वाराणसी: शिव की नगरी में भगवान भैरव के जन्म दिवस के अवसर पर भैरव मंदिर में लोग दर्शन के लिए आते है, जिससे मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लग जाती है. भगवान भैरव के आठ रूप है, सबकी अपनी-अपनी मान्यता है. भैरव अष्टमी के दिन सभी भैरव के दर्शन कर भक्तों का उद्धार होता है.
- जिले में स्थित अति प्राचीन बाबा बटुक भैरव का मंदिर है.
- भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव की विशेष पूजा की जाती है.
- भैरव बाबा यहां बाल अवस्था में पाए जाते हैं इसीलिए बटुक भैरव मंदिर कहा जाता है.
- भैरवाष्टमी के दिन बच्चे की तरह बाबा का जन्मोत्सव मनाया जाता हैं.
- लोग बाबा को गुब्बारे, बिस्किट और टॉफी अपनी श्रद्धा से चढ़ाते हैं.
- सूर्य उदय के साथ ही विधि विधान से बाबा बटुक भैरव का दूध से अभिषेक कर उनका श्रृंगार करते हैं.
- वेद मंत्रोच्चार के साथ बाबा के मूर्ति की आरती होती है.
- भजन का कार्यक्रम होने को बाद देर शाम बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया जाएगा.
- बटुक भैरव के दर्शन पूजन से शनि पीड़ा और राहु केतु ग्रह का दोष नहीं पड़ता है.
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भैरवाष्टमी के दिन बाबा बटुक भैरव का विशेष पूजन किया जाता है. तांत्रिक पूजन देर रात की जाती है. इसके साथ ही सुबह बाबा का अभिषेक किया जाता है. बाबा को ऊनी वस्त्र पहनाया. साथ ही बाबा को रुद्राक्ष की मालाओं का सिंगार किया गया और लगभग 108 बटुक को यहां पर भोजन कराया . इस दिन बाबा के दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण होती है.
-भास्कर पूरी, महंत, बटुक भैरव मंदिर