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वाराणसी: बच्चों की तरह मनाया जाता है बाबा बटुक भैरव का जन्मोत्सव - baba batuk bhairav

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्राचीन बाबा बटुक भैरव का मंदिर है. भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा की जाती है. बटुक भैरव का मंदिर प्राचीन और विशेष महत्व रखता है. यहां पर बच्चों की तरह बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं, लोग बाबा को गुब्बारे, बिस्किट और टॉफी अपनी श्रद्धा से चढ़ाते हैं.

भैरवाष्टमी के दिन की जाती है बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा.
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Published : Nov 19, 2019, 4:24 PM IST

वाराणसी: शिव की नगरी में भगवान भैरव के जन्म दिवस के अवसर पर भैरव मंदिर में लोग दर्शन के लिए आते है, जिससे मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग जाती है. भगवान भैरव के आठ रूप है, सबकी अपनी-अपनी मान्यता है. भैरव अष्टमी के दिन सभी भैरव के दर्शन कर भक्तों का उद्धार होता है.

भैरवाष्टमी के दिन की जाती है बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा.
बाबा बटुक भैरव का जन्मोत्सव
  • जिले में स्थित अति प्राचीन बाबा बटुक भैरव का मंदिर है.
  • भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा की जाती है.
  • भैरव बाबा यहां बाल अवस्था में पाए जाते हैं इसीलिए बटुक भैरव मंदिर कहा जाता है.
  • भैरवाष्टमी के दिन बच्चे की तरह बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं.
  • लोग बाबा को गुब्बारे, बिस्किट और टॉफी अपनी श्रद्धा से चढ़ाते हैं.
  • सूर्य उदय के साथ ही विधि विधान से बाबा बटुक भैरव का दूध से अभिषेक कर उनका श्रृंगार करते हैं.
  • वेद मंत्रोच्चार के साथ बाबा के मूर्ति की आरती होती है.
  • भजन का कार्यक्रम होने को बाद देर शाम बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया जाएगा.
  • बटुक भैरव के दर्शन पूजन से शनि पीड़ा और राहु केतु ग्रह का दोष नहीं पड़ता है.

इसे भी पढ़ें-वाराणसी: रानी लक्ष्मीबाई जयंती की पूर्व संध्या पर लोगों ने किया दीपदान

भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव का विशेष पूजन किया जाता है. तांत्रिक पूजन देर रात की जाती है. इसके साथ ही सुबह बाबा का अभिषेक किया जाता है. बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया. साथ ही बाबा को रुद्राक्ष की मालाओं का सिंगार किया गया और लगभग 108 बटुक को यहां पर भोजन कराया . इस दिन बाबा के दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है.
-भास्कर पूरी, महंत, बटुक भैरव मंदिर

वाराणसी: शिव की नगरी में भगवान भैरव के जन्म दिवस के अवसर पर भैरव मंदिर में लोग दर्शन के लिए आते है, जिससे मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग जाती है. भगवान भैरव के आठ रूप है, सबकी अपनी-अपनी मान्यता है. भैरव अष्टमी के दिन सभी भैरव के दर्शन कर भक्तों का उद्धार होता है.

भैरवाष्टमी के दिन की जाती है बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा.
बाबा बटुक भैरव का जन्मोत्सव
  • जिले में स्थित अति प्राचीन बाबा बटुक भैरव का मंदिर है.
  • भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा की जाती है.
  • भैरव बाबा यहां बाल अवस्था में पाए जाते हैं इसीलिए बटुक भैरव मंदिर कहा जाता है.
  • भैरवाष्टमी के दिन बच्चे की तरह बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं.
  • लोग बाबा को गुब्बारे, बिस्किट और टॉफी अपनी श्रद्धा से चढ़ाते हैं.
  • सूर्य उदय के साथ ही विधि विधान से बाबा बटुक भैरव का दूध से अभिषेक कर उनका श्रृंगार करते हैं.
  • वेद मंत्रोच्चार के साथ बाबा के मूर्ति की आरती होती है.
  • भजन का कार्यक्रम होने को बाद देर शाम बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया जाएगा.
  • बटुक भैरव के दर्शन पूजन से शनि पीड़ा और राहु केतु ग्रह का दोष नहीं पड़ता है.

इसे भी पढ़ें-वाराणसी: रानी लक्ष्मीबाई जयंती की पूर्व संध्या पर लोगों ने किया दीपदान

भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव का विशेष पूजन किया जाता है. तांत्रिक पूजन देर रात की जाती है. इसके साथ ही सुबह बाबा का अभिषेक किया जाता है. बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया. साथ ही बाबा को रुद्राक्ष की मालाओं का सिंगार किया गया और लगभग 108 बटुक को यहां पर भोजन कराया . इस दिन बाबा के दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है.
-भास्कर पूरी, महंत, बटुक भैरव मंदिर

Intro:शिव की नगरी काशी में भगवान भैरव के जन्म दिवस के अवसर पर बनारस के सभी भैरव मंदिर में भगवान भैरव के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रही। यह तो भगवान भैरव के आठ रूप है सबकी अपनी मान्यता है। पर भैरव अष्टमी के दिन सभी भैरव मंदिर में भगवान भैरव के दर्शन पर भक्तों का उद्धार होता है। और लोगों के पापों से मुक्ति मिल जाती है।


Body:जिले के कम अच्छा स्थित अति प्राचीन बाबा बटुक भैरव का मंदिर है।सूर्य उदय के साथी पूरी विधि विधान से बाबा बटुक भैरव का दूध से अभिषेक किया गया। उसके बाद उनका श्रृंगार किया। गया वेद मंत्रोच्चार के साथ बाबा की मूर्ति आरती की गई उसके बाद मंदिर प्रांगण में प्रसाद वितरण किया गया। और भजन का कार्यक्रम चलता रहा इसके साथ ही देर शाम बाबा को उन्हीं वस्त्र पहनाया जाएगा। जिसके बाद से महंत परिवार ऊनी वस्त्र धारण करता है। हम आपको बता दें कि काशी में यमराज को भी बाबा भैरव से अनुमति लेनी होती है किसी के प्राण हरने के लिए। बनारस में कुल 8 भैरव हैं ऐसे में यह बटुक भैरव का मंदिर अति प्राचीन और विशेष महत्व रखता है। बाबा यहां में बाल अवस्था में पाए जाते हैं इसीलिए बटुक भैरव मंदिर कहा जाता है और यहां पर एक बच्चे की तरह बाबा का जन्म उत्सव मनाया जाता है लोग बाबा को गुब्बारे बिस्किट टॉफी अपनी श्रद्धा से चढ़ाते हैं।



Conclusion:मान्यताओं के अनुसार बटुक भैरव के दर्शन पूजन से शनि पीड़ा और राहु केतु ग्रह का दोष नहीं पड़ता है।
भास्कर पुरी ने बताया कि आज भैरवाष्टमी है। आज के दिन बाबा बटुक भैरव का विशेष पूजन किया जाता है। तांत्रिक पूजन देर रात किया जाएगा इसके साथ ही सुबह बाबा का अभिषेक किया गया बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया गया बाबा को रुद्राक्ष की माला ओं का सिंगार किया गया और लगभग 108 बटुक को को यहां पर भोजन कराया जा रहा है। आज के दिन बाबा के दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है।

बाईट :-- भास्कर पूरी, महंत, बटुक भैरव मंदिर

आशुतोष उपाध्याय
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