वाराणसी: महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर केंद्र (MPMMCC) और होमी भाभा कैंसर अस्पताल (HBCH) में रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी की शुरुआत हुई है. यह थेरेपी थायरइड कैंसर, न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर, न्यूरोब्लास्टोमा सहित इस तरह के कई दूसरे कैंसर (जिनमें सर्जरी की संभावना न हो) में महत्वपूर्ण है. इस सुविधा की शुरुआत MPMMCC और HBCH में हो जाने से अब इन बीमारियों से परेशान मरीजों को थेरेपी के लिए दूसरे शहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
मरीजों को मिलेगी रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी की सुविधा
पूर्वांचल सहित उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को इलाज में सहूलियत देने के लिए एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच में समय-समय पर नई सुवधाओं और सेवाओं की शुरुआत की जा रही है. इसी के तहत अब अस्पताल में रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी की सुविधा भी मरीजों को मिल सकेगी. एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के डॉ. वरुण शुक्ला ने बताया कि रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी के अंतर्गत कई तरह की थेरेपी आती हैं. इनमें रेडियो-आयोडिन थेरेपी, पीएसएमए थेरेपी, एमआईबीजी, डोटाटेट एवं समेरियम थेरेपी मुख्य रूप से शामिल है. रेडियो आयोडिन थेरेपी जो थायराइड के कैंसर के इलाज के लिए खास है, वहीं डोटाटेट न्यूरोइंडोक्राइन ट्यूमर, एमआईबीजी न्यूरोब्लास्टोमा फीयोक्रोमोसाइटोम पैरागैंगलियोमा जबकि समेरियम हड्डी से जुड़े कैंसर के इलाज में बेहद अहम है. पीएसएमए थेरेपी प्रोस्टेट कैंसर के उन मरीजों में कारगर है, जिनमें हार्मोनल थेरेपी असरदार न हो.
रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी कारगर
रेडियो न्यूक्लाइड थेरेपी देने वाला एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच पूर्वांचल का पहला कैंसर अस्पताल बन गया है. थायराइड ग्रंथि से जुड़े कैंसर के इलाज में थेरेपी की भूमिका को रेखांकित करते हुए डॉ. वरुण शुक्ला ने आगे बताया कि जब थायराइड ग्रंथि में कैंसर होता है, तो सर्जरी के जरिए कैंसर को वहां से निकाल दिया जाता है. लेकिन कई बार कैंसर थायराइड ग्रंथि के ऐसे हिस्सों या शरीर के दूसरे हिस्सों में बच जाता है, जिसे सर्जरी के जरिए नहीं निकाला जा सकता. इस तरह के मरीजों में रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी बेहद कारगर होती है. रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी के तहत थायराइड कैंसर की बचे कोशिकाओं को मारने के लिए मरीज को एक दवा दी जाती है, जिससे न केवल थायराइड ग्रंथि, बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों में भी सर्जरी के बाद बचे कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद मिलती है.
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ताकि फिर से न हो कैंसर
विभाग के एक अन्य डॉ. मणिकंडन एम. वी. ने बताया कि थायराइड कैंसर कई बार ठीक होने के बाद फिर मरीज को अपनी गिरफ्त में ले लेता है. इसका कारण सर्जरी के दौरान कुछ कैंसर कोशिकाओं का बच जाना होता है. ऐसे में उन कोशिकाओं को पूरी तरह नष्ट करने के लिए रेडियो आयोडीन एब्लेशन थेरेपी दी जाती है, ताकि फिर से बीमारी न हो जाए. एमपीएमएमसीसी एवं एचबीसीएच के निदेशक डॉ. सत्यजीत प्रधान ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के कैंसर मरीजों को गुणवत्तापरक इलाज उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं. अपनी इसी प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए अस्पताल में हमने रेडियो-न्यूक्लाइड थेरेपी की शुरुआत की है, जो विश्व कैंसर दिवस के मौके पर मरीजों के लिए एक सौगात की तरह है. आने वाले दिनों में भी कैंसर के इलाज में सहूलियत के लिए अस्पताल में और भी नई सुविधाओं की शुरुआत की जाएगी. गौरतलब है कि दुनिया में हर साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों को कैंसर के प्रति जागरूक करना है.
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होमी भाभा में शुरू हुई ब्लड इरेडियटर की सुविधा
कैंसर मरीजों को अत्याधुनिक इलाज मुहैया कराने के लिए अस्पताल में नई तकनीकों की शुरुआत हो रही है. इसी कड़ी में ब्लड कैंसर और बच्चों के कैंसर के इलाज के लिए समर्पित लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल में ब्लड इरेडिएशन की शुरुआत हुई है. अस्पताल के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अक्षय बत्रा ने बताया कि बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के लिए ब्लड इरेडिएटर बेहद महत्वपूर्ण है. इसके जरिए खून में पाए जाने वाले टी सेल्स को निष्क्रिय करने में मदद मिलती है, जिससे ट्रांसप्लांट के मरीजों में रक्त जनित बीमारियों के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है.