वाराणसी: अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं तो आपकी लिस्ट में बनारस का नाम जरुर होना चाहिए, क्योंकि वाराणसी प्राचीन ऐतिहासिक स्थलों में शुमार है. चाहे यहां की संकरी गलियां हों, मंदिर हों या फिर गंगा किनारे के घाट ये सभी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करते ही हैं साथ ही यहां रहने वाले लोगों के लिए भी धर्म और आस्था का केन्द्र हैं. कोरोना महामारी में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन के साथ भारतीय पर्यटन को भी घाटे का सामना करना पड़ा. बीएचयू टूरिज्म डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर यह मानना है कि भविष्य में इस तरह की वैश्विक महामारी दोबारा आ सकती है, इसलिए अपने पर्यटन को मजबूत करने के लिए सरकार को लोकल पर्यटन पर ध्यान देना चाहिए.
बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रवीण राणा ने बताया कि वाराणसी सहित जितने भी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर हैं, वहां घरेलू पर्यटक शुरू से आते रहे हैं. ऐसे में जब हम अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पर फोकस करते हैं तो कहीं न कहीं घरेलू पर्यटन छूट जाता है. सरकार इस पर भी विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह की वैश्विक महामारी जब आती है तो इंटरनेशनल बाउंड्रीज बंद कर दी जाती है तो क्यों न उस समय घरेलू पर्यटन को और ज्यादा विकसित किया जाए.
![अस्सी घाट.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13169411_ingg.jpg)
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डॉ. प्रवीण राणा ने बताया कि लोकल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो भी स्थान हैं, चाहे वह मंदिर, ऐतिहासिक स्थल हो सब को समाहित करने की जरूरत है. वाराणसी में केवल बड़े-बड़े मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर ही इंपॉर्टेंट नहीं हैं यहां और भी स्थल हैं, जो जरुरी हैं. बहुत से स्थल ऐसे हैं जिसको विकसित करना चाहिए और घरेलू पर्यटक को आकर्षित बनाना चाहिए. इससे हम अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पर ही निर्भर नहीं रहेंगे बल्कि, हमारे देश के लोग भी दूसरे स्थानों पर जाएंगे. लोकल पर्यटक को बढ़ावा देने से वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर बदलेगा, वहां के लोगों को रोजगार मिलेगा. जो कार्य हम बड़े पैमाने पर करते हैं, वह छोटे-छोटे स्थान पर करेंगे. इसके साथ ही जो भीड़ एक जगह एकत्रित होती है, वह बंट जाएगी और पर्यटक कई अन्य जगह भी जाएंगे. इससे वहां पर भी बाजार और अन्य चीजों का विकास होगा. भारत के छोटे-छोटे केंद्रों पर पर्यटन का विकास होगा.
![श्री काशी विश्वनाथ मंदिर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13169411_imgg.jpg)
![मणिकर्णिंका घाट.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/13169411_uiojk.jpg)
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बीएचयू असिस्टेंट प्रोफेसर ने बताया यह एक ऐसी महामारी थी जिसने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया. पर्यटन उद्योग उसमें से एक है. सभी जानते हैं कि पर्यटन उद्योग से ही मिलकर सभी उद्योग बनते हैं. टूरिज्म अट्रैक्शन, होटल, ट्रैवल एजेंसी इन सब पर प्रभाव पड़ा है. पिछले 2 साल से जो पूरे इंटरनेशनल बॉर्डर को लॉक कर दिया गया है. सबसे ज्यादा प्रभाव पर्यटन उद्योग पर प्रभाव पड़ा है. वर्ल्ड के स्टीमेट यह बता रहे हैं कि 2 ट्रिनियल यूएस डॉलर का लॉस हुआ है, लगभग 100 मिलियन इंटरनेशनल जॉब का लॉस हुआ है. भारत भी निश्चित तौर पर इससे अछूता नहीं रहा है. भारत में 10 हजार मिलियन इंटरनेशनल टूरिस्ट 2019 में आए थे, जो वर्तमान समय में कितनी संख्या में हैं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है. 70% से 80% टूरिज्म का लॉस हुआ है. अकेले भारत में 40 मिलियन डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब का लॉस हुआ है. सरकार अब इस बात पर ध्यान दे रही है कि क्या हम अंतरराष्ट्रीय पर्यटक पर ही निर्भर हैं कि कुछ और किया जाए. उसके लिए सबसे अच्छा है कि लोकल पर्यटक स्थल को प्रचार किया जाए और उसको बढ़ावा दिया जाए.