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वाराणसी: महापर्व छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य - काशी में डाला छठ

डाला छठ जो एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूर्य के साथ डूबते सूर्य को भी अर्घ्य देने का पौराणिक और धार्मिक महत्व बताया गया है. छठ के इस पर्व पर देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी के सभी गंगा घाटों के साथ सूर्य सरोवर पर व्रती महिलाओं सहित आस्था रखने वालों का जनसैलाब उमड़ पड़ा.

महापर्व छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य.
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Published : Nov 2, 2019, 6:53 PM IST

Updated : Nov 2, 2019, 7:17 PM IST

वाराणसीः षष्ठी की संध्या को गंगा के घाटों के किनारे खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने भगवान भास्कर से अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए प्रार्थना की. इसके पश्चात कल सुबह सप्तमी तिथि को पुनः प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिनों तक चलने वाले छठ का यह महापर्व और कठिन व्रत पूर्ण होगा.

महापर्व छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य.
इस पर्व के में महिलाएं दो दिन का व्रत रखकर भगवान से अपने पुत्र और पति के लिए आशीष मांगती हैं. हालांकि यह पूजन पुरुष भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं, जितना कि महिलाएं करती हैं. अगर व्रती महिलाओं की मानें तो संपूर्ण निष्ठा और भक्ति से की जाने वाली इस पूजा को छठी मैया जरूर स्वीकार करती हैं और मनवांछित फल देती हैं.पढ़ेंः-आज दिया जाएगा सूर्यदेव को पहला अर्घ्य, लोकगीतों से हो रहा छठ महापर्व का गुणगान


भक्ति भाव से की जाने वाली यह विशेष पूजा बिहार से शुरु होकर पूरे भारत और अब विश्व भर में की जाती है. अगर देखा जाए तो आज के समय में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाने वाली छठ पूजा, विश्व भर में सबसे बड़ी पूजा के रूप में देखी जा रही है. काशी में डाला छठ के मौके पर सभी गंगा घाट और सूर्य सरोवर के साथ नदी तालाब के किनारे आस्थावानों का जनसैलाब उमड़ा और घंटों पानी में खड़े होकर व्रती महिलाओं और पुरुषों ने भगवान भास्कर के अस्त होने का इंतजार किया.

सूर्यास्त होने की शुरुआत होने के साथ ही शाम 5:35 पर जब भगवान भास्कर पूरी तरह से अस्त हो गए उसके बाद यह पर्व आज के लिए खत्म हुआ और अब कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ देने का सिलसिला शुरू होगा.

फिलहाल छठ की छटा से पूरी फिजा आज सराबोर रही और हर दिल में यही एहसास रहा कि छठ मैया हमारी पुकार सुन लें, हमारी हर मनोकामना पूर्ण करें. भगवान भास्कर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण कर बच्चों और सुहाग की रक्षा करें.

कलयुग हो या सतयुग, हर युग में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना होती रही है. उम्मीद है कि आगे भी भक्ति का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा क्योंकि न ही छठी मैया का महात्म्य कभी कम हुआ है, ना आगे होने की संभावना है. अर्घ्य देने के लिए गंगा में पहले से ही उतर कर यह श्रद्धालु भगवान भास्कर को प्रसन्न करने के लिए पूरी आस्था के साथ खड़े रहे. व्रती छठ के इस कठिन व्रत के बाद भी चेहरे पर मुस्कान लिए भक्ति भाव में सराबोर दिखे.

वाराणसीः षष्ठी की संध्या को गंगा के घाटों के किनारे खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने भगवान भास्कर से अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए प्रार्थना की. इसके पश्चात कल सुबह सप्तमी तिथि को पुनः प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिनों तक चलने वाले छठ का यह महापर्व और कठिन व्रत पूर्ण होगा.

महापर्व छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को महिलाओं ने दिया अर्घ्य.
इस पर्व के में महिलाएं दो दिन का व्रत रखकर भगवान से अपने पुत्र और पति के लिए आशीष मांगती हैं. हालांकि यह पूजन पुरुष भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं, जितना कि महिलाएं करती हैं. अगर व्रती महिलाओं की मानें तो संपूर्ण निष्ठा और भक्ति से की जाने वाली इस पूजा को छठी मैया जरूर स्वीकार करती हैं और मनवांछित फल देती हैं.पढ़ेंः-आज दिया जाएगा सूर्यदेव को पहला अर्घ्य, लोकगीतों से हो रहा छठ महापर्व का गुणगान


भक्ति भाव से की जाने वाली यह विशेष पूजा बिहार से शुरु होकर पूरे भारत और अब विश्व भर में की जाती है. अगर देखा जाए तो आज के समय में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाने वाली छठ पूजा, विश्व भर में सबसे बड़ी पूजा के रूप में देखी जा रही है. काशी में डाला छठ के मौके पर सभी गंगा घाट और सूर्य सरोवर के साथ नदी तालाब के किनारे आस्थावानों का जनसैलाब उमड़ा और घंटों पानी में खड़े होकर व्रती महिलाओं और पुरुषों ने भगवान भास्कर के अस्त होने का इंतजार किया.

