वाराणसी: वासंतिक नवरात्रि का आज सातवां दिन है. आज के दिन देवी के सातवें रूप 'मां कालरात्रि' की पूजा का विधान है. मान्यता है कि नवरात्रि का सातवां दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. आज के दिन माता की आराधना करने से तंत्र साधना सफल होती है. इन्हें त्रिनेत्री भी कहा जाता है. माता के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल हैं. माता का यह स्वरूप कान्तिमय और अद्भुत दिखाई देता है. मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है. मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है.
तंत्र साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. शशि शेखर त्रिवेदी ने बताया कि माता के सप्तम स्वरूप की पूजा करने से काल का नाश होता है. आज के दिन तंत्र साधना की जाती है और विधि विधान से माता का पूजन करने से तंत्र साधना फलित होती है. मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों को अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता. मां कालरात्रि के बारे में मान्यता है कि इनका रंग गहरे काला है और केश खुले हुए हैं, वह गंदर्भ पर सवार रहती हैं, माता की चार भुजाएं हैं, उनके बाएं हाथ में कटार और दूसरे बाएं हाथ में लोहे का कांटा है. वहीं एक दायां हाथ अभय मुद्रा और दूसरा दायां हाथ वरद मुद्रा में रहता है, माता के गले में मुंडो की माला होती है.
ऐसे करें मां की आराधना
पं. शशि शेखर त्रिवेदी बताते हैं कि भगवती के इस रूप में संहार की शक्ति है. मृत्यु अर्थात काल का विनाश करने की शक्ति भगवती में होने के कारण इन्हें कालरात्रि के रूप में पूजा गया है. उन्होंने बताया कि सुबह स्नान ध्यान करके माता को लाल पुष्प अर्पण करें और नींबू की बलि दें. माता का इस प्रकार से पूजन करने से तंत्र साधना फलित होती है और मां भक्त को मनचाहा फल प्रदान करती हैं. उन्होंने बताया कि आज के दिन मां की आराधना करने से सुहागनों का सुहाग अटल होता है.