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दमघोंटू प्रदूषण से बचने के लिए करें ये आसान से योगासन, सर्दी से भी होगा बचाव - smog

महानगरों का प्रदूषण स्तर बहुत अधिक बढ़ गया (pollution level rises in metro cities) है. कई इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (Bad Air Quality Index) रेड जोन (Red Zone 300-400 AQI) में और डार्क रेड जोन (Dark Red Zone 400-500 AQI) में दर्ज किया गया है. ऐसे में योगासन प्रदूषण से राहत दिलाने में काफी हद तक (सर्दी से भी होगा बचाव) कारगर साबित हो सकता है. Yoga in winter . yoga fight against pollution . yoga for lungs strong lungs by yoga .

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Published : Nov 6, 2022, 12:37 AM IST

Updated : Dec 10, 2022, 1:59 PM IST

बड़े शहरों की हवा दमघोटु (Pollution in Delhi-NCR) होती जा रही है. प्रदूषण लोगों के लिए आफत बन गया है. कई महानगरों की एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) डार्क रेड जोन में होने के चलते लोगों को सांस लेने में परेशानी (Trouble Breathing from Pollution) के साथ ही आंखों में जलन भी महसूस हो रही है. धुंध-धुएं ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. कई दिनों से महानगरों के कई इलाके धुंध की चादर से लिपटे नजर आ रहे हैं. धुंध के चलते लोग मॉर्निंग वॉक पर निकलने से बच रहे हैं. मौजूदा समय में महानगर गैस चैंबर में तब्दील हो गए हैं. कई कई शहरों का प्रदूषण स्तर 300 के पार बना हुआ है.

योग एक्सपर्ट ऋचा सूद

प्रदूषण से खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग तमाम कोशिशें कर रहे हैं. जहां एक तरफ महानगरों में रहने वाले लोग बेवजह घरों से बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ घरों के अंदर भी एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर रहे हैं. दम घोट रहे प्रदूषण के इस दौर में हम आपको ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं जो प्रदूषण से राहत दिलाने में काफी हद तक कारगर साबित हो सकते हैं. योग एक्सपर्ट ऋचा सूद (Yoga expert Richa Sood) बताती है कि प्रदूषण के इस दौर में भस्त्रिका, कपाल भारती, बाह्य और अनुलोम विलोम योगासन से खुद को स्वास्थ्य रखा जा सकता है.

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भस्त्रिका:

भस्त्रिका का मतलब होता है लोहार की धौकनी यानी गर्मी उत्पन्न करना. सबसे पहले सीधा बैठना है. फिर मुद्रा बनाएंगे. जिसके बाद सांस अंदर लेंगे और छोड़ेंगे. आसान के दौरान सांस लेने और छोड़ने की गति सबसे पहले धीमी, फिर मध्यम और तीव्र रखी जा सकती है. इस आसन को तीव्र गति से करने के दौरान अगर हम अपने हाथों को ऊपर उठा लेते हैं तो हमारे फेफड़ों की क्षमता और बढ़ जाती है.

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अनुलोम-विलोम आसन :

अनुलोम विलोम योगाभ्यास व्यायाम को फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को निकालर उन्हें शुद्ध करने, फेफड़ों में जमा अतिरिक्त द्रव को कम करने में सहायक होता है. साथ ही साथ फेफड़ों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देने में काफी प्रभावी माना जाता है. इतना ही नहीं यह आसन प्रतिरक्षा और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ावा देने में सहायक है. इस व्यायाम को करने के लिए शांत मुद्रा में बैठ जाएं. अपनी आंखें बंद करें और दाहिने अंगूठे को नाक के दाहिने छिद्र पर रखें. अब बाईं तरफ से गहरी सांस लें और दाहिनी ओर से छोड़ें. इसी तरह से नाक की दूसरी तरफ से भी सांस लें और छोड़ें.

कपालभाति:-

अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएं. हाथों को घुटनों पर रखें. हथेलियों को आकाश की तरफ होना चाहिए. एक लंबी गहरी सांस अंदर लें. सांस छोड़ते हुए अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले. जितना हो सके उतना ही करें. अब पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हुए और अपनी नाभि और पेट को आराम देते हुए अपनी नाक से जल्दी से श्वास छोड़ें. शुरुआत में इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं.

बाह्य प्राणायाम:

बाह्य प्राणायाम फेफड़ों के लिए काफी लाभदायक होता है. नियमित रूप से करने से आक्सीजन लेवल को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है. सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में बैठे. फिर गहरी लम्बी सांस लें. सांस छोड़ते वक़्त पेट पर जोर दें और पेट को अंदर की तरफ खीचें. धीरे-धीरे अपनी ठोड़ी को छाती पर लगाने की कोशिश करें. इस अवस्था में कुछ देर तक रुकें.

ये भी पढ़ें : दिल्ली में प्रदूषण इमरजेंसी जैसे हालात, ट्रकों की एंट्री पर बैन, 50% ही कर्मचारी आएंगे ऑफिस

ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक और स्वीडन की उपासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. राम एस उपाध्याय के मुताबिक मौजूदा समय में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. विश्व स्वास्थ संगठन की गाइडलाइन के मुताबिक मौजूदा समय में दिल्ली का पीएम 2.5 कंसंट्रेशन लेवल तकरीबन 25 गुना अधिक है. प्राणायाम, अनुलोम विलोम विलोम आदि योगासन करना मौजूदा समय में काफी लाभदायक हो सकता है. योग प्रदूषण के परिणामों से निपटने और उनसे लड़ने में सक्षम बना सकता है. फेफड़ों को मजबूत करने में योग काफी लाभदायक है.

