वाराणसी: नए कुश्ती संघ के गठन के तीन दिन बाद ही खेल मंत्रालय ने पूरे कुश्ती संघ को ही निलंबित कर दिया. इसके बाद जीत कर आए संजय सिंह खेल मंत्रालय के इस फैसले के खिलाफ नजर आ रहे हैं. हाल ही में तदर्थ समिति का गठन और जयपुर में नए नेशनल कुश्ती चैंपियनशिप की घोषणा भी खेल मंत्रालय की तरफ से किए जाने के बाद अब संजय सिंह का क्या स्टैंड होने वाला है? इस पूरे विवाद पर संजय सिंह का क्या कहना है? कौन इसके पीछे है? इन सारे सवालों के जवाब ईटीवी भारत ने संजय सिंह से खास बातचीत में जानने की कोशिश की. आप भी सुनिए सवाल दर सवाल किस तरह से संजय सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया पूरे मामले पर दी है.
सवाल: आखिर पूरा विवाद क्यों है?
जवाब: हम तो लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव जीत कर आए हैं और लोकतंत्र पर विश्वास रखते हैं. कुछ पहलवानों की वजह से यह सब हो रहा है. खासतौर पर अब जो कुश्ती छोड़ चुके हैं वह पूरी तरह से कुश्ती को आगे आने नहीं देना चाहते. जूनियर पहलवानों को आगे आने नहीं देना चाहते हैं. उनके पीछे टूल किट गैंग है. उनके पीछे कांग्रेस है, उनके पीछे वामपंथी हैं, जो नहीं चाहते हमारा देश कुश्ती में मेडल लाए. यह ओलंपिक ईयर है और वह नहीं चाहते कि देश में कुश्ती के जरिए ओलंपिक में मेडल आए. वह चाहते हैं की कुश्ती पूरी तरह से डिस्टर्ब रहे.
सवाल: क्या यह पूरा मामला जातिवाद और क्षेत्रवाद की तरफ जा रहा है या फिर सरकार कुछ दबाव में है, जिसके चलते ये सारी चीजें हो रही हैं?
जवाब: नहीं, सरकार दबाव में नहीं है. जातिवाद का आरोप लग रहे हैं, कभी जाट बनाम बना रहे हैं या हरियाणा बनाम उत्तर प्रदेश बना रहे हैं तो हरियाणा एक छोटा सा प्रदेश है और हम लोग उत्तर प्रदेश से आते हैं. यहां ठाकुर, भूमिहार, ब्राह्मण सभी लोग प्रतिनिधित्व करते हैं. भारतीय कुश्ती संघ में भी सभी जाति के लोग हैं, तो जातिवाद हमें नहीं लगता कि यह मुद्दा हो सकता है. जैसे इसे देखा जा रहा है जो गलत है.
सवाल: आपको अकेले 40 वोट मिले विपक्षी को 7 वोट जिसके बाद यह बात आने लगी कि बृजभूषण के करीबी होने की वजह से बड़ा फायदा मिला है या आप उनके रिश्तेदार हैं. यह आरोप लग रहे हैं?
जवाब: देखिए, कुश्ती संघ में मैं पिछले 15 साल से कम कर रहा हूं. कुश्ती से मेरा लगाव है. बृजभूषण शरण सिंह से मेरी करीबी है. दोस्ती है, मित्रता है वह कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे और मैं उसमें पदाधिकारी रहा हूं, तो उसकी वजह से भी हो सकता है, लेकिन यह देखा जाए की रिश्तेदारी है तो, मैं भूमिहार ब्राह्मण हूं और वह राजपूत बिरादरी से आते हैं. मेरी उनसे कोई रिश्तेदारी नहीं है. हां मित्रता है, बाकी सब कुछ है मुझे इतना बड़ा समर्थन मिला वह 15 साल मैंने कुश्ती में जो काम किया है. उसको देखते हुए पूरे स्टेट फेडरेशन ने मुझे समर्थन दिया है.
सवाल: बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक समेत विनेश फोगाट ने जो अपने अवार्ड वापस किए हैं. उनकी मंसा पर आपका क्या कहना है?
जवाब: अवार्ड जो मिलता है वह देश की 140 करोड़ या जो भी जनता मान लीजिए, उनकी भावनाओं को देखकर उनकी भावनाओं को जोड़ कर दिया जाता है. खिलाड़ी को जो भी अवार्ड दिया जाता है उसमें देश का जन धन लगा रहता है. उसको मेरे हिसाब से लौटाना देश की जनता का अपमान है. वह उनकी खुद की इच्छा है. वह लौटाएं या न लौटाएं, वह क्यों लौटा रहे हैं, इस पर वही जवाब दे सकते हैं.
सवाल: निलंबन को किस रूप में लेते हैं और इसके प्रोपेगेंडा पर आपका क्या स्टैंड होगा?
