वाराणसी : संस्कृति संसद के दूसरे दिन शनिवार को मातृ शक्ति पर मंथन किया गया. अलग-अलग 9 सत्रों में साध्वी ऋतंभरा, काजल हिंदुस्तानी, बबीता फौगाट समेत कई अन्य महिला वक्ताओं ने स्त्रियों और कमजोर पड़ते जा रहे संस्कारों पर अपनी बात रखी. सनातन धर्म पर हो रहे हमले को गलत बताया. सनातनी युवतियों को भड़काने के मुद्दे को भी गंभीरता से उठाया. इस पर तत्काल रोक लगाने के साथ सनातन धर्म को बढ़ावा देने पर जोर दिया. संस्कृति संसद में देशभर से आए संतों के अलावा कई नामचीन हस्तियां भी हिस्सा ले रहीं हैं.
साध्वी ऋतम्भरा बोलीं-भारतीय संस्कृति में नर से नारायण बनने की प्रक्रिया : गंगा महासभा की ओर से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संस्कृति संसद में 'सनातन हिंदू धर्म की मातृ केंद्रित व्यवस्था, विभिन्न मजहबों में नारी एवं भारतीय विदुषी साधिकाएं' विषयक सत्र में मुख्य अतिथि एवं श्रीराम मन्दिर मुक्ति आंदोलन की प्रेरक साध्वी ऋतम्भरा ने कहा कि पश्चिम की स्त्रियों में संस्कार नहीं होता है. इसके विपरित भारतीय स्त्री, संस्कार की धुरि और राष्ट्र की रक्षिका है. भारतीय संस्कृति में नर से नारायण बनने की प्रक्रिया में माता की भूमिका मुख्य है. पृथ्वी पर भाषा एवं संस्कार देने वाली मां ईश्वर स्वरूप है. सन्तान को मां से ही सबकुछ मिलता है. मां के संस्कारों से ही बालक सज्जन और दुर्जन बनते हैं. पश्चिम को ज्ञात है कि भारत की रक्षाधुरी स्त्री है. इसीलिए वे स्त्रियों पर प्रहार कर रहे हैं.
बबिता फौगाट बोलीं- स्त्री पूरे परिवार को संस्कार सिखाती है : प्रसिद्ध भारतीय महिला पहलवान बबिता फौगाट ने कहा कि सनातन का अर्थ निरंतर चलने वाला प्रवाह है, यह कभी मिटता नहीं. सनातन का आधार प्रकृति एवं परिवार है. सनातन का लक्ष्य जोड़ना है न कि तोड़ना. भारत माता मातृशक्ति की प्रतीक हैं, इससे स्पष्ट है कि शक्ति का केन्द्र नारी है. यह सब सनातन संस्कृति की सोच के कारण हुआ. भारतीय नारी के लिए आजादी का अभिप्राय छोटे वस्त्र पहनना नहीं, वरन आत्मनिर्भर बनना है. स्त्री अपने व्यवहार से पूरे परिवार को संस्कार सिखाती है.
सात हजार से अधिक मंदिर सरकार के कंट्रोल में : प्रथम सत्र में विश्व हिन्दू परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि इस समय लगभग साढ़े सात हजार से अधिक मंदिर सरकार के नियन्त्रण में हैं. दक्षिण भारतीय सरकारें इन मन्दिरों की आय से चर्च भी बनाती हैं. सरकारी कर्मचारियों का वेतन भी देती हैं, इसे रोका जाना चाहिए. हम लोग वक्फ कानून बदलने, अल्पसंख्यक संस्था कानून बदलने एवं मंदिरों से सरकारी नियंत्रण हटाने की मांग कर रहे हैं. नेपाल राजघराने के जंगबहादुर राणा ने नेपाल में आए भूकम्प में जान गंवाने वाले लोगों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की. कहा कि सनातन एक नैतिक ज्ञान का कुंड है.
समाज को संगठित बनाने के लिए मंदिरों का निर्माण जरूरी : विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक दिनेश चंद्र ने कहा कि समाज को संगठित बनाने के लिए मंदिरों का निर्माण जरूरी है, मंदिरों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे लोग बार-बार यहां आएं. मंदिरों को आकर्षक और स्वच्छ बनाने हैं, जिससे वहां आने पर लोगों को आनंद की अनुभूति हो. बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि भारत देश की अक्षुण्णता बरकरार है तो सिर्फ संतों के कारण, संत समाज अगर नहीं होता तो हमारा देश टूटकर बिखर गया होता. उन्होंने प्रकृति की रक्षा करने के लिए लोगों से पेड़, पौधों और पक्षियों की रक्षा करने का आह्वान किया. संचालन गंगा महासभा और अखिल भारतीय सन्त समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती एवं मधुसूदन उपाध्याय ने किया.
गजेंद्र सिंह चौहान ने सुनाए महाभारत के डायलॉग : महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले गजेंद्र सिंह चौहान भी कार्यक्रम का हिस्सा बने. उन्होंने महाभारत के कई प्रसंग और डायलॉग को मंच से साझा करते हुए सनातन संस्कृति का महत्व को बताया. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति इतनी कमजोर नहीं की किसी के तोड़ने से टूट जाए. जब चुनाव आता है तो लोग इस तरह के बयान बाजी करके सनातन धर्म को कमजोर दिखाने की कोशिश करते हैं. संस्कृति संसद हमारी ताकत दर्शाने का काम कर रही है. वाराणसी जैसी पवित्र पावन भूमि पर इस तरह के कार्यक्रम से निश्चित तौर पर इसका महत्व और बढ़ जाता है. साधु समाज, धर्माचार्य इसको अटेंड कर रहे हैं. मुझे लगता है विपक्ष को जब तक हेड ऑन (आमने- सामने) नहीं दिया जाएगा. तब तक कोई सॉल्यूशन नहीं निकलेगा. हेड ऑन लेने का यह सही तरीका है हम उनके टक्कर में खड़े हो गए हैं, जिसमें दम है वह खेल ले जाए.
यह भी पढ़ें : काजल हिंदुस्तानी बोलीं- एकता कपूर जैसी महिलाएं समाज के युवाओं को कर रहीं बर्बाद, सरकार पद्मश्री ले वापस