वाराणसी: इन दिनों पूरे प्रदेश में बुनकर 2006 में मिली बिजली बिल सब्सिडी को लेकर के धरने पर बैठे हुए हैं. इसी क्रम में बीते एक सप्ताह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी बुनकर मुर्री बंद कर विरोध में बैठे हैं. वैसे तो बनारस किसी पहचान का मोहताज नहीं, लेकिन बनारस को एक अलग पहचान दिलाने में काशी के बुनकरों का विशेष योगदान है. सरकार की अनदेखी के कारण बुनकर आय दिन सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने को बाध्य हैं.
कभी नहीं पहुंची कोई सरकार मदद
बातचीत में लल्लापुरा के सरदार मोहम्मद हाशिम ने बताया कि सरकार सिर्फ हमारे साथ छलावा कर रही है. भले ही तमाम योजनाएं चल रही हों लेकिन हमारे तक कोई योजना नहीं पहुंची. सिर्फ एक योजना सरकार की मिली थी वो 2006 की बिजली बिल के फ्लैट रेट की है, लेकिन अब वह भी हमसे छीन ली गई है. जो बुनकर मजदूरी करके 200 रुपये कमा रहा है. वह बिजली का बिल कहां से देगा. उनका कहना है कि हमारे लिए बिजली का बिल भरना बहुत मुश्किल है. बुनकर के पास तो इतने भी पैसे नहीं होते कि वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकें. ऐसे में वह बस अपने जीने लायक कमा लेता है. ऐसे में वह बिजली का बिल कहां से भरेगा.
सब्सिडी हटी तो डेढ़ सौ के बदले 4000 देना होगा बिल
बुनकर हारून अंसारी ने बताया कि हम रिजेक्टेड मशीन का प्रयोग करते हैं. हम 30 से 40 हजार रुपये में मशीन खरीदकर बैठाते हैं. हम अपनी मेहनत काबिलियत से उस मशीन पर काम करते हैं. हमारी दो मशीनों को चलने का बिजली एक हॉर्स पॉवर लगता है. पहले हम 143 रुपये महीना देते थे और अब हमें 3 से 4 हजार रुपये देना पड़ेगा. क्योंकि सब्सिडी हट गई है और जो स्मार्ट मीटर लगा है वह दोगुनी गति से भाग रहा है. ऐसे में हम अपने खाने के लिए नहीं जुटा पा रहे तो बिजली का बिल कहां से देंगे. सरकार हम बुनकरों को मारने का काम कर रही है. आज तक हमें न ही किसी योजना का लाभ मिला और न ही किसी ने हमारी समस्या जानने की कोशिश की.
जब तक मांग पूरी नहीं होगी तब तक बंद रहेगी मुर्री
बुनकर रिजवान अहमद ने कहा कि हमारी बस एक ही मांग है कि इस बिल को हटाकर के पुराने सब्सिडी रेट को बहाल किया जाए. इसके लिए हमारे प्रतिनिधि मंडल ने लखनऊ जाकर मंत्री से मुलाकात की, लेकिन इसके बावजूद हमें बस छला गया.हमें झूठा आश्वासन दिया गया कि पुराने बिजली रेट को ही बहाल किया जाएगा. लेकिन फिर भी नए दर से बिजली का बिल लागू हो गया.उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांग को पूरा नहीं किया जाता तब तक बुनकर मुर्री बंद कर प्रदर्शन करता रहेगा.
बनारसी साड़ी उद्योग को हो रहा है बड़ा नुकसान
बता दें कि बुनकरों के धरना प्रदर्शन से बुनकरों की ही मुसीबत नहीं बढ़ रही है बल्कि बनारसी वस्त्र उद्योग को भी लम्बा घाटा हो रहा है. सितंबर से अक्टूबर तक का समय बनारसी वस्त्र के लिए पीक का समय होता है. परंतु काम बंद होने से अब तक लगभग 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.