सूर्यास्त होने की शुरुआत होने के साथ ही शाम 5:35 पर जब भगवान भास्कर पूरी तरह से अस्त हो गए उसके बाद यह पर्व आज के लिए खत्म हुआ और अब कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ देने का सिलसिला शुरू होगा.

फिलहाल छठ की छटा से पूरी फिजा आज सराबोर रही और हर दिल में यही एहसास रहा कि छठ मैया हमारी पुकार सुन लें, हमारी हर मनोकामना पूर्ण करें. भगवान भास्कर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण कर बच्चों और सुहाग की रक्षा करें.

कलयुग हो या सतयुग, हर युग में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना होती रही है. उम्मीद है कि आगे भी भक्ति का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा क्योंकि न ही छठी मैया का महात्म्य कभी कम हुआ है, ना आगे होने की संभावना है. अर्घ्य देने के लिए गंगा में पहले से ही उतर कर यह श्रद्धालु भगवान भास्कर को प्रसन्न करने के लिए पूरी आस्था के साथ खड़े रहे. व्रती छठ के इस कठिन व्रत के बाद भी चेहरे पर मुस्कान लिए भक्ति भाव में सराबोर दिखे.

Intro:वाराणसी: डाला छठ जो एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें उगते सूरज के साथ डूबते सूर्य को भी अर्ध्य देने का पौराणिक व धार्मिक महत्व बताया गया है छठ के इस पर्व पर देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी के सभी गंगा घाटों के साथ सूर्य सरोवर पर व्रती महिलाओं सहित आस्था वालों का जनसैलाब उमड़ा षष्टि की संध्या को गंगा के घाटों के किनारे खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने भगवान भास्कर से अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए प्रार्थना की इसके पश्चात कल सुबह सप्तमी तिथि को पुनः प्रातः उगते सूर्य को अर्घ्य देकर 4 दिनों तक चलने वाला छठ का यह महापर्व और कठिन व्रत पूर्ण होगा.


Body:वीओ-01 इस पर्व के दिन महिलाएं 2 दिन का व्रत रखकर भगवान से अपने पुत्र और पति के लिए आशीष मांगती हैं हालांकि या पूजन पुरुष भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं जितना महिलाएं करती हैं व्रती महिलाओं की अगर मानें तो संपूर्ण निष्ठा और भक्ति से की जाने वाली पूजा को छठ मैया जरूर स्वीकार करती हैं और मनोवांछित फल देती हैं पूरे चकाचौंध और भक्ति भाव के साथ की जाने वाली या विशेष पूजा नाथ बिहार में अब बल्कि पूरे देश के साथ विश्व भर में अपनी श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जाने वाली सबसे बड़ी पूजा के रूप में देखी जा रही है काशी में डाला छठ के मौके पर सभी गंगा घाट और सूर्य सरोवर के साथ नदी तालाब के किनारे आस्था वाहनों का जनसैलाब उमड़ा और घंटों पानी में खड़े होकर व्रती महिलाओं और पुरुषों ने भगवान भास्कर के अस्त होने का इंतजार किया अस्त होने की शुरुआत होने के साथ ही शाम 5:35 पर जब भगवान भास्कर पूरी तरह से अधिक हो गए उसके बाद यह पर्व आज के लिए खत्म हुआ और अब कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ देने का सिलसिला शुरू होगा.


Conclusion:वीओ-02 फिलहाल छठ की छटा से पूरी फिजा आज सराबोर रही और हर दिल में यही एहसास रहा कि छठ मैया हमारी पुकार सुन ले हमारी हर मनोकामना पूर्ण करें भगवान भास्कर घर को धन-धान्य से परिपूर्ण कर बच्चों और सुहाग की रक्षा करें बांट सकती हो या द्वापर युग की हर युग में सूर्य देव छठी मैया की उपासना होती रही है होती रहेगी क्योंकि नाही छठ मैया का महात्मा कभी कम हुआ है और ना होगा अर्घ्य देने के लिए गंगा में पहले से ही उतर कर यह श्रद्धालु भगवान भास्कर को प्रसन्न करने के लिए पूरी आस्था के साथ छठ के इस कठिन व्रत के बाद भी चेहरे पर मुस्कान लिए भक्ति भाव में सराबोर दिखे.

बाईट- पुष्पा चौरसिया, व्रती महिला
बाईट- कमला देवी, व्रती महिला
Last Updated : Nov 2, 2019, 7:17 PM IST
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