वाराणसीः षष्ठी की संध्या को गंगा के घाटों के किनारे खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने भगवान भास्कर से अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए प्रार्थना की. इसके पश्चात कल सुबह सप्तमी तिथि को पुनः प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिनों तक चलने वाले छठ का यह महापर्व और कठिन व्रत पूर्ण होगा.
भक्ति भाव से की जाने वाली यह विशेष पूजा बिहार से शुरु होकर पूरे भारत और अब विश्व भर में की जाती है. अगर देखा जाए तो आज के समय में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाने वाली छठ पूजा, विश्व भर में सबसे बड़ी पूजा के रूप में देखी जा रही है. काशी में डाला छठ के मौके पर सभी गंगा घाट और सूर्य सरोवर के साथ नदी तालाब के किनारे आस्थावानों का जनसैलाब उमड़ा और घंटों पानी में खड़े होकर व्रती महिलाओं और पुरुषों ने भगवान भास्कर के अस्त होने का इंतजार किया.
सूर्यास्त होने की शुरुआत होने के साथ ही शाम 5:35 पर जब भगवान भास्कर पूरी तरह से अस्त हो गए उसके बाद यह पर्व आज के लिए खत्म हुआ और अब कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ देने का सिलसिला शुरू होगा.
फिलहाल छठ की छटा से पूरी फिजा आज सराबोर रही और हर दिल में यही एहसास रहा कि छठ मैया हमारी पुकार सुन लें, हमारी हर मनोकामना पूर्ण करें. भगवान भास्कर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण कर बच्चों और सुहाग की रक्षा करें.
कलयुग हो या सतयुग, हर युग में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना होती रही है. उम्मीद है कि आगे भी भक्ति का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा क्योंकि न ही छठी मैया का महात्म्य कभी कम हुआ है, ना आगे होने की संभावना है. अर्घ्य देने के लिए गंगा में पहले से ही उतर कर यह श्रद्धालु भगवान भास्कर को प्रसन्न करने के लिए पूरी आस्था के साथ खड़े रहे. व्रती छठ के इस कठिन व्रत के बाद भी चेहरे पर मुस्कान लिए भक्ति भाव में सराबोर दिखे.