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दिल्ली HC का आदेश, किडनी की बीमारी से ग्रस्त 4 वर्षीय बच्चे के लिए विदेश से इंजेक्शन मंगवाए AIIMS - four year old child suffering from kidney disease

किडनी की बीमारी जूझ रहे 4 साल के बच्चे के लिए दिल्ली एम्स अब विदेश इंजेक्शन खरीदेगा और बिना समय बर्बाद किए बच्चे को इंजेक्शन दिया जाएगा. बता दें कि यह आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली एम्स को दिया है.

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Published : Apr 6, 2023, 7:12 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली एम्स को किडनी की बीमारी से पीड़ित चार वर्षीय बच्चे के इलाज के लिए तत्काल जरूरी इंजेक्शन आयात करने का आदेश दिया है. दरअसल बीमारी के कारण जन्म से ही बच्चे की किडनी यू आकार में मुड़ी हुई है. कोर्ट ने यह आदेश अदालत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्राप्त एक ईमेल के आधार पर दायर जनहित याचिका पर दिया है.

जनहित याचिका में मां ने की थी शिकायत: बच्चे की मां ने शिकायत की थी कि डेक्सेल नाम का इंजेक्शन देश में उपलब्ध नहीं था. ऐसे में उसके बेटे के इलाज के लिए इंजेक्शन की तत्काल आवश्यकता थी. उन्होंने ने शिकायत में कहा कि उसे एम्स द्वारा नंद नगरी में ईएसआईसी डिस्पेंसरी में इंजेक्शन प्राप्त करने के लिए भेजा गया था, क्योंकि बच्चे के पिता कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना के लाभार्थी हैं. इंजेक्शन खरीदा नहीं जा सकता, क्योंकि यह देश में उपलब्ध नहीं है. यह कहकर डिस्पेंसरी ने उन्हें वापस एम्स भेज दिया.

इनकार करने का कारण भारत में इसकी अनुपलब्धता: ईएसआईसी ने कोर्ट को जानकारी दी कि इंजेक्शन की खरीद से मना करने का कारण देश में उसकी उपलब्धता न होना था. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि इंडिया फार्माकोपिया में इस इंजेक्शन का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. फार्माकोपिया जिसमें औषधीय दवाओं की सूची उनके प्रभाव और उनके उपयोग के निर्देशों के आधिकारिक प्रकाशन के साथ होती है.

ईएसआईसी के वकील ने कोर्ट से किया आग्रह: ईएसआईसी के वकील ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ से AIIMS को इंजेक्शन आयात करने का आदेश देने की अपील की और कहा कि ईएसआईसी इसकी खरीद पर आने वाले पूरे खर्चे का वहन करेगा. वहीं, हॉस्पिटल के एडवोकेट ने प्रपोजल पर सहमति जताई. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि एम्स अस्पताल को निर्देश दिया जाता है कि वह मरीज के इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शन को आयात करने के लिए तत्काल कदम उठाए और बिना देरी किए उसे बच्चे को लगाए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एम्स अस्पताल इस संबंध में ईएसआईसी डीएमडी कार्यालय को व्यय शुल्क का विवरण देगा, जो एम्स अस्पताल को इंजेक्शन की खरीद में खर्च होने वाली राशि की प्रतिपूर्ति करेगा.

ये भी पढ़ें: Change Of Weather : बदलते मौसम में फिट रहने के लिए आजमाएं ये आसान से उपाय

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली एम्स को किडनी की बीमारी से पीड़ित चार वर्षीय बच्चे के इलाज के लिए तत्काल जरूरी इंजेक्शन आयात करने का आदेश दिया है. दरअसल बीमारी के कारण जन्म से ही बच्चे की किडनी यू आकार में मुड़ी हुई है. कोर्ट ने यह आदेश अदालत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा प्राप्त एक ईमेल के आधार पर दायर जनहित याचिका पर दिया है.

जनहित याचिका में मां ने की थी शिकायत: बच्चे की मां ने शिकायत की थी कि डेक्सेल नाम का इंजेक्शन देश में उपलब्ध नहीं था. ऐसे में उसके बेटे के इलाज के लिए इंजेक्शन की तत्काल आवश्यकता थी. उन्होंने ने शिकायत में कहा कि उसे एम्स द्वारा नंद नगरी में ईएसआईसी डिस्पेंसरी में इंजेक्शन प्राप्त करने के लिए भेजा गया था, क्योंकि बच्चे के पिता कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना के लाभार्थी हैं. इंजेक्शन खरीदा नहीं जा सकता, क्योंकि यह देश में उपलब्ध नहीं है. यह कहकर डिस्पेंसरी ने उन्हें वापस एम्स भेज दिया.

इनकार करने का कारण भारत में इसकी अनुपलब्धता: ईएसआईसी ने कोर्ट को जानकारी दी कि इंजेक्शन की खरीद से मना करने का कारण देश में उसकी उपलब्धता न होना था. उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि इंडिया फार्माकोपिया में इस इंजेक्शन का कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है. फार्माकोपिया जिसमें औषधीय दवाओं की सूची उनके प्रभाव और उनके उपयोग के निर्देशों के आधिकारिक प्रकाशन के साथ होती है.

ईएसआईसी के वकील ने कोर्ट से किया आग्रह: ईएसआईसी के वकील ने मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ से AIIMS को इंजेक्शन आयात करने का आदेश देने की अपील की और कहा कि ईएसआईसी इसकी खरीद पर आने वाले पूरे खर्चे का वहन करेगा. वहीं, हॉस्पिटल के एडवोकेट ने प्रपोजल पर सहमति जताई. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि एम्स अस्पताल को निर्देश दिया जाता है कि वह मरीज के इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शन को आयात करने के लिए तत्काल कदम उठाए और बिना देरी किए उसे बच्चे को लगाए. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि एम्स अस्पताल इस संबंध में ईएसआईसी डीएमडी कार्यालय को व्यय शुल्क का विवरण देगा, जो एम्स अस्पताल को इंजेक्शन की खरीद में खर्च होने वाली राशि की प्रतिपूर्ति करेगा.

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