ये भी पढ़ें : NCR Air Pollution : गैस चैम्बर बनी दिल्ली, हर सांस से प्रदूषण का खतरा

Disclaimer: खबर एक्सपर्ट्स की राय पर आधारित है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. दी गई जानकरी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं हो सकता. आपका शरीर आपकी ही तरह अलग है. किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह लें.

बड़े शहरों की हवा दमघोटु (Pollution in Delhi-NCR) होती जा रही है. प्रदूषण लोगों के लिए आफत बन गया है. कई महानगरों की एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) डार्क रेड जोन में होने के चलते लोगों को सांस लेने में परेशानी (Trouble Breathing from Pollution) के साथ ही आंखों में जलन भी महसूस हो रही है. धुंध-धुएं ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं. कई दिनों से महानगरों के कई इलाके धुंध की चादर से लिपटे नजर आ रहे हैं. धुंध के चलते लोग मॉर्निंग वॉक पर निकलने से बच रहे हैं. मौजूदा समय में महानगर गैस चैंबर में तब्दील हो गए हैं. कई कई शहरों का प्रदूषण स्तर 300 के पार बना हुआ है.

योग एक्सपर्ट ऋचा सूद

प्रदूषण से खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग तमाम कोशिशें कर रहे हैं. जहां एक तरफ महानगरों में रहने वाले लोग बेवजह घरों से बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ घरों के अंदर भी एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर रहे हैं. दम घोट रहे प्रदूषण के इस दौर में हम आपको ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं जो प्रदूषण से राहत दिलाने में काफी हद तक कारगर साबित हो सकते हैं. योग एक्सपर्ट ऋचा सूद (Yoga expert Richa Sood) बताती है कि प्रदूषण के इस दौर में भस्त्रिका, कपाल भारती, बाह्य और अनुलोम विलोम योगासन से खुद को स्वास्थ्य रखा जा सकता है.

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भस्त्रिका:

भस्त्रिका का मतलब होता है लोहार की धौकनी यानी गर्मी उत्पन्न करना. सबसे पहले सीधा बैठना है. फिर मुद्रा बनाएंगे. जिसके बाद सांस अंदर लेंगे और छोड़ेंगे. आसान के दौरान सांस लेने और छोड़ने की गति सबसे पहले धीमी, फिर मध्यम और तीव्र रखी जा सकती है. इस आसन को तीव्र गति से करने के दौरान अगर हम अपने हाथों को ऊपर उठा लेते हैं तो हमारे फेफड़ों की क्षमता और बढ़ जाती है.

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अनुलोम-विलोम आसन :

अनुलोम विलोम योगाभ्यास व्यायाम को फेफड़ों से विषाक्त पदार्थों को निकालर उन्हें शुद्ध करने, फेफड़ों में जमा अतिरिक्त द्रव को कम करने में सहायक होता है. साथ ही साथ फेफड़ों में ऑक्सीजन युक्त रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देने में काफी प्रभावी माना जाता है. इतना ही नहीं यह आसन प्रतिरक्षा और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ावा देने में सहायक है. इस व्यायाम को करने के लिए शांत मुद्रा में बैठ जाएं. अपनी आंखें बंद करें और दाहिने अंगूठे को नाक के दाहिने छिद्र पर रखें. अब बाईं तरफ से गहरी सांस लें और दाहिनी ओर से छोड़ें. इसी तरह से नाक की दूसरी तरफ से भी सांस लें और छोड़ें.

कपालभाति:-

अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखते हुए, आराम से बैठ जाएं. हाथों को घुटनों पर रखें. हथेलियों को आकाश की तरफ होना चाहिए. एक लंबी गहरी सांस अंदर लें. सांस छोड़ते हुए अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले. जितना हो सके उतना ही करें. अब पेट की मांसपेशियों को ढीला छोड़ते हुए और अपनी नाभि और पेट को आराम देते हुए अपनी नाक से जल्दी से श्वास छोड़ें. शुरुआत में इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं.

बाह्य प्राणायाम:

बाह्य प्राणायाम फेफड़ों के लिए काफी लाभदायक होता है. नियमित रूप से करने से आक्सीजन लेवल को बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है. सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में बैठे. फिर गहरी लम्बी सांस लें. सांस छोड़ते वक़्त पेट पर जोर दें और पेट को अंदर की तरफ खीचें. धीरे-धीरे अपनी ठोड़ी को छाती पर लगाने की कोशिश करें. इस अवस्था में कुछ देर तक रुकें.

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ब्रिटिश मेडिकल काउंसिल के पूर्व वैज्ञानिक और स्वीडन की उपासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. राम एस उपाध्याय के मुताबिक मौजूदा समय में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है. विश्व स्वास्थ संगठन की गाइडलाइन के मुताबिक मौजूदा समय में दिल्ली का पीएम 2.5 कंसंट्रेशन लेवल तकरीबन 25 गुना अधिक है. प्राणायाम, अनुलोम विलोम विलोम आदि योगासन करना मौजूदा समय में काफी लाभदायक हो सकता है. योग प्रदूषण के परिणामों से निपटने और उनसे लड़ने में सक्षम बना सकता है. फेफड़ों को मजबूत करने में योग काफी लाभदायक है.

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Disclaimer: खबर एक्सपर्ट्स की राय पर आधारित है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. दी गई जानकरी चिकित्सा परामर्श का विकल्प नहीं हो सकता. आपका शरीर आपकी ही तरह अलग है. किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह लें.

Last Updated : Dec 10, 2022, 1:59 PM IST
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