जवाब: मैं दिल्ली जा रहा हूं. मैं सरकार से बात करूंगा. अगर बात नहीं बनेगी तो मैंने स्टेट फेडरेशन की मीटिंग कॉल की है. स्टेट फेडरेशन एग्जीक्यूटिव के सारे लोगों के साथ हम मीटिंग करेंगे और हम कोर्ट का रास्ता अपनाएंगे. लीगल ओपिनियन हम ले चुके हैं.
सवाल: तदर्थ कमेटी पर आपकी क्या राय है. जयपुर में अब नेशनल टूर्नामेंट का ऐलान हो चुका है. आप पर नेशनल टूर्नामेंट के ऐलान पर एक्शन हुआ था क्यों
जवाब: तदर्थ समिति को हमारी फेडरेशन नकारती है. यह मेरा स्वतः का नहीं बल्कि पूरे स्टेट फेडरेशन और पूरी फेडरेशन डब्ल्यूएफआई का मानना है. लोकतांत्रिक तरीके से तदर्थ समिति को नहीं मानते हैं, क्योंकि बगैर फेडरेशन की सहमति के तदर्थ समिति नहीं बनाई जा सकती, हम ऑटोनॉमस बॉडी हैं.
सवाल: अब आगे की रणनीति क्या होगी? इस तदर्थ समिति को लेकर, क्योंकि खेल मंत्रालय बहाली फिर से न किए जाने की बात कर रहा है?
जवाब: यह सब अभी सूत्र के मुताबिक है. खेल मंत्रालय की तरफ से कोई बयान जारी नहीं हुआ है कि हम इस पर अभी बात नहीं करेंगे. हम अभी इस पर बात करेंगे खेल मंत्रालय से. बाकी भारत में लोकतंत्र है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चुनाव हुआ है. कोर्ट हमारे लिए खुला हुआ है. हम कोर्ट का रास्ता अपनाएंगे.
सवाल: आपका कहना है कि कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा के लोग हावी हैं, तो कांग्रेस में क्या कोई पार्टिकुलर व्यक्ति है जो राजनीति को आगे बढ़ा रहे हैं?
जवाब: हां, आप लोगों को खुद दिख रहा होगा जब हमारी कुश्ती पिछले 15 सालों में पीक पर थी और मेडल आ रहे थे, कॉमनवेल्थ में मेडल आया, ओलंपिक में मेडल आया, एशिया चैंपियनशिप में मेडल आया, 12 साल की चैंपियनशिप पर जाएं मेडल की तालिका उठाकर देख लीजिए. कांग्रेस के एक बड़े नेता या कांग्रेस कभी भी हमारे किसी अखाड़े में अप्रिशिएट करने नहीं गई. अब जब कुश्ती विवाद में है तो अखाड़े में जाकर कुश्ती लड़ रहे हैं, तो जब बर्बादी की तरफ करना है और चीजों को बर्बाद करना है तो उसे अप्रिशिएट करने का काम किया जा रहा है. जब अच्छा करने का काम करना था तो आपने कुछ नहीं किया.
सवाल: महिला पहलवानों को लेकर बार-बार यह कहा जा रहा है वे संघ में सुरक्षित नहीं हैं?
जवाब: मैंने तो बनारस में महिला पहलवानों की शुरुआत ही करवाई थी, महिला पहलवान सुरक्षित नहीं है ये कैसे हो सकता है. बहुत सी महिला पहलवानों का विश्वास हमारे साथ है. कुछ तथा कथित लोगों को छोड़ दीजिए.
कैसे उपजा विवादः भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव के बाद 21 दिसंबर को वाराणसी के संजय सिंह अध्यक्ष पद पर काबिज हुए थे. 47 में से 40 वोट मिलने के बाद संजय सिंह को मिली जीत ने बृजभूषण शरण सिंह के खेमे में खुशी ला दी थी. क्योंकि, संजय सिंह बृजभूषण शरण सिंह के काफी करीबी माने जाते हैं. हालांकि, बृजभूषण पहले से ही यह दावा कर रहे थे कि उनकी जीत पक्की है. लेकिन, महिला समेत अन्य कुछ पहलवानों की तरफ से विरोध के बाद जिस तरह से बृजभूषण को हटना पड़ा और उसके बाद संजय सिंह की एंट्री अखिल भारतीय कुश्ती संघ में हुई उसके बाद विवाद और गहरा गया. साक्षी मलिक के संन्यास लेने की घोषणा बजरंग पूनिया के अवार्ड वापसी के बाद दिनेश फोगाट के अवार्ड वापस करने के फैसले से हड़कंप मच गया.
ये भी पढ़ेंः संजय सिंह बोले- मैं WFI अध्यक्ष हूं, मुझे कोई निलंबित नहीं कर सकता