पालतू जानवरों को इंसानों का सबसे अच्छा दोस्त माना जाता है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार घर में पालतू जानवर होने के कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं जैसे वे व्यायाम करने, घर से बाहर निकलने और सामाजिककरण के अवसरों को बढ़ा सकते हैं। वहीं नियमित रूप से पालतू जानवरों के साथ चलने या खेलने से रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का स्तर और ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम हो सकता है। लेकिन कई बार कुछ विशेष परिस्तिथ्यों में पालतू जानवर समस्या का कारण भी बन सकते है। इस लिये बहुत जरूरी है की किसी भी पालतू जानवर को अपनाने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखा जाय और उनके लालन पालन से जुड़ी पूरी जानकारी ले ली जाय।
पालतू जानवर रखने के स्वास्थ्य लाभ
इस संबंध में किए गए विभिन्न अध्ययनों के नतीजों से पता चला है कि लोगों और उनके पालतू जानवरों के बीच का बंधन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है। यही नहीं जानवरों के साथ बिताया गया समय और उनका प्रेम अकेलेपन को दूर करने के साथ मन को आनंदित करता है और अवसाद को प्रबंधित करने में मदद करता हैं।
जानकारों की माने तो पालतू जानवर रखने के कुछ स्वास्थ्य लाभ इस प्रकार हैं।
- रक्तचाप में कमी
- कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी
- ट्राइग्लिसराइड के स्तर में कमी
- अकेलेपन की भावना में कमी
- व्यायाम और बाहरी गतिविधियों के लिए अवसरों में वृद्धि
- समाजीकरण के अवसरों में वृद्धि
ये तो रही फ़ायदों की बात, लेकिन पालतू जानवर की देखभाल हमेशा सरल नहीं होती है। कई बार ये किसी रोग या संक्रमण, जूनोटिक रोग का कारण भी बन सकते हैं, वहीं कई बार इनके कारण पालकों को परिस्तिथिजन्य समस्यायों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बहुत जरूरी की पालतू जानवरों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाने से पहले कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखा जाय।
पालतू जानवर के चुनाव से पहले ध्यान देने योग्य बातें
पालतू जानवर के चुनाव से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है, जैसे:
- वयस्क होने पर पालतू जानवर का आकार कितना बढ़ा होगा।
- उसकी अधिकतम आयु कितनी होगी।
- उसकी चिकित्सा व देखभाल के लिए कितना खर्च आएगा?
- क्या पालतू जानवर की ठीक से देखभाल करने और उसे साफ करने के लिए आपके पर्याप्त समय है?
- स्वस्थ रहने के लिए उक्त पालतू जानवर को किस प्रकार के आवास की आवश्यकता होगी ?
- उसका आहार तथा भोजन संबंधी जरूरतों के बारें में जानकारी।
- क्या आपके घर, अपार्टमेंट या सोसायटी में पालतू जानवरों की अनुमति है?
- क्या घर में छोटे बच्चे, बुजुर्ग लोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग हैं, जिनका स्वास्थ्य जानवरों के कारण होने वाली छोटी बड़ी समस्याओं से प्रभावित हो सकता है।
- घर में कोई पालतू जानवरों या उनके बालों को लेकर एलर्जीक तो नहीं है?
सोच समझ कर करें पालतू जानवरों का चयन
आमतौर पर 5 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों , कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, और 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में जानवरों के कारण फैलने वाले रोग होने की आशंका अधिक होती है। गर्भवती महिलाओं को भी जानवरों से संबंधित बीमारियों के लिए जोखिम वाली श्रेणी में रखा जाता है। इसलिए नया पालतू जानवर लेने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है।
- 5 वर्ष और उससे कम उम्र के बच्चों वाले परिवारों में कछुए, छिपकली, सांप, मेंढक, टोड या मुर्गे नहीं पालने चाहिए क्योंकि इन जानवरों से छोटे बच्चों में हानिकारक कीटाणुओं से गंभीर बीमारी का खतरा होता है।
- कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को पालतू जानवरों के चुनाव से पहले पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को नई बिल्ली अपनाने या आवारा बिल्लियों, विशेषकर बिल्ली के बच्चे को संभालने से बचना चाहिए। दरअसल बिल्लियों में पाए जाने वाले परजीवी टोक्सोप्लाज़मोसिज़ का कारण बन सकते हैं। यह एक ऐसी बीमारी जो जन्म दोष पैदा कर सकती है। यदि आप गर्भवती हैं, तो आपको अपनी वर्तमान बिल्ली को छोड़ने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जहां तक संभव हो गर्भावस्था की अवधि में बिल्ली से जुड़े कार्यों विशेषकर उसकी साफ सफाई के कार्य से परहेज करन चाहिए।
- गर्भवती महिलाओं को लिम्फोसाइटिक कोरियोमेनिन्जाइटिस वायरस के संपर्क में आने से बचने के लिए पालतू कृन्तकों जैसे चूहे, छुछंदर तथा उनकी प्रजाति के अन्य जानवरों के संपर्क से बचना चाहिए, इससे भी होने वालए बच्चे में जन्म दोष हो सकता है। यदि आप गर्भवती हैं और आपके पास एक पालतू कृंतक है, तो सीधे संपर्क से बचें और किसी और से उसके आवास को साफ करने के लिए कहें।
स्रोत: रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी)
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