वाराणसी: मुक्तिधाम कही जाने वाली काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर आज कुछ देर के लिए शवों का दाह संस्कार रुका रहा, क्योंकि प्रशासन ने लकड़ी विक्रेताओं और नजूल की जमीन से लकड़ी कारोबारियों हटाने का फरमान जारी कर दिया, जिसकी वजह से लकड़ी कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद कर शवों का दाह संस्कार ही रुकवा दिया. वहीं मणिकर्णिका घाट पर आने वाले कई शवों को लेकर लोग मणिकर्णिका घाट से हरिश्चंद्र घाट लौट गए.
दअरसल, काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण के तहत बनने वाले विश्वनाथ धाम में मणिकर्णिका घाट के आसपास की काफी आबादी वाले एरिया को भी शामिल किया गया है. शनिवार दोपहर विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह, नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी फोर्स के साथ घाट पर पहुंचे और अवैध कब्जा बताते हुए लकड़ी की टालों को हटाने लगे, जिस पर लकड़ी विक्रेताओं ने एकजुट होकर विरोध किया.
आक्रोशित होकर लकड़ी विक्रेताओं ने शवों को जलाने के लिए लकड़ी देना बंद कर दिया. ऐसे में शवों की लाइन लग गई. लगभग 2 घंटे से ज्यादा वक्त दाह संस्कार रुका रहा. लगभग 200 साल पुरानी मणिकर्णिका घाट रामलीला को भी इस विरोध के चलते स्थगित कर दिया गया.