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वाराणसी: मणिकर्णिका घाट की जमीन खाली करने का फरमान, विरोध में रोका गया शवों का दाह संस्कार - लकड़ी कारोबारियों का विरोध प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में मणिकर्णिका घाट पर शनिवार को कुछ देर के लिए शवों का दाह संस्कार रुका रहा, क्योंकि प्रशासन ने लकड़ी विक्रेताओं और नजूल की जमीन से लकड़ी कारोबारियों को हटाने का फरमान जारी कर दिया, जिसकी वजह से लकड़ी कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद कर शवों का दाह संस्कार ही रुकवा दिया.

लकड़ी कारोबारियों ने मणिकर्णिका घाट में शवों का दाह संस्कार रोका.
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Published : Oct 27, 2019, 8:44 AM IST

वाराणसी: मुक्तिधाम कही जाने वाली काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर आज कुछ देर के लिए शवों का दाह संस्कार रुका रहा, क्योंकि प्रशासन ने लकड़ी विक्रेताओं और नजूल की जमीन से लकड़ी कारोबारियों हटाने का फरमान जारी कर दिया, जिसकी वजह से लकड़ी कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद कर शवों का दाह संस्कार ही रुकवा दिया. वहीं मणिकर्णिका घाट पर आने वाले कई शवों को लेकर लोग मणिकर्णिका घाट से हरिश्चंद्र घाट लौट गए.

लकड़ी कारोबारियों ने मणिकर्णिका घाट में शवों का दाह संस्कार रोका.

दअरसल, काशी विश्‍वनाथ मंदिर विस्‍तारीकरण के तहत बनने वाले विश्‍वनाथ धाम में मणिकर्णिका घाट के आसपास की काफी आबादी वाले एरिया को भी शामिल किया गया है. शनिवार दोपहर विश्‍वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह, नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी फोर्स के साथ घाट पर पहुंचे और अवैध कब्‍जा बताते हुए लकड़ी की टालों को हटाने लगे, जिस पर लकड़ी विक्रेताओं ने एकजुट होकर विरोध किया.

आक्रोशित होकर लकड़ी विक्रेताओं ने शवों को जलाने के लिए लकड़ी देना बंद कर दिया. ऐसे में शवों की लाइन लग गई. लगभग 2 घंटे से ज्यादा वक्त दाह संस्कार रुका रहा. लगभग 200 साल पुरानी मणिकर्णिका घाट रामलीला को भी इस विरोध के चलते स्थगित कर दिया गया.

वाराणसी: मुक्तिधाम कही जाने वाली काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर आज कुछ देर के लिए शवों का दाह संस्कार रुका रहा, क्योंकि प्रशासन ने लकड़ी विक्रेताओं और नजूल की जमीन से लकड़ी कारोबारियों हटाने का फरमान जारी कर दिया, जिसकी वजह से लकड़ी कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद कर शवों का दाह संस्कार ही रुकवा दिया. वहीं मणिकर्णिका घाट पर आने वाले कई शवों को लेकर लोग मणिकर्णिका घाट से हरिश्चंद्र घाट लौट गए.

लकड़ी कारोबारियों ने मणिकर्णिका घाट में शवों का दाह संस्कार रोका.

दअरसल, काशी विश्‍वनाथ मंदिर विस्‍तारीकरण के तहत बनने वाले विश्‍वनाथ धाम में मणिकर्णिका घाट के आसपास की काफी आबादी वाले एरिया को भी शामिल किया गया है. शनिवार दोपहर विश्‍वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह, नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी फोर्स के साथ घाट पर पहुंचे और अवैध कब्‍जा बताते हुए लकड़ी की टालों को हटाने लगे, जिस पर लकड़ी विक्रेताओं ने एकजुट होकर विरोध किया.

आक्रोशित होकर लकड़ी विक्रेताओं ने शवों को जलाने के लिए लकड़ी देना बंद कर दिया. ऐसे में शवों की लाइन लग गई. लगभग 2 घंटे से ज्यादा वक्त दाह संस्कार रुका रहा. लगभग 200 साल पुरानी मणिकर्णिका घाट रामलीला को भी इस विरोध के चलते स्थगित कर दिया गया.

