वसंत पंचमी के दिन
ब्रह्मा के सामने खड़े होकर मां सरस्वती ने जब अपनी वीणा बजाई तो संसार की हर वस्तु में स्वर आ गया और इसी से उनका नाम देवी सरस्वती पड़ा. यह पूरा घटनाक्रम वसंत पंचमी के दिन हुआ और तब से लेकर आज तक मां सरस्वती की पूजा इसी दिन की जाती है. इसी दिन मां सरस्वती का जन्मोत्सव भी होता है. आज के दिन भगवान विष्णु और कामदेव की पूजा भी की जाती है.
कहां-कहां मनाई जाती है वसंत पंचमी
हिंदू त्योहार वसंत पंचमी या श्रीपंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है. यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई अन्य राष्ट्रों में बड़े उत्साह और उल्लास के साथ की जाती है. लोग इस दिन खास तौर पर पीले वस्त्र धारण करते हैं.