देहरादून: उत्तराखंड में कभी बादल फटने की घटनाएं तो कभी बेमौसम तूफान लोगों के लिए मुसीबत बनते रहे हैं. प्राकृतिक आपदाओं के इन्ही अनुभवों के चलते केंद्र सरकार ने राज्य को डॉप्लर रडार की सौगात दी है. चारधाम यात्रा के बीच यात्रा क्षेत्र में इस रडार का फायदा राज्य को नहीं मिल पा रहा है. बड़ी बात यह है कि प्रदेश में यात्रा रूट पर भी बेमौसम बारिश का सिलसिला जारी है. इस बीच डॉप्लर वेदर रडार की कमी राज्य को यह ज्यादा खल रही है. क्या है डॉप्लर वेदर रडार? क्यों इसका फायदा फिलहाल राज्य को नहीं मिल रहा है, जानते हैं-
उत्तराखंड को मिले तीन डॉप्लर वेदर रडार: साल 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद न केवल राज्य सरकार बल्कि केंद्र ने प्रदेश में आपदाओं पर विशेष फोकस किया है. यही कारण है कि राज्य को विशेष तौर पर केंद्र की तरफ से 3 डॉप्लर वेदर रडार की सौगात उत्तराखंड को दी गई. इसमें से अभी केवल दो डॉप्लर वेदर रडार ही स्थापित हो सके हैं. चिंता की बात यह है कि करीब 1 साल पहले लगे टिहरी जिले के सुरकंडा मंदिर स्थित डॉप्लर रडार का राज्य को फिलहाल लाभ नहीं मिल पा रहा है. यह खबर इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि राज्य में चारधाम यात्रा अपने शबाब पर है. ऐसी स्थिति में मौसम की सटीक भविष्यवाणी का बेहद ज्यादा महत्व है. बिंदुवार जानिए सुरकंडा मंदिर स्थित डॉप्लर रडार ने कैसे परेशानियां बढ़ाई हैं.
डॉप्लर रडार मौसम की भविष्यवाणी में कैसे करता है मदद: डॉप्लर रडार एक ऐसी छोटी मशीन है. ये अति सूक्ष्म तरंगों को भी कैच करने में सक्षम है. इन्हीं तरंगों के माध्यम से मौसम में हो रहे बदलाव को डॉप्लर वेदर रडार आसानी से समझ लेता है. इसके जरिए न केवल बादल फटने की घटनाओं का आकलन हो सकता है बल्कि तेज तूफान और बारिश को लेकर भी भविष्यवाणी की जा सकती है. हवा की रफ्तार का आकलन करने के साथ डॉप्लर वेदर रडार हर 3 घंटे में नए अपडेट मौसम विभाग तक पहुंचाता है.
राज्य में कब स्थापित हुए डॉप्लर वेदर रडार: प्रदेश में केंद्र सरकार की तरफ से तीन डॉप्लर वेदर रडार स्वीकृत किए गए हैं. इसमें से पहला डॉप्लर रडार प्रदेश में साल 2021 में नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर में स्थापित किया गया. इसने जुलाई महीने से ही काम करना शुरू कर दिया. इस रडार के जरिए कुमाऊं के अधिकतर क्षेत्रों की मौसम विभाग को सटीक जानकारी मिल पाती है. दूसरा डॉप्लर रडार साल 2022 में टिहरी जिले के सुरकंडा मंदिर में स्थापित किया गया. जिसके जरिए गढ़वाल मंडल के अधिकतर क्षेत्रों और सीमावर्ती क्षेत्रों के मौसम की सटीक जानकारी मिल पा रही थी, जबकि तीसरा डॉप्लर रडार उत्तराखंड के पौड़ी जनपद स्थित लैंसडाउन में स्वीकृत किया गया है. जिसको स्थापित किए जाने का काम फिलहाल चल रहा है.
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बादल फटने जैसी घटनाओं के लिए सबसे अहम है रडार: डॉप्लर वेदर रडार उत्तराखंड में बादल फटने जैसी घटनाओं के लिए बेहद अहम है. दरअसल, साइक्लोन के खतरे के लिए मौसम विभाग के पास इसकी भविष्यवाणी करने और इस पर निगरानी रखने के साथ इसे समझने के लिए काफी समय होता है, क्योंकि, साइक्लोन धीरे-धीरे बनता है. करीब 1000 किलोमीटर तक अपना असर छोड़ता है, लेकिन थंडर स्ट्रोम और बादल फटने जैसी घटनाओं को लेकर अचानक स्थितियां बनती हैं. कुछ ही घंटों में ही अपना असर भी दिखा देती है. ऐसे में अचानक मौसम में होने वाले इस बदलाव को डॉप्लर वेदर रडार से आसानी से समझा जा सकता है.
मौसम विभाग कई माध्यम से करता है भविष्यवाणी: उत्तराखंड मौसम विज्ञान केंद्र को भारत सरकार से तमाम डाटा प्राप्त हो जाते हैं. मौसम विभाग मौसम की भविष्यवाणी के लिए सेटेलाइट माध्यम या ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन का प्रयोग करता है. इसके अलावा सरफेस ऑब्जर्वेटरी के जरिए भी भविष्यवाणी की जाती है. हालांकि, इन सबसे बेहतर डॉप्लर वेदर रडार रहता है. जिससे ज्यादा सटीक और ज्यादा जल्दी मौसम की भविष्यवाणी की जा सकती है. यही नहीं इसके जरिए बादल की मूवमेंट को भी ट्रेक किया जा सकता है. सबसे खास बात यह है कि इससे मिलने वाला डाटा बेहद अच्छे रेजुलेशन में प्राप्त होता है.
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अगले एक माह में रडार के ठीक होने की उम्मीद: डॉप्लर वेदर रडार बेहद संवेदनशील मशीन है. इसके कई पार्ट होते हैं. यह सभी काफी अहम हैं. बताया जा रहा है कि सुरकंडा मंदिर स्थित डॉप्लर रडार पर आकाशीय बिजली गिरने के कारण इसके कुछ पार्ट जल गए हैं. ऐसे में इसकी देखरेख करने वाली कंपनी की तरफ से इसको ठीक किया जाना है. सबसे खास बात यह है कि जिस कंपनी को इसकी देखरेख का काम मिला है वह दक्षिण भारत के हैदराबाद से संबधित है. वहां से ही इंजीनियर और उसके पार्ट को लेकर काम किया जाना है. लिहाजा, इसमें समय लगना लाजमी है. मौसम विभाग मानता है कि अगले महीने की शुरुआत तक सुरकंडा मंदिर स्थित डॉप्लर वेदर रडार सही कर लिया जाएगा.
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चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु: चारधाम यात्रा के दौरान डॉप्लर वेदर रडार का मौसम विभाग के लिए काफी महत्व है. यात्रा में पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालुओं को मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार ही निर्देशित किया जाता है. राज्य में इस बार अबतक (25 मई) पहुंचे श्रद्धालुओं के आंकड़ों पर गौर करें तो गंगोत्री में 300609, यमुनोत्री में 272853, बदरीनाथ में 420486 और केदारनाथ धाम में 516054 श्रद्धालु पहुंच चुके हैं. उधर हेमकुंड साहिब में भी 7785 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. इस तरह राज्य में इस सीजन में अब तक 1500000 से ज्यादा श्रद्धालु चार धाम की यात्रा कर चुके हैं. इतनी बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती है. मौसम विभाग और उसकी भविष्यवाणी पर ही यात्रियों की यात्रा निर्भर करती है.