वाराणसी: गंगा किनारे बसे शहर में गलियों और घाटों पर बसे लोगों को अन्य बीमारियों से बचाने और कोरोना महामारी से जागरूक करने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है. इसके लिए गंगा की लहरों पर एंबुलेंस दौड़ रही हैं. गलियों की नगरी वाराणसी में इन दिनों वाटर एंबुलेंस लोगों की मदद कर रही है.
एनडीआरएफ के अधिकारियों का कहना है कि इस वक्त निजी अस्पतालों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल रही हैं. सरकारी अस्पताल लोग डर की वजह से नहीं जा रहे हैं. कंटेनमेंट जोन में रहने की वजह से मेडिकल सेवाएं देने वाले डॉक्टर सभी लोगों से दूर हो गए हैं. ऐसे में इस वाटर एंबुलेंस की मदद से लोगों को नि:शुल्क चिकित्सा सहायता एवं दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं. यह एंबुलेंस आधुनिक उपकरणों से लैस हैं. इसमें फ्लोटिंग आईसीयू यानी इस वाटर एंबुलेंस में पैरामेडिकल स्टाफ नर्स और डॉक्टर की मौजूदगी है. इसमें बुनियादी चिकित्सा जैसे थर्मल स्क्रीनिंग, स्वास्थ्य की जांच, खून की जांच, ब्लड प्रेशर और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा का आकलन कर दवाइयां वितरित करने का काम किया जा रहा है.
लाउडहेलर के जरिए इकट्ठा होते हैं लोग
एंबुलेंस में तैनात जवान लाउडहेलर के जरिए लोगों को घाट पर इकट्ठा कर उनकी जांच करते हैं. डॉक्टर का कहना है कि इस एंबुलेंस में ऑक्सीजन के साथ स्क्रीनिंग और डिस्प्ले की व्यवस्था है. हार्ट पेशेंट के साथ डिलीवरी केस को पूरी तरह से हैंडल करने में यह एंबुलेंस तत्पर हैं. सबसे बड़ा रोल एंबुलेंस गंगा में डूबने वालों को लेकर निभाती है.
वाराणसी जिले में प्रतिदिन घाट से 70 से 80 लोगों को इस एंबुलेंस के जरिए इलाज के लिए भेजा जा रहा है. प्रयागराज में हुए कुंभ के दौरान भी इसी वाटर एंबुलेंस का प्रयोग किया गया था.
2017 में हुई वाटर एंबुलेंस की शुरुआत
इस एंबुलेंस की शुरुआत 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से सुधांशु मेहता फाउंडेशन की तरफ से की गई. इसके बाद से लेकर अब तक लगभग 22 ऐसे लोगों को पानी में डूबने से यह एंबुलेंस बचा चुकी है. एंबुलेंस स्टाफ का कहना है शहर में रहने वाले लोगों को सुरक्षित इस एंबुलेंस तक लाकर उनको प्रारंभिक जांच-पड़ताल के बाद ट्रीटमेंट किया जाता है. उनकी हालत जब स्थिर होती है तो इसी एंबुलेंस के जरिए उन्हें सीधे अस्सी घाट पर पहुंचाकर एंबुलेंस से अस्पताल तक ले जाया जाता है. इतना ही नहीं कोविड-19 महामारी में इस एंबुलेंस के जरिए लोगों को बीमारी से जागरूक करने का काम भी किया जा रहा है.