Intro:रैप के जरिये भेजी गई है।

वाराणसी: मुक्तिधाम कहा जाने वाला काशी का महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर आज कुछ देर के लिए वह परंपरा टूट गई जिसे लेकर शास्त्रों में भी यह कहा जाता है कि महाश्मशान मणिकर्णिका पर चिता की आग अभी ठंडी नहीं होती और अनवरत चिता जलती रहती हैं. इस मान्यता के उलट आज महाश्मशान मणिकर्णिका पर लगभग 2 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए शवों का दाह संस्कार रोका गया. मामला प्रशासन की कार्रवाई के विरोध में लकड़ी विक्रेताओं और नजूल की जमीन को लकड़ी कारोबारियों से निगम के द्वारा खाली कराए जाने के विरोध से जुड़ा है. जिसकी वजह से लकड़ी कारोबारियों ने अपनी दुकानें बंद कर शवों का दाहसंस्कार ही रुकवा दिया. लकड़ी कारोबारियों का साथ मां श्मशान मणिकर्णिका पर मौजूद धूम समाज के लोगों ने भी दिया और चिता के लिए आग देना भी बंद कर दिया जिसकी वजह से शवों का दाह संस्कार रुका और मणिकर्णिका घाट पर आने वाले चारों में से लगभग आधा दर्जन शव लेकर लोग मणिकर्णिका से हरिश्चंद्र घाट लौट गए.Body:वीओ-01 दअरसल काशी विश्‍वनाथ मंदिर विस्‍तारीकरण के तहत बनने वाले विश्‍वनाथ धाम में मणिकर्णिका घाट के आसपास की काफी आबादी वाले एरिया को भी शामिल किया गया है. घाट के पास स्थित लकड़ी की टालें भी धाम की में हैं. शनिवार दोपहर विश्‍वनाथ मंदिर के सीईओ विशाल सिंह, नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारी फोर्स के साथ घाट पर पहुंचे और अवैध कब्‍जा बताते हुए लकड़ी की टालों को हटाने लगे. जिसपर लकड़ी विक्रेताओं ने एकजुट होकर विरोध किया, लेकिन भारी फोर्स के सामने किसी की नहीं चली. लकड़ी हटवाकर भवन को ध्‍वस्‍त करने का काम रात तक चलता रहा. इसी प्रशासन की मनमानी से आक्रोशित होकर लकड़ी विक्रेताओं ने शवों को जलाने के लिए लकड़ी देना बंद कर दिया तो डोमराजा का भी साथ मिलने से चिता के लिए आग नहीं मिली. ऐसे में शवों की लाइन लग गई और दूर दराज से शवदाह के लिए आए लोग परेशान होने लगे और काफी देर भी जब शवों का दाह संस्कार नहीं हो पाया तो लोग शव लेकर हरिश्चंद्र घाट के लिए रवाना हो गए. Conclusion:वीओ-02 हालांकि लगभग 2 घंटे से ज्यादा वक्त अक्षदा रुका रहा और रात 8:30 बजे के बाद शारदा फिर से शुरू हो सका और लकड़ी की दुकानें भी खोली गई लेकिन यहां पर हो रही लगभग 200 साल पुरानी मणिकर्णिका घाट रामलीला को भी इस विरोध के चलते स्थगित कर दिया गया स्थानीय व्यापारियों और रामलीला समिति के लोगों का कहना है कि विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर जबरदस्ती लोगों के घर लिया जा रहा है जिसके विरोध में लकड़ी कारोबारी उतरे और शवों का दाह संस्कार रोक दिया गया हालांकि बाद में समझाने बुझाने पर यह शुरू करा दिया गया. अधिकारियों का कहना है कि मणिकर्णिका घाट के पास स्थित जिस जमीन से कब्‍जा हटाया जा रहा है, वह नगर निगम की नजूल की जमीन है और निगम ने यह जमीन पट्टे पर लकड़ी विक्रेताओं को दी थी और बगैर किसी सूचना और पक्ष को सुने पट्टा निरस्‍त कर दिया गया और लकड़ी कब्जे में ली जाने लगी जिसके विरोध में दुकानें बंद कर शवों का दाह संस्कार रोका गया.

बाईट- विभूति नारायण सिंह, कॉरिडोर में स्थित मकान के मालिक
बाईट- सुशील कपूर, मणिकर्णिका रामलीला समिति अध्यक्ष
बाईट- राहुल यादव, लकड़ी कारोबारी


गोपाल मिश